Ideas of India Summit 2024: सिनेमा समाज को तोड़ रहा है या जोड़ रहा है? जानिए- क्या बोले विपुल शाह और मधुर भंडारकर
Ideas of India Summit 2024: एबीपी नेटवर्क के सालाना शिखर सम्मेलन 'आइडिया ऑफ इंडिया' में आज फेमस डायरेक्टर मधुर भंडारकर, विपुल शाह और लीना यादव ने फिल्मों से जुड़े मुद्दे पर बात की.
ABP Network Ideas Of India Live: फिल्में और सिनेमा समाज को एकजुट कर रहा है या फिर तोड़ रहा है? इस मुद्दे पर हमेशा से ही बहस होती रही है. आज एबीपी नेटवर्क के वार्षिक शिखर सम्मेलन 'आइडिया ऑफ इंडिया' में इसी मुद्दे पर फिल्ममेकर मधुर भंडारकर, विपुल शाह और लीना यादव ने बातचीत की.
विपुल शाह बोले- हम डिवाइड नहीं कर रहे
विपुल शाह ने कहा, "मै सोचता हूं कि अब इंडिया में पॉलिटिकल अवेयरनेस है. लोग राजनीति में अब ज्यादा जुड़ने लगे हैं इसलिए कुछ फिल्में बाय नेचर पॉलिटिकल नहीं है लेकिन वो पॉलिटिकल डिबेट में टर्न हो जाती हैं. जहां तक फिल्मों के डिवाइड या एकजुट करने की बात है तो पहले फिल्मों में पॉलिटिकल लिनिंग नहीं थी और ओपन में डिस्प्ले होती थीं. लेकिन आज ऐसा नहीं है. हर कोई अपनी पॉलिटिकल चॉइस और आइडियोलॉजी रखता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम डिवाइड हो रहे हैं."
विपुल शाह बोले- सच्चाई नहीं दिखाने दी जाती
उन्होंने आगे कहा कि बॉलीवुड को लेकर कहा जा रहा है कि वह बंटता जा रहा है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ''हम कुछ फिल्मों से सहमत नहीं हो सकते हैं, कुछ मेरे विचारों से सहमत नहीं होंगे. लेकिन इसका मतलब ये नहीं हैं कि हम एक दूसरे के खिलाफ हैं और हम डिवाइड हो रहे हैं.''
विपुल ने आगे कहा, "मैंने केरला स्टोरी बनाई तो लोगों ने कहा कि मैं मुस्लिम के विरोध में हूं. मैंने 18 फिल्में बनाई हैं. दो फिल्मों में ही मुस्लिम विलेन है. बाकी में हिंदू विलेन है. तो मैं क्या मैंने विरोध में काम किया है. उन तीन लड़कियों के साथ जो हुआ उसे कोई नकार नहीं सकता है. क्या हमें ऐसी फिल्में बनानी बंद कर देना चाहिए? नहीं. केरला स्टोरी तीन लोगों की सच्ची कहानी थी, अगर आप ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां आपको सच्चाई नहीं दिखाने दी जाती है, तो आप फिर बहुत ही खतरनाक समाज में रह रहे हैं. "
मधुर भंडारकर बोले- डिविजन हमेशा से रहा है
वहीं, मधुर भंडारकर ने कहा कि हम इंडस्ट्री में सभी तरह के लोगों, कास्ट एंड क्रीड के साथ काम करते हैं. ऐसा कभी नहीं होता कि हम इसके साथ काम करेंगे, उसके साथ काम नहीं करेंगे. हम लोग सबके साथ काम करते हैं. उन्होंने आगे एक वाकये का जिक्र किया. भंडारकर ने कहा, ''लेकिन क्या होता है कि अभी जो मैंने नोट किया है कि मैंने फिल्म बनाई इंदू सरकार, इमरजेंसी पर बैकड्रॉप पर बनाई तो उसमें मैंने काफी रिसर्च की. मैं दिल्ली में नेहरू मेमोरियल भी गया. और मैंने वहां देखा कि इमरजेंसी के टाइम में भी फिल्म इंडस्ट्री में डिविजन था. कुछ ऐसे लोगों की बात करें, तो कुछ ऐसे लोग थे जिन्होंने मिसेज गांधी को सपोर्ट किया तो कुछ ने विरोध भी किया. यहां तक कि कुछ वेटरन एक्टर ने भी अपनी पार्टी बनाई थी. वो डिविजन हमेशा रहा है. लेकिन उस वक्त इतने चैनल नहीं थे, सोशल मीडिया नहीं था, जिसके बारे में हम इतनी बात करते हैं.''
मुधर भंडारकर बोले 'एनिमल' पर भी लोगों अलग राय थी
मधुर भंडारकर ने आगे कहा, " घर में भी किसी को कोई एक्टर अच्छा लगता है किसी कोई, हाल ही में एनिमल फिल्म पर भी काफी डिबेट हुई थी किसी को ये फिल्म अच्छी लगी तो किसी ने इसे क्रिटिसाइज भी किया. सबके अपने-अपने विचार होते हैं. मुझे लगता है कि इंडस्ट्री एक है लेकिन सबके अपने-अपने विचार हैं और वे जरूरी हैं. "
बॉलीवुड के राजनीतिकरण पर क्या बोलीं लीना यादव?
फिल्ममेकर लीना यादव ने बॉलीवुड के राजनीतिकरण पर अपने विचार रखे. उन्होंने का कहा कि पॉलिटिक्स के बिना फिल्में नहीं बनाई जा सकती हैं. हर फिल्ममेकर अपनी कहानी में राजनीति को सामने रखता है. बॉलीवुड एक क्म्यूनिटी के रूप में नहीं है. फिल्ममेकर की आपस में बातचीत नहीं होती है. सोशल मीडिया पर हर किसी को अपना रुख स्पष्ट करने का दबाव रहता है.