मुंबई: राज कपूर द्वारा 1948 में बनवाए गये आर. के. स्टूडियो में सितंबर 2017 को लगी आग के एक साल बाद कपूर परिवार ने इस स्टूडियो को बेचने का एलान किया था. ऐसे में इस फैसले ने सभी तरफ से इस यादगार धरोहर को संजोकर रखने और यहां पर एक फिल्म म्यूजियम बनाने जैसी चर्चाओं को जन्म दे दिया था.


मगर राज कपूर के बेटों, रिषी कपूर और रणधीर कपूर ने आगे इस संपत्ति की देखभाल नहीं कर पाने का हवाला देकर इसे गोदरेज प्रॉपर्टीज़ को बेच दिया था. आधुनिक इमारत और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए पिछले कुछ महीने से चल रही तोड़ने की कार्रवाई के बाद ख़बर आई है कि अब इस स्टूडियो को पूरी तरह से जमींदोज़ कर दिया गया है, मगर मुंबई के चेम्बूर इलाके में स्थित आर. के. स्टूडियो की याद को बरकरार रखने के लिए एक बड़ा कदम भी उठाया गया है.


आर. के. स्टूडियो के परिसर में नये निर्माण के लिए स्टूडियो के दोनों शूटिंग फ्लोर, अंदर मौजूद एक कैंटीन और बाक़ी तमाम जगहों को तोड़ दिया गया है, मगर आर. के. स्टूडियो की याद को बनाए रखने के लिए इसके प्रतिष्ठित गेट को नहीं तोड़ने का फैसला लिया गया है. ये गेट हमेशा से आर. के‌ स्टूडियो की पहचान रहा है.


जब एबीपी न्यूज़ ने इस खबर की पुष्टि करने के लिए रणधीर कपूर से संपर्क साधा, तो उन्होंने इस खबर को सही बताया. एबीपी न्यूज़ ने जब उनसे पूछा कि क्या कपूर परिवार की ओर से गोदरेज प्रॉपर्टीज को स्टूडियो के गेट को नहीं तोड़े जाने की गुजारिश की गई थी या फिर बिल्डर कंपनी ने खुद ही इस गेट को जस का तस रखने का फैसला किया है?


इस पर रणधीर कपूर ने स्पष्ट रूप से कहा कि गेट को नहीं तोड़ने का फैसला गोदरेज प्रॉपर्टी ने खुद ही लिया है और कपूर परिवार ने ऐसा करने के लिए उन्हें अप्रोच नहीं किया था. अंत में रणधीर कपूर ने कहा कि जो भी हो, वो इस फैसले से खुश हैं.


उल्लेखनीय है कि आर. के. स्टूडियो के एक शूटिंग फ्लोर में सितंबर, 2017 को भयानक आग लग गयी थी, जिसमें आर. के. स्टूडियो में सहेज कर रखे गये पुराने फिल्मों के कॉस्ट्यूम्स, विभिन्न तरह के स्मृति चिह्न और अन्य साजो-सामान जलकर खाक हो गए थे. इस आग में स्टूडियो को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा था. ऐसे में कपूर परिवार ने ये कहते हुए इसे बेचने का फैसला लिया था कि कपूर परिवार पहले से ही घाटे में चल रहे आर. स्टूडियो को चलाकर और घाटा झेलने की हालत में नहीं है.