Best Female Indian Directors: दुनिया को कैमरे की नजर से परखना आसान नहीं. फिर अपने नजरिए से दुनिया को दुनिया दिखाना तो और भी मुश्किल है. पहले इस काम में भी पुरुषों का वर्चस्व था, लेकिन कुछ महिलाओं ने बताया कि उनकी नजर कैमरे से भी ज्यादा तीखी है. साथ ही, उन्होंने अपनी काबिलियत का असर पूरी दुनिया को दिखा दिया. बात हो रही है बॉलीवुड की महिला निर्देशकों की, जिन्होंने कहानी बुनने से लेकर सिनेमाई सपने दिखाने तक में कोई कमी नहीं छोड़ी.


मीरा नायर
बात सलाम बॉम्बे की हो, मॉनसून वेडिंग का जिक्र हो या नेमसेक की खबरें एक बार फिर चर्चा में आ जाएं... नाम सिर्फ एक ही लिया जाएगा और वह नाम मीरा नायर का है. दरअसल, मीरा किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. मीरा नायर के बारे में बस यही कहा जाता है कि किसी भी कहानी पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत कैसे हो सकती है... कान, वेनिस से लेकर नेशनल अवॉर्ड तक, हर मोर्चे पर वह अपनी काबिलियत साबित कर चुकी हैं.


जोया अख्तर
एंटरटेनमेंट... एंटरटेनमेंट... एंटरटेनमेंट... जोया अख्तर की जिंदगी में अगर कोई चीज सबसे ज्यादा है तो वह एंटरटेनमेंट ही है... दरअसल, जाने-माने लेखक और लिरिक्स राइटर जावेद अख्तर उनके पिता हैं. वहीं, सिनेमा के नए युग से रूबरू कराने वाले फरहान उनके भाई हैं. ऐसे में सिनेमा की समझ की बात हो या कहानी पर पकड़ का जिक्र, जोया की काबिलियत का कोई भी सानी नहीं है. उन्होंने लक बाई चांस से बॉलीवुड डेब्यू किया था, जिसकी कामयाबी ने पूत के पांव पालने में ही दिखा दिए थे. इसके अलावा जिंदगी न मिलेगी दोबारा और दिल धड़कने दो जैसी मसाला फिल्में भी बना चुकी हैं.


नंदिता दास
पहले उन्होंने एक्टिंग से लोगों की नजर में अपनी जगह बनाई, फिर अपने नजरिए से लोगों के सोचने का तरीका बदल दिया. दरअसल, बात हो रही है नंदिता दास की, जो ब्राउन ब्यूटी के नाम से मशहूर हैं. फिल्मों के निर्देशन में नंदिता दास की समझ इतनी बेहतरीन नजर आती है कि वह अपने ख्यालों के रंग को बेहद खूबसूरती से बड़े पर्दे पर उतार लेती हैं.


दीपा मेहता
उनकी कहानियां भले ही विवादों में रहती हैं, लेकिन उन फिल्मों के प्लॉट्स इतने क्लियर होते हैं कि सब्जेक्ट बेहद आसानी से समझ आ जाता है. बात दीपा मेहता की हो रही है, जिन्होंने सिनेमा को कभी 'फायर' के हवाले किया तो कभी 'वॉटर' से भिगो दिया. दीपा ने अपनी पहली ही फिल्म में लेस्बियन रोमांस को बड़े पर्दे पर उकेरा था और यह साबित कर दिया कि अगर बात क्रिएटिविटी की हो तो उनसे बढ़कर कोई नहीं.


गौरी शिंदे
हाउस वाइफ कोई मशीन नहीं होतीं, उनके भी कुछ अरमान होते हैं. कुछ सपने होते हैं, जिन्हें वो अपने परिवार के लिए खुशी-खुशी कुर्बान कर देती हैं. यह बात जानता तो हर कोई है, लेकिन उसे बड़े पर्दे पर बेहद खूबसूरती से गौरी शिंदे ने उतारा था. गौरी की फिल्म इंग्लिश-विंग्लिश से ही श्रीदेवी ने 15 साल बाद बड़े पर्दे पर कमबैक किया था. इस फिल्म से गौरी ने एक गृहिणी का अंतर्द्वद्व जिस तरह उकेरा, वह बेहतरीन था.


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