नई दिल्ली: रुपहले पर्दे पर पांच दशकों में 100 से अधिक फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले 70 साल के अभिनेता डैनी डेंजोंगपा की फिलहाल अभिनय से रिटायर होने की कोई योजना नहीं है, लेकिन डैनी ने कहा कि यह उनके लिए एक ऐसी चीज है, जिसके बिना वह रह सकते हैं.
पिछले कुछ सालों में डैनी ‘नाम शबाना’ (2017), ‘बेबी’ (2015) और ‘बैंग बैंग’ (2015) में नजर आए थे. लेकिन क्या उन्हें कभी भी अभिनय के बिना जीवन जीने का विचार आया है?
डैनी ने बताया, "मैं ऐसा कर सकता हूं. मैं ध्यान कर सकता हूं और दुनिया भर में घूम सकता हूं. मैं पेंटिंग और बागवानी कर सकता हूं. लेकिन एक अच्छी पटकथा मिलने पर फिल्म करना अच्छा है. मुझे पटकथाएं मिलती रहती हैं, मैं उन्हें पढ़ता हूं और फिर मैं एक साल में एक फिल्म करता हूं जो एक अच्छा बदलाव है."
उन्होंने कहा, "मैं ज्यादातर सर्दियों में शूटिंग करता हूं, क्योंकि यह मेरे लिए एक बहुत ही आरामदायक स्थिति होती है. मैं दौड़ का हिस्सा नहीं हूं. मैंने यह कभी नहीं किया है. मेरी अपनी जगह है."
1971 में फिल्म 'जरूरत' से बॉलीवुड में डेब्यू करने के बाद डैनी ने फिल्म इंडस्ट्री में एक विलेन के रूप में खास जगह बनाई. '36 घंटे', 'द बर्निग ट्रेन', 'बंदिश' और 'अग्निपथ' जैसी फिल्मों में उनके द्वारा निभाए गए खलनायक के किरदारों को आज भी याद किया जाता है.
उन्होंने कहा, "इसमें (खलनायक की भूमिका) एक अलग आकर्षण है. 1970, 80 और 90 के दशक में नायक के बाद खलनायक सबसे महत्वपूर्ण चरित्र होता था. खलनायक के बिना कोई पटकथा नहीं थी. यह इस अर्थ में और रोमांचक था कि खलनायक के लिए संवाद और दृश्य जबरदस्त होते थे. हमने आनंद लिया. अब समय बदल गया है. आजकल आप नायकों को नकारात्मक भूमिका में देख रहे हैं"
डैनी ने फिल्म 'बायोस्कोपवाला' में मुख्य भूमिका निभाई है.
उन्होंने कहा, "यह इसलिए विशेष नहीं है क्योंकि मैं मुख्य भूमिका निभा रहा हूं. ऐसा नहीं है कि मैं गाने गा रहा हूं या पेड़ के चारों ओर डांस कर रहा हूं. यह एक यथार्थवादी किस्म की फिल्म है. यह एक बहुत ही अपरंपरागत भूमिका है."
डैनी की अगली फिल्म 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' है जिसमें कंगना रनौत मुख्य भूमिका में हैं.
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