(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इरफान के बेटे बाबिल ने लिखा- मेरे पिता ने अभिनय कला की तरक्की के लिए पूरी ज़िंदगी लगा दी, पर वो हार गए
बाबिल ने अपने पोस्ट में कहा है कि उनके पिता ने मुश्किल हालातों में भी अभिनय कला की तरक्की के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी लगा दी. बाबिल ने लिखा है कि क्योंकि हम एक दर्शक के तौर पर वही चाहते हैं, उसको एंजॉय करते हैं, हम बस ये चाहते हैं कि हमें मनोरंजन मिले और विचार की सुरक्षा मिले.
नई दिल्ली: कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लंबी जंग के बाद दिग्गज अभिनेता इरफान खान ने इसी साल 29 अप्रैल को दुनिया को अलविदा कह दिया था. इरफान के अचानक निधन से उनके तमाम चाहने वाले और सिनेमाई जगत के साथियों को गहरा झटका लगा था. साथ ही इरफान का परिवार भी सदमे में था. हालांकि अब परिवार धीरे धीरे इरफान के जाने के गम से बाहर आ रहा है. इस बीच इरफान के बेटे बाबिल ने इंस्टाग्राम पर पिता को याद करते हुए कुछ तस्वीरें साझा की हैं और एक लंबा पोस्ट भी लिखा है.
अपने पोस्ट में इरफान को याद करते हुए बाबिल ने लिखा, "क्या आप जानते हैं फिल्म स्कूल जाने से पहले मेरे पिता ने मुझे एक सिनेमा के छात्र होने के नाते सबसे ज़रूरी चीज़ क्या सिखाई? उन्होंने मुझे चेतावनी दी थी कि मुझे खुद को साबित करना होगा, क्योंकि विश्व सिनेमा में बॉलीवुड को शायद ही कभी इज़्ज़त मिले और इस वक्त मुझे भारतीय सिनेमा के बारे में सब जान लेना चाहिए, जोकि हमारे कंट्रोल्ड (नियंत्रित) बॉलीवुड से परे है. दुर्भाग्यवश, ये हुआ."
बाबिल ने आगे लिखा है, "बॉलीवुड का सम्मान नहीं था, 60 से लेकर 90 के दशक के भारतीय सिनेमा या नज़रिए की विश्वसनीयता के बारे में कोई जागरूकता नहीं थी. वहां वर्ल्ड सिनेमा सेगमेंट में 'बॉलीवुड और बियॉन्ड' नाम से मुश्किल से एक लेक्चर था. वो भी कक्षा की हंसी ठिठोली में निकल गया. सत्यजीत रे और के. आसिफ के असली भारतीय सिनेमा के बारे में एक समझदारी भरी चर्चा करना भी मुश्किल था. आपको पता है ये क्यों था? क्योंकि हमनें एक भारतीय दर्शक होने के नाते विकसित होने से इनकार कर दिया."
बाबिल ने अपने पोस्ट में कहा है कि उनके पिता ने मुश्किल हालातों में भी अभिनय कला की तरक्की के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी लगा दी. लगभग उनका पूरा सफर, बॉक्स ऑफिस के हंक्स और सिक्स पैक्स एब्स से, सिनेमाघरों में डायलॉग से और हकीकत को झुठलाने और फिज़िक्स के नियमों को गलत साबित करने वालों से, फोटोशॉप्ड आइटम सॉन्ग से और बेइंतेहा सेक्सिज़्म से और पितृसत्ता की वही-पुरानी पारंपरिक नुमाइंदगी से हार गया.
बाबिल आगे लिखते हैं कि क्योंकि हम एक दर्शक के तौर पर वही चाहते हैं, उसको एंजॉय करते हैं, हम बस ये चाहते हैं कि हमें मनोरंजन मिले और विचार की सुरक्षा मिले. उन्होंने लिखा, "अब एक बदलाव है, हवा में एक अलग खुशबू है. नया नौजवान, नए मतलब की तलाश में है. हमें अपनी ज़मीन पर खड़े रहना है. एक गहरे मतलब के लिए इस प्यास का दमन न होने दें. जब बाल कटवाने के बाद कल्कि को लड़के की तरह दिखने के लिए ट्रोल किया गया था तो एक अजीब से एहसास ने घेर लिया था, वो क्षमता को नाश कर देने वाला था."
बाबिल ने अपने पोस्ट में सुशांत सिंह की मौत के बाद हो रही चर्चा पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि सुशांत की मौत राजनीतिक बहस का प्रवाह बन गई है, लेकिन अगर सकारात्मक बदलाव आएगा तो हम उसे गले से लगाएंगे.
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