अपने करियर में मन्ना डे ने गाए लगभग 4 हज़ार गाने, साठ और सत्तर के दशक की हर बड़ी फिल्म में सुनाई देती थी उन्हीं की आवाज़
मन्ना डे को प्यार से मन्ना दा भी कहा जाता है. जिन्होंने आज़ादी से पहले ही अपने करियर की शुरुआत कर दी थी. साल 1942 में उन्हें तमन्ना फिल्म में गाने का मौका मिला. जिसमें उनके साथ थीं सुरैया. इस फिल्म में संगीत दिया था कृष्ण चंद्र डे ने. ये गाना ज़बरदस्त हिट रहा था.
![अपने करियर में मन्ना डे ने गाए लगभग 4 हज़ार गाने, साठ और सत्तर के दशक की हर बड़ी फिल्म में सुनाई देती थी उन्हीं की आवाज़ In his career Manna Dey sang about 4 thousand songs His voice was heard in every major film of the sixties and seventies. अपने करियर में मन्ना डे ने गाए लगभग 4 हज़ार गाने, साठ और सत्तर के दशक की हर बड़ी फिल्म में सुनाई देती थी उन्हीं की आवाज़](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/10/21033929/Mana-Dey.gif?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
वो साठ और सत्तर के दशक का दौर था जब हर बड़ी फिल्म में एक आवाज़ बेहद कॉमन थी. वो आवाज़ थी मन्ना डे की..जिनके साथ हर म्यूज़िक कम्पोज़र काम करना चाहता था और हर निर्देशक की इच्छा होती थी उनकी आवाज़ में गाए गाने की. तभी तो अपने करियर में उन्होंने लगभग 142 फिल्मों में आवाज़ दी. फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन प्लेबैक सिंगर मन्ना डे आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके गाए गानों के ज़रिए आज भी वो हमारे बीच ज़िंदा हैं और हमेशा रहेंगे.
तमन्ना फिल्म से की थी करियर की शुरुआत
मन्ना डे को प्यार से मन्ना दा भी कहा जाता है. जिन्होंने आज़ादी से पहले ही अपने करियर की शुरुआत कर दी थी. साल 1942 में उन्हें तमन्ना फिल्म में गाने का मौका मिला. जिसमें उनके साथ थीं सुरैया. इस फिल्म में संगीत दिया था कृष्ण चंद्र डे ने. ये गाना ज़बरदस्त हिट रहा था. इस फिल्म से एक खास बात ये भी जुड़ी है कि यही वो इकलौती फिल्म थी जिसे महात्मा गांधी ने देखा था.
70 के दशक में मिली असली पहचान
1961 में रिलीज़ हुई काबुलीवाला से मन्ना डे को असल पहचान मिली. और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. उन्हें कई बड़ी फिल्मों में गाने का मौका मिला. और वो आगे ही आगे बढ़ते रहे. उन्हें खासतौर से शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल थी. इसीलिए जब भी किसी को कोई शास्त्रीय शैली में गाना गवाना होता था तो मन्ना डे ही सभी की पहली पसंद थे.
संगीत के साथ मज़ाक नहीं था पसंद
मन्ना डे संगीत को लेकर काफी गंभीर थे और इसीलिए उन्हें इसके साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ पसंद नहीं था. इसीलिए पड़ोसन फिल्म के गाने 'इक चतुर नार बड़ी होशियार' के दौरान उनकी नोक झोक किशोर कुमार से भी हो गई थी. लाख समझाने के बाद भी उन्होंने वो गाना वैसे ही गाया जैसा वो गाना चाहते थे. और जो उन्हें पसंद नहीं था वो उन्होंने कतई नहीं किया.
करियर में गाए 4 हज़ार से ज्यादा गाने
मन्ना डे की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने करियर में उन्होंने 148 फिल्मों के लगभग 4 हज़ार गानों में अपनी आवाज़ दी. और हर गाना सुपरहिट रहा. उनकी आवाज़ के फैन तो मोहम्मद रफी भी थे. एक बार रफी ने कहा था - “आप लोग मेरे गीत को सुनते हैं लेकिन अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं कहूंगा कि मैं मन्ना डे के गीतों को ही सुनता हूं.”
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