इरफान का ज्यादातर बचपन जयपुर और टोंक में बीता है. उनके पिता राजस्थान के जयपुर के पास के एक गांव में रहते थे, वहीं उनकी माता बेगम खान टोंक की हाकिम फैमिली से थीं. बचपन से ही उन्हें कहानियां सुनने के बहुत शॉक था. इरफान बताते हैं कि ''जब मैं छोटा था तो मैं कहानियां ढूंढा करता था और आलम ये था कि रेडिया पर भी कहानियां सुना करता था. टोंक में मेरी खाला का घर सिनेमाघर के पास था इतना पास कि दोनों की दीवारें एक दूसरे से मिलती थी. जब हम छुट्टियों में वहां जाया करते थे तो वो हमें टिकट चैक करने वाले से कहकर हॉल में एंट्री दिलवा दिया करती थी.''
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इरफान को यूं तो कहानियों का शौक बचपन से था लेकिन करीब 16 साल की उम्र में इस शौक की ओर उनका रुझान ज्यादा होने लगा और इसके लिए वो नसीरुद्दीन शाह और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का शुक्रिया अदा करते हैं. आपको बता दें कि इरफान खान लेजेंडरी एक्टर नसीरुद्दीन शाह के प्रशंसक हैं और उनके काम को खासा पसंद करते हैं. इरफान ने एक बार राज्सभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ''उस वक्त मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म प्रेम प्रतिज्ञा रिलीज हुई थी और किसी ने मुझे कहा था कि मेरी शक्ल उनसे मिलती है. बस तब से एक अलग ही गलत फहमी दिमाग में पलने लगी. मैं अक्सर उनके जैसे बाल बनाने की कोशिश करता था.''
एक वक्त पर एक्टिंग छोड़ने की सोच रहे थे इरफान
इरफान का फिल्मी सफर इतना भी आसान नहीं रहा, यहां तक कि एक वक्त ऐसा आ गया था जब इरफान एक्टिंग छोड़ने तक के बारे में सोचने लगे थे. एक बार अपने शुरुआती दिनों की बात करते हुए कहा था कि ''उस वक्त जो फिल्में मुझे मिल रही थी मैं उन से बोर हो गया था. ऐसा नहीं था कि मुझे काम नहीं मिल रहा था लेकिन मैं जो काम कर रहा था उससे बहुत ज्याद खुश नहीं था. लेकिन फिर मुझे 1999 में स्टार प्लस के शो स्टार बेस्सैटलर्स उन्हें ऑफर हुआ जिसके बाद मुझे एक के बाद एक अच्छे ऑफर्स मिलते गए. इसी के बाद मुझे इंटरनेशनल प्रोजेक्ट 'द वॉरियर' ऑफर हुआ था.''
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दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं इरफान
इरफान खान इन दिनों एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं. हाल ही में उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक बयान जारी करते हुए जानकारी दी है कि वो एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं जिसका पता लगाने की कोशिश डॉक्टर्स कर रहे हैं.
उन्होंने लिखा, ''कभी-कभी जिंदगी आपको ऐसे झटके देती है जिसकी वजह से आप हैरान हो उठते हैं. पिछले 15 दिनों से मेरी जिंदगी एक सस्पेंस स्टोरी बनी हुई है. मुझे नहीं पता था कि दुर्लभ कहानियों की मेरी खोज मुझे एक दुर्लभ बीमारी तक पहुंचा देगी. मैंने कभी भी अपने फैसलों और चुनावों को लेकर हार नहीं मानी और आगे भी इसके लिए लड़ता रहूंगा. इस मुश्किल समय में मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं और हम इससे उबरने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. आप सभी से ये दरख्वास्त है कि आप मेरी बीमारी को लेकर कोई भी कहानियां न फैलाएं. अगले 10 दिनों में मैं खुद ही आपको अपनी कहानी बताउंगा जब मैं मेरे डॉक्टर्स इस बीमारी को लेकर निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे.''