(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Monday Motivation: जैकी श्रॉफ की सिर्फ इतनी बात याद रखें सब ठीक हो जाएगा- 'लाइफ इंजॉय करने का, चलते रहने का, मजा लेने का'
Monday Motivation: आज का दिन आपके लिए खास है. आंख खुल गई है तो निकलिए बाहर काम है तो काम कीजिए नहीं है तो वेट कीजिए, टेंशन नहीं लेना है. टेंशन दूर करना है तो जैकी श्रॉफ की ये बातें याद करना है...
Monday Motivation: जैकी श्रॉफ बॉलीवुड में तब जगह बना पाने में सफल हुए थे, जब अमिताभ और धर्मेंद्र जैसे एक्टर्स का दौर था. सुभाष घई ने उन्हें फिल्म 'हीरो' से लॉन्च किया था. मुंबइया स्टाइल में बोलचाल वाले और मूछों वाले किसी नए लड़के को नई फिल्म में ब्रेक देना सुभाष घई के लिए रिस्क जैसा तो था, लेकिन उन्हें वो रिस्क लेने का फायदा मिला. फिल्म रिलीज होते ही बड़ी हिट हो गई. इसके बाद, जैकी श्रॉफ को देशभर में दर्शकों से प्यार मिलने लगा.
फिर एक दौर ऐसा भी आया जब उनके साथ कोई भी बड़ा स्टार आए चाहे वो अनिल कपूर हों या संजय दत्त. उस फिल्म में जैकी श्रॉफ का रोल ज्यादा वजन वाला रखा जाता था. राम लखन, खलनायक, जंग और त्रिमूर्ति जैसी फिल्में इसका उदाहरण भी हैं. ऐसे दौर में भी जैकी श्रॉफ अपनी जमीन से जुड़े रहे. उन्होंने लंबा संघर्ष झेला है. बचपन से मेहनत की है और तब जाकर ये मुकाम हासिल किया. आज कहानी उनके संघर्षों कीं, सिर्फ इसलिए नहीं ताकि आप उनके बारे में जान सकें. बल्कि इसलिए भी क्योंकि आज की सुबह आपके लिए खास है. अगर आप किसी तरह की नेगेटिविटी से गुजर रहे हैं, तो ये कहानी आपके लिए मोटिवेशन का काम कर सकती है.
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जैकी श्रॉफ के बचपन से जवानी का सफर
जैकी श्रॉफ बचपन में मुंबई की एक चॉल में रहते थे. वहां बचपन से ही पॉकेट मनी कमाने के लिए वो फिल्मों के पोस्टर तो कभी मूंगफली और चना बेचा करते थे. जब वो बड़े हुए तो उन्होंने कई नौकरियों के लिए हाथ-पैर मारे कभी फ्लाइट अटेंडेंट बनने की कोशिश की तो कभी शेफ बनने की, लेकिन नौकरी नहीं मिली. उसके बाद उनकी नौकरी एक ट्रैवेल एजेंसी में लगी. एक दिन अचानक से उनकी किस्मत पलट गई. जैसा कि आपके और हमारे साथ भी होता है या फिर होगा कि एक मौका आता है और बस चीजें पलट जाती है. हुआ यूं कि बस स्टैंड में खड़े जैकी को अचानक से एक एडवर्टाइजमेंट एजेंसी में काम करने वाला शख्स मॉडलिंग का ऑफर देता है और वो उसे झट से पकड़ लेते हैं. उस जमाने में उन्हें अचानक से एक दिन में ही 7000 रुपये मिल जाते हैं. उन्हें पता चलता है कि ऐसे भी कमाई की जा सकती है कि सिर्फ फोटो खिंचवाने के रुपये मिलते हैं.
रास्ते बनते चले गए और जैकी चलते चले गए
उनके मॉडलिंग के दिनों में ही आशा के. चंद्रा ने जैकी को उनका एक्टिंग स्कूल जॉइन करने की सलाह दी तो जैकी ने वो सलाह भी मान ली, जहां उनके साथ देव आनंद के बेटे सुनील आनंद भी एक्टिंग क्लासेस किया करते थे. दोनों की दोस्ती हो गई. और ऐसे में ही उनकी मुलाकात देव आनंद से हुई. देव आनंद ने उन्हें मुलाकात के दौरान ही अपनी फिल्म स्वामी दादा में सेकेंड लीड का रोल ऑफर कर दिया. जैकी मान गए लेकिन बाद में वो रोल मिथुन के पास चला गया. और जैकी को शक्ति कपूर के चेले के रोल में लिया गया. ये फिल्म 1982 में रिलीज हुई थी. फिल्म से किसी का फायदा हुआ हो या नहीं, लेकिन जैकी का जरूर हो गया. उन दिनों सुभाष घई अपनी फिल्म हीरो के लिए नए चेहरे की तलाश में थे. उनकी ये तलाश जैकी पर आकर रुकी और जैकी 1983 में हीरो के साथ रातोंरात स्टार बन गए.
जैकी अपने पुराने दिनों को नहीं भूले
गजब की बात ये है कि जैकी स्टार बनने के बावजूद भी अपने पुराने दिनों और पुरानी जगह को नहीं भूले. उनके पास फिल्में ही फिल्में थीं. उसके बावजूद वो उसी चॉल में अपनी मां के साथ रहते थे जहां वो बड़े हुए थे. वो एक आदमी की तरह ही लाइन लगाकर बाथरूम जाने का इंतजार करते थे. ये बात कई बार जैकी श्रॉफ ने अलग-अलग इंटरव्यूज में बताई है. बॉलीवुड हंगामा को दिए एक इंटरव्यू के दौरान जैकी ने बताया था कि हीरो बनने के बाद भी मैं ऐसी जगह रहा हूं. उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं है कि अगर मैं बड़ा आदमी हो गया हूं तो मैं बदल जाऊं.
जैकी श्रॉफ की बिना लागलपेट मुंबइया स्टाइल में दे जाते हैं मोटिवेशन
जैकी श्रॉफ जब भी इंटरव्यू या पब्लिकली बोलते नजर आते हैं, उनकी जिंदादिली झलकती है. वो बातों को बिना बोझिल किए कुछ न कुछ मोटिवेशनल बोल ही जाते हैं. जूम को दिए एक इंटरव्यू में जैकी ने कहा था कि स्टारडम सिर्फ एक लेबल है.
- उन्होंने कहा था, ''स्टारडम आया गया वो सब मालूम नहीं पड़ता, सब लेबल है. नाम पे नहीं जाने का, इंसान पे जाने का''. जैकी श्रॉफ ने पेड़ लगाने के दौरान एक बार मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वो कोई एहसान नहीं कर रहे. वो आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसा कर रहे हैं. जब हवा पानी सब साफ होगा तो दिमाग की गंदगी भी साफ हो जाएगी.
- एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कमाल की बात बोली थी. उन्होंने कहा था आपके पास क्या नहीं है उस पर ध्यान मत दो, बल्कि आपके पास क्या है इस पर ध्यान दो. ये मूल अगर हम भी समझ लें तो शायद हमारी परेशानियां भी आधी हो जाएं. उन्होंने कहा था कि लोग हमें छोड़कर चले जाते हैं. एक दिन हम भी चले जाएंगे. इसलिए रोते नहीं रहने का. खुश रहने का.
अब अगर जैकी की बातों पर ध्यान दें तो उनके जीवन पर ध्यान दें, तो बहुत कुछ सीखने को मिलता है. तो आप भी अपने दिलोदिमाग में ये बात रखिए कि सब कुछ ठीक हो जाता है. सब कुछ ठीक हो जाएगा. अगर जैकी के स्टाइल में बोलें तो- परेशान नहीं होने का बीड़ू मस्त रहने का. खाने का पीने का और कुछ बढ़िया करते रहने का.