Ideas Of India 2024: आमिर खान हर बार एक ऐसी फिल्म लेकर आते हैं जो ना सिर्फ लोगों के पसंद आती है बल्कि लोगों के दिमाग पर एक अलग छाप छोड़ जाती है. ऐसी ही एक फिल्म लेकर आ रहे हैं किरण राव और आमिर खान. इस फिल्म का नाम है लापता लेडीज. इस फिल्म के बारे में बात करने के लिए आमिर खान और किरण राव ने एबीपी नेटवर्क के वार्षिक शिखर सम्मेलन 'आइडिया ऑफ इंडिया' शिरकत की. आमिर ने बताया कि कैसे किरण ने इस फिल्म को बनाया.
आमिर खान ने बताया कि 'ये स्क्रिप्ट पहले मेरे पास आई थी. ये स्क्रिप्ट मेरे पास एक कॉम्प्टिशन में आई थी. उस कंप्टीशन का मैं ज्यूरी था. मुझे पता था किरण बहुत समय से कोई स्क्रिप्ट ढूंढ रही थीं. वो एक अच्छी राइटर हैं उन्होंने कई कहानियां लिख ली थी और हर दूसरे-तीसरे महीने वो मुझे कहानी सुनाती थी तो फिर मैंने उन्हें ये स्क्रिप्ट दी. हम दोनों को ही ये बहुत पसंद आई.'
आमिर खान ने दिया था स्क्रीन टेस्ट
आमिर खान ने कहा- किरण ने कहा- 'अच्छा आप बहुत बड़े स्टार हैं. मेरी फिल्म छोटी सी है आप उसे डिसबैलेंस कर देंगे. मैंने कहा आप स्क्रीन टेस्ट ले लीजिए कि क्या मैं कर पाता हूं या नहीं. स्क्रीन टेस्ट देखने के बाद हम दोनों ने डिसकस किया कि जब मैं बतौर स्टार आऊंगा तो मुझसे उम्मीदें की जाती हैं. किरण ने आगे कहा- आमिर ने कहा मैं पूरा हुलिया बदल दूंगा अपना फिर मैंने कहा तुम्हारा फायदा क्या हुआ फिल्म में होने का फिर.'
आपस में भिड़े आमिर-किरण
किरण आगे कहती हैं कि रवि किशन फिल्म में रॉनेस लाते हैं. जिसके बाद आमिर कहते हैं कि 'वैसे भी रवि मेरा आइडिया था. किरण कहती हैं- नहीं मेरा आइडिया था. जिसके बाद दोनों के बीच तू-तू मैं-मैं हो जाती है.'
नई स्टार कास्ट के साथ कैसा था अनुभव
किरण ने कहा-'नई स्टार कास्ट के साथ काम करने के अपने डर और बहुत सी चीजें होती हैं सब नया पैकेज है क्योंकि आपको खुद पता नहीं होता है वो कैसे करेंगे. सारे एक्टर्स के साथ हमने बहुत वर्कशॉप किए, रिहर्सल किए. भोजपुरी रिहर्सल बहुत किए बच्चों ने.'
शूटिंग का सुनाया अनुभव
आमिर ने रिहर्सल के बारे में बात करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा रिहर्सल मैं करता हूं. मैं आपको कयामत से कयामत तक का एक कहानी सुनाता हूं. 'मेरी पहली फिल्म थी और मैं फिल्मसिटी में शूट कर रहा था. मेरी कजिन नूजत मेरे साथ थी, डायरेक्टर मंसूर बाहर सेट लगा रहे थे. मैं, नूजत, जुर्शी और शायद रीना हम लोग मेकअप रुम में बैठे हुए थे. डे सीन था और शाम का शूट था तो 1-2 घंटे का गैप था. क्योंकि रात का सीन था तो हम सूरज ढलने का इंतजार कर रहे थे. उस ब्रेक के दौरान मेकअप रुम के बाहर कोई शूटिंग चल रही थी. आवाजें आने लगीं, लाइट्स लगने लगीं और एक्शन की आवाज आने लगी और एक्टर की रिहर्सल होने लगी. उस एक्टर ने 100-200 बार उस लाइन को बोला. एक प्वाइंट के बाद मैंने बोला इतना कौन रिहर्सल कर रहा है. मैं वहां गया और दरवाजा खोल के देखा तो अमित जी रिहर्सल कर रहे थे. उस समय मैं उनका बहुत बड़ा फैन था. मैं वहां साइड में बैठ गया और देखने लगा कि वो एक सीन के लिए कितनी मेहनत कर रहे थे. इतने फोकस थे वो और इतनी मेहनत कर रहे थे. उस समय मॉनिटर नहीं हुआ करते थे. प्रकाश जी डायरेक्टर थे उन्होंने कहा कि सीन हो गया सीन बदल रहा था लेकिन वो उसी में अटके हुए थे. वो प्रकाश जी के पास गए और उनसे बात करने लगे. वो मेरे लिए सबसे बड़ा लेसन था. रिहर्सल का कोई अंत नहीं होता है.'
लगान में असिस्टेंट डायरेक्टर थीं किरण राव
इस फिल्म का सेट 2001 का बताया गया है. 2001 में आई लगान के सेट पर ही आमिर और किरण की मुलाकात हुई थी. इस फिल्म को किरण ने असिस्ट किया था. लापता लेडीज में भी 2001 का सेट दिखाया गया है. किरण ने बताया कि 'ये ऐसा इसलिए किया है क्योंकि उस समय फोन नहीं होते थे. दोनों लड़कियां चार दिन से गायब हैं. तो आज के समय में गुमना मुश्किल है इसलिए तब का सेट लिया गया था.'
फिल्म में उठाए गए मुद्दे
किरण ने बताया कि फिल्म में कई गंभीर मुद्दे उठाए गए हैं लेकिन उन्हें इस तरह से दिखाया गया है कि वो ज्यादा भारी ना लगें. इस बारे में बात करते हुए आमिर ने कहा- 'लोगों को लगता है मैं पहले सोशल मुद्दा देखता हूं उसके बाद फिल्म बनाता हूं. ऐसा नहीं है. लोग एंटरटेन होने के लिए थिएटर में आते हैं. मैं सोशियोलॉजी के लिए नहीं लाता हूं. लोगों को लेसन चाहिए फिल्म से तो वो कॉलेज जाएंगे. थिएटर का टिकट खरीदकर आए हैं तो उन्हें मजा चाहिए. आपकी कहानी पहले मजेदार होनी चाहिए उसके बाद उसमें मैसेज दिया जाना चाहिए. जरुरी नहीं हर फिल्म मैसेज के लिए हो. हमने कई फिल्में बनाई हैं जिसमें कोई मैसेज नहीं है. मैं तारें जमीन पर, लापता लेडीज जैसी कोई फिल्म करता हूं तो वो पहले मुझे एंटरटेन करती हैं. उनमें से कुछ ऐसी होती हैं जो इंपोर्टेंट चीज भी कह रही हैं लेकिन उनकी वजह से मैं फिल्म नहीं बना रहा हूं. स्क्रिप्ट एंटरटेनिंग होनी चाहिए. पहले वो मुझे एंटरटेन करे. फिर मैं उम्मीद कर सकता हूं कि वो लोगों को पसंद आएगी.'
लाल सिंह चड्ढा पर की बात
आमिर खान ने अपन आखिरी फिल्म लाल सिंह चड्ढा के बारे में बात की. उन्होंने कहा- 'अद्वैत, मैंने, करीना सभी ने फिल्म पर बहुत मेहनत की लेकिन वो नहीं चली. जब मैं फेलियर्स को देखता हूं तो मुझे लगता है वो मेरे लिए सबसे बड़ा मौका है कुछ सीखने का. दो चीजें हुईं. एक तो काफी समय के बाद मेरी फिल्म नहीं चली थी. दूसरी फैमिली के लोग, दोस्त सब लोग घर आ रहे थे. कैसा है तू. दो-तीन हफ्ते के बाद मुझे महसूस हुआ. मैं फैमिली के साथ बैठ हुआ तो मैंने कहा-यार फ्लॉप के बाद इतना प्यार मिलता है तो मैं 2-4 फ्लॉप पहले और दे देता. वो मजाकिया साइड है. लेकिन फेलियर आपको मौका देता है सीखने का, समझने का कि आपसे कम्यूनिकेशन में क्या कमी रह गई. मैंने इस बारे में बहुत सोचा और मैं किरण से कह रहा था कि ये मेरे लिए बहुत बड़ी लर्निंग है. मैंने इस फिल्म में इतनी गलतियां कि हैं और इतने लेवल पर. सारी गलतियां एक ही फिल्म में हुई. ये अलग-अलग फिल्म में हो जाती तो गड़बड़ हो जाती. मैं इमोशनली मैं दुखी हूं कि फिल्म नहीं चली.'
बतौर पति मुझमें क्या-क्या कमी थीं
आमिर खान ने कहा-'हाल ही में मेरा और किरण का तलाक हुआ है. तो एक शाम हम बैठे हुए थे तो मैंने किरण से पूछा कि बतौर पति मुझमें क्या-क्या कमी थी? किरण ने कहा हां लिखो- आप बहुत बात करते हैं, आप किसी को बात नहीं करने देते हैं. एक प्वाइंट पर घुसे रहते हैं. ऐसे ही कुछ 15-20 प्वाइंट मैंने लिखे हुए हैं.'
आमिर में क्या खूबी है
किरण ने आखिरी में बताया कि आमिर खान में क्या खूबी है. उन्होंने कहा- 'आमिर बहुत ओपन माइंडिड हैं. अगर आप लॉजिकली उन्हें कुछ समझाएं और उन्हें उसमें वैल्यू दिखे तो वो कभी मना नहीं करते हैं. बहुत जल्दी उसे स्वीकार लेते हैं. ये बात बिल्कुल सही है. वो ओपन माइंड से सब सुनते हैं.'