सुभाष घई के सामने एक डायलॉग भी नहीं बोल पाए थे जैकी श्रॉफ, एक्टिंग करने से भी कर दिया था इनकार- फिर ऐसे हुआ था डेब्यू
Subhash Ghai On Jacki Shroff: सुभाष घई ने जैकी श्रॉफ को अपनी फिल्म हीरो से लॉन्च किया था. जैकी की पहली फिल्म ही हिट साबित हुई थी.
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Jackie Shroff Debut: जैकी श्रॉफ बॉलीवुड के दिग्गज और बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं. जब भी उनका नाम लिया जाता है तो ऐ भिड़ू सभी के दिमाग में आ जाता है. उनका अपना एक अलग स्टाइल है जिसकी वजह से वो जाने जाते हैं. जैकी ने इंडस्ट्री में अपने स्टाइल की वजह से ही अलग पहचान बनाई है. उनका बात करने का स्टाइल ही ऐसा है कि हर कोई उनका दीवाना हो जाता है लेकिन जैकी के लिए इंडस्ट्री में डेब्यू करना आसान नहीं था. जैकी ने जब डेब्यू किया तब उन्हें ना एक्टिंग आती थी, ना डांस आता था और ना ही गाना. ऐसा खुद उन्हें लॉन्च करने वाले सुभाष घई ने बताया था. लेकिन उनकी एक चीज की वजह से सुभाष घई ने उन्हें अपनी फिल्म में लेने के लिए हां कर दिया था. आइए आपको बताते हैं कि कैसे उन्होंने इंडस्ट्री में डेब्यू किया था.
जैकी श्रॉफ ने फिल्म हीरो से बॉलीवुड में कदम रखा था. इस फिल्म में उनके साथ मीनाक्षी शेषाद्री लीड रोल में नजर आईं थीं. सुभाष घई के डायरेक्शन में बनीं हीरो सुपरहिट साबित हुई थी. सुभाष घई ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे उन्होंने जैकी श्रॉफ को कास्ट करने का फैसला लिया था.
नहीं आती थी एक्टिंग
सुभाष घई ने ब्रूट से बातचीत में जैकी श्रॉफ के बारे में बात की. उन्होंने कहा- मैंने कहानी लिखी हीरो की. फिर मैंने एक नया लड़का और लड़की सर्च करना शुरू किया. जैकी को मेरे एक दोस्त अशोक खन्ना ने इंट्रोड्यूस करवाया था. वो जैकी को मेरे घर लेकर आए थे. ये मॉडल टाइप का लड़का है मिल लो. तो मैंने कहा ठीक है. मैंने जैकी को पहला सवाल पूछा-डांस आता है? उन्होंने कहा- नहीं. गाना आता है? उन्होंने कहा- नहीं. एक्टिंग आती है- नहीं. सीधा बोला और मुझे उससे प्यार हो गया. मुझे ईमानदार लोग पसंद हैं. दूसरी चीज मैंने उनके चेहरे पर इंटेंसिटी देखी थी. एक इंटेंसिटी होती है ना जो जिंदगी के थपेड़े खाए हुए जो लोग होते हैं. उनकी आंखों में एक अलग दर्द होता है. वो फेस चाहिए था मुझको.
सुनाई अपनी कहानी
सुभाष घई ने आगे कहा- मैंने उसके बाद उन्हें डायलॉग दिया और छोटा सा कैमरा रखा था. वीडियो कैमरा वाले से कहा चलो तुम ऑन करो और जैकी से कहा कि तुम डायलॉग याद कर लो और बोल लो. उन्होंने कहा कि सर ये डायलॉग तो मुझसे नहीं बोला जाएगा. ये तो दो पेज का एक पेज का है. सुभाष घई ने उनसे कहा कि तुम डायलॉग मत बोलो बात करते हैं. तुम अपनी कहानी सुनाओ मुझे. जब भी कोई अपने घर की कहानी सुनाता है तो वो रियल बन जाता है. इमोशन में आ जाता है. फिर उनसे कहानी सुनाई कि कैसे उसका ब्रदर जो था वो समुद्र में डूब गया किसी को बचाते हुए. कैसे वो सीरियस हो गया. वो सारी बीस मिनट की रिकॉर्डिंग हमने कर ली. मैंने कहा अब जाओ तुम हम कल मिलेंगे.
ऐसे बने हीरो
सुभाष घई ने आगे कहा- रात को मैंने अपने राइटर्स को बुलाया और उन्हें वीडियो दिखाया. देखो वो अपनी कहानी सुना रहा है. उन सबको भी वो बहुत पसंद आया. अगले दिन मैंने उसे बुलाया और कहा कि ये कहानी है तुम मेरे हीरो हो पिक्चर के. वो शॉक्ड हो गया. उन्होंने मुझसे कहा कि सर मुझे एक्टिंग... मैंने कहा मुझे मालूम है नहीं आती है. लेकिन तुम कर लोगे और इस तरह जैकी श्रॉफ हीरो के एक्टर बन गए.
हीरो की बात करें तो ये फिल्म 1983 में आई थी. सुभाष घई की ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी. इस फिल्म में संजीव कुमार, शम्मी कपूर और अमरीश पुरी भी थे.
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