International Women's Day: इन महिलाओं ने बढ़ाया देश का मान, फिल्में बनाकर दिया गया सम्मान
Women's Day 2023: मौका-ए-दस्तूर है इंटरनेशनल वीमेंस डे का और हम आपको रूबरू कर रहे हैं उन शख्सियत से, जिन पर फिल्में बनाकर उनका सम्मान बढ़ाया गया.
Happy Womens Day 2023: उनकी काबिलियत के आगे पूरी दुनिया सिर झुका चुकी है. बात हो या अंदाज, हर कोई उनका लोहा मान चुका है. आलम तो इस कदर है कि सिनेमा भी सलाम ठोंककर उनका इस्तकबाल कर चुका है. दरअसल, मौका-ए-दस्तूर है इंटरनेशनल वीमेंस डे का और हम आपको रूबरू कर रहे हैं उन शख्सियत से, जिन पर फिल्में बनाकर उनका सम्मान बढ़ाया गया.
सांड की आंख
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में छोटा-सा गांव है जोहर. यहां तोमर खानदान की बहुओं चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर ने अपनी जिंदगी के 60 साल खाना पकाने, पति की सेवा करने और खेत जोतने में गुजारने के बाद शूटर बनने का सपना देख डाला. उन्होंने सपना क्या देखा, उसे साकार भी कर दिया. शूटर दादी के नाम से मशहूर हुईं चंद्रो और प्रकाशी तोमर का सम्मान सिनेमा ने भी दिल खोलकर बढ़ाया. साथ ही, उन पर फिल्म बनाई गई और इसका नाम सांड की आंख रखा गया. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहले इस फिल्म का नाम वुमनिया था, लेकिन टाइटल को लेकर विवाद के चलते नाम में बदलाव किया गया. इस फिल्म में चंद्रो तोमर का किरदार भूमि पेडनेकर तो प्रकाशी तोमर की भूमिका तापसी पन्नू ने निभाई थी. तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अनुराग कश्यप सह-निर्माता थे, जबकि इस फिल्म की कहानी जगदीप सिद्धू ने लिखी थी. बता दें कि इस फिल्म में प्रकाश झा ने भी अहम भूमिका निभाई थी.
गुलाब गैंग
साल 2014 में माधुरी दीक्षित को लेकर एक फिल्म बनाई गई. इसका नाम रखा गया गुलाब गैंग. फिल्म बनने की शुरुआत से लेकर रिलीज होने तक इसका नाम संपत पाल और गुलाबी गैंग से जुड़ता रहा. फिल्म के निर्माता ने बार-बार इस बात से इनकार किया, लेकिन यह बात सभी जानते थे कि इस फिल्म की प्रेरणा हकीकत के गुलाबी गैंग से ही ली गई थी. दरअसल, गुलाबी गैंग उत्तर प्रदेश के बांदा में बना महिलाओं का ऐसा ग्रुप था, जिसने घरेलू हिंसा और खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले किसी भी तरह के अपराध से निपटने के लिए कमर कसी थी. संपत लाल देवी सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिनके नेतृत्व में बने इस गैंग में 18 से 60 साल तक की महिलाएं शामिल थीं.
छपाक
देश में एसिड अटैक के मामले आज तक थमे नहीं हैं, लेकिन साल 2020 में रिलीज हुई फिल्म 'छपाक' ने इस मसले की गंभीरता को लोगों के सामने रखा. दरअसल, यह कहानी दिल्ली की एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की थी, जिन पर उनके एकतरफा आशिक ने तेजाब फेंक दिया था. कई महीने तक इलाज के बाद भी लक्ष्मी का चेहरा पूरी तरह बिगड़ गया था. शुरुआत में तो उन्होंने आत्महत्या करने का मन बना लिया था, लेकिन उन्होंने एसिड पीड़िता के प्रति समाज के बदलने रवैये से लड़ने की ठानी और 2006 में एसिड बैन को लेकर पीआईएल डाली. 2013 में वह केस भी जीत गईं. फिल्म छपाक ने लक्ष्मी का किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया था.
गुंजन सक्सेना: द करगिल गर्ल
देश के इतिहास में करगिल वॉर ने काफी कुछ बदला. देश का लड़ने का तरीका बदला तो जवानों ने घर में घुस चुके दुश्मन को धूल चटाने का हौसला भी दिखाया, लेकिन इसी करगिल वॉर ने देश को उस वक्त की पहली महिला पायलट से भी रूबरू कराया. उस पायलट का नाम गुंजन सक्सेना था, जिन्हें द करगिल गर्ल भी कहा जाता है. साल 2020 में रिलीज हुई फिल्म में गुंजन सक्सेना की भूमिका जान्हवी कपूर ने निभाई थी. बता दें कि 1999 में जब करगिल वॉर छिड़ी, उस वक्त गुंजन महज 19 साल की थीं. उनकी पोस्टिंग 132 फॉरवर्ड एरिया कंट्रोल (FAC) में हुई थी, जहां से उन्हें जंग में घायल हो चुके जवानों को निकालना होता था. साथ ही, उन तक दवाएं, खाना और जरूरी सामान भी पहुंचाना होता था.
दंगल
हरियाणा की मिट्टी ने देश को एक से बढ़कर एक पहलवान दिए. इसी सरजमीं से गीता फोगाट भी निकलीं, जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में रेसलिंग में देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाया. इन्हीं गीता फोगाट और उनके पिता महावीर फोगाट की कहानी फिल्म दंगल में दिखाई गई थी. दिसंबर 2016 के दौरान रिलीज हुई इस फिल्म में महावीर फोगाट का किरदार आमिर खान ने निभाया, जबकि गीता फोगाट की भूमिका में फातिमा सना शेख नजर आई थीं.