मुंबई: अभिनेत्री कंगना रनौत अपने बोल्ड अंदाज़ और विचारों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं. अब एक बार फिर वह अपने बयान की वजह से हेडलाइन्स बना रही हैं. दरअसल हाल ही में कंगना ने इशा फाउंडेशन के लीडर सदगुरु से बातचीत की थी. उनकी बातचीत काफी विवादों में आ गई थी. क्योंकि कई लोगों ने आरोप लगाया कि कंगना ने लिंचिंग को सही ठहराया और उदारवादियों का भी मज़ाक उड़ाया है.


इस विवाद के बाद अब कंगना रनौत ने मिड-डे से बात करते हुए कहा है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह उन बातों पर अब भी कायम हैं. उन्होंने कहा, “आध्यातमिकता आज की ज़रूरत है. दरअसल आईडिया ये था कि ज़रूरी विषयों पर बातचीत हो. इस देश में लोग कुपोषित हैं. शिक्षा तक उनकी पहुंच नहीं. उनकी बेसिक ज़रूरते भी पूरी नहीं हो पा रही हैं. मुझे लगता है कि तथा-कथित उदारवादी लोग दुनिया के नज़रिए से ही बंधे हुए हैं.


कंगना से जब पूछा गया कि क्या वह लिंचिंग को सामान्य घटना मानती हैं तो उन्होंने कहा, “हम लिंचिंग को किसी भी तरह से सामान्य नहीं कह रहे हैं. अगर कोई धर्म गाय की पूजा करता है, तो आप गोकशी कैसे कर सकते हैं. मैं शाकाहारी हूं और मैं कच्चा मीट नहीं देख सकती. मैं अपने पसंद को लेकर शर्मिंदा नहीं हो सकती. अगर ये एक भावनात्मक चीज़ है तो लोगों को क्यों भड़काएं.”


कंगना ने यह भी कहा कि कोई भी उदारवादी चोले के पीछे रहकर लोगों की भावनाओं को आहत नहीं कर सकता. कंगना ने आगे कहा, “हमारे जैसे विविधता भरे देश में सभी को लोगों की भावनाओं का खयाल रखना चाहिए.” कंगना ने यह भी कहा कि तथा कथित लिबरल्स का एजेंडा होता है कि वह सरकार के खिलाफ जाए. राष्ट्रगान का विरोध करें. फिर वो कैसे देश के लिए खड़े हो सकते हैं.


कंगना की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि वह बहुसंख्यकवादी राजनीति को बढावा दे रही हैं. इस पर उन्होंने कहा, “पिछली सरकार अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक को बांटकर राजनीति कर रही थी. हकीकत यह है कि बहुसंख्यक को डर लगा रहता है कि अल्पसंख्यक हितैषी सरकार उन्हें बाहर कर देगी. सरकार किसी भी साइड के लिए पक्षपाती नहीं हो सकती. हमारे धर्म बहुत खूबसूरत हैं, लेकिन हमें राष्ट्रीयता का भी खयाल रखना चाहिए ताकि हम एक दूसरे के साथ बंधे रहे.