अमिताभ ने अपने इंटरव्यू में इस सीन के बारे में कहा था कि- 'मुझे हैरानी है कि लोगों को फिल्म में वो सीन याद है जिसमें जया लालटेन जला रही थीं और मैं आउटहाउस में बैठा माउथ आर्गन बजा रहा था. इस सीन को शूट करने के लिए एक अलग लाइटिंग की जरूरत थी. हमारे डायरेक्टर सूर्यास्त के समय शॉट लेना चाहते थे. आपको विश्वास नहीं होगा कि रमेश जी ने इस सीन को शूट करने में 3 साल बिता दिए, ताकि उन्हें परफेक्ट शॉट मिल सके.'
रमेश सिप्पी शोले को इंडिया की सबसे बड़ी फिल्म बनाना चाहते थे. 35 एमएम का फॉर्मेट फिल्म को बड़ा बनाने के लिए छोटा था, लिहाजा तय किया गया कि इसे 70 एमएम और स्टीरियोफोनिक साउंड में बनाया जाए. लेकिन विदेशों से कैमरे मंगाकर शूटिंग करने से फिल्म का बजट काफी ऊपर जा रहा था इसीलिए फिल्म की ज्यादातर शूटिंग 35 एमएम में की गई और उसके बाद उसे 70 एमएम में ब्लोअप किया गया.