Irshad Kamil Unknown Facts: 5 सितंबर 1971 के दिन पंजाब के मलेरकोटला में जन्मे इरशाद आज की तारीख में अपने हुनर में इस कदर कामिल हो चुके हैं, लेकिन लोग उनकी काबिलियत के किस्से सुनाते-सुनाते नहीं थकते. घरवाले उन्हें डॉक्टर के रूप में किसी मुकाम पर देखना चाहते थे. उन्होंने मुकाम हासिल करने के सपने को पूरा कर दिखाया, लेकिन साहित्य की दुनिया का डॉक्टर बनकर. बर्थडे स्पेशल में हम आपको इरशाद कामिल की जिंदगी के उन किस्सों से रूबरू करा रहे हैं, जो आपने शायद ही कभी सुने होंगे.
दोस्तों के लव लेटर लिखते-लिखते हुए काबिल
इरशाद कामिल की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मलेरकोटला में ही हुई. इसके बाद जब वह कॉलेज पहुंचे तो अपने दोस्तों के इश्क को अंजाम तक पहुंचाने के लिए इश्क की चाशनी में डूबे लव लेटर लिखने लगे, जो हसीनाओं के दिल को चीर देते थे. दोस्तों की मोहब्बत मुकम्मल हुई तो इरशाद भी शायरी में कामिल होते चले गए और साहित्य और संगीत महोत्सव में शरीक होने लगे.
मुंबई में किया काफी ज्यादा संघर्ष
मलेरकोटला से स्नातक के बाद इरशाद कामिल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए किया. इसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई करके और पीएचडी भी की. अपने करियर को आकार देने के लिए उन्होंने मुंबई आने की योजना बनाई और सोचने लगे कि अगर वह किसी बड़े अखबार में नौकरी करेंगे तो मुंबई में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. ऐसे में उन्होंने द ट्रिब्यून और इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों में नौकरी की, लेकिन महज दो साल बाद उन्हें समझ आ गया कि नौकरी या गाने लिखने में से उन्हें एक ही रास्ता चुनना होगा. इसके बाद वह काम की तलाश में मुंबई पहुंचे, लेकिन उन्हें काफी ज्यादा भटकना पड़ा.
ठोकर खाकर इरशाद को मिली कामयाबी
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि संघर्ष के दिनों में इरशाद कामिल को धोखा भी मिला था. हुआ यूं था कि चंडीगढ़ में एक शख्स ने उन्हें अपना विजिटिंग कार्ड देकर दिल्ली बुलाया था और कहा था कि वह उन्हें मुंबई ले जाएगा. हालांकि, जब इरशाद दिल्ली पहुंचे तो वह शख्स उनसे मिलने ही नहीं आया. ऐसे में वह तीन दिन तक भटकते रहे और तिब्बतियों के कैंप में उन्होंने वह तीन दिन गुजारे. इसके बाद इरशाद कामिल ने मुंबई का टिकट लिया और अपने सपनों को पूरा करने की उड़ान भर ली. मुंबई में उनकी मुलाकात इम्तियाज अली से हुई. दोनों की दोस्ती इस कदर परवान चढ़ी कि उन्होंने कई फिल्मों में एक साथ काम किया है.