जगदीप ने अपना कॅरियर 1951 में अफसाना फिल्म से शुरू किया था. 29 मार्च 1939 में अमृतसर में जन्मे सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी उर्फ जगदीप ने करीब 400 फिल्मों में काम किया. रमेश सिप्पी की की ब्लाकबस्टर फिल्म शोले (1975) से उन्हें विशेष पहचान मिली. 'शोले' के अलावा जगदीप जाफरी मुन्ना, लैला मजनू, अंदाज अपना-अपना, खूनी पंजा और मोर्चा जैसी कई फिल्मों में काम किया है. बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर की शुरुआत करने वाले जगदीप ने हिन्दी सिनेमा में तमाम मुश्किलों से ऊपर अपना एक खास मुकाम बनाया.



81 साल की उम्र में भी जगदीप बहुत ही बीमार चल रहे थे और कोरोना लॉकडाउन के दौरान 8 जुलाई को अपने पीछे 6 बच्चों और नाती-पोतों से भरा परिवार छोड़कर दुनिया से अलविदा कह गए. जगदीप का परिवार बहुत ही ग़रीब था और मां की ये हालत देखकर वो रोते थे. मां की मदद के लिए उन्होंने स्कूल छोड़कर सड़क पर साबुन-कंघी और पतंगें बेचना शुरू कर दिया था. एक इंटरव्यू में जगदीप ने अपने बचपन के संघर्ष को याद करते हुए कहा था-मुझे जिंदा रहने के लिए कुछ करना था, लेकिन मैं कोई गलत काम करके पैसा नहीं कमाना चाहता था इसलिए सड़क पर सामान बेचने लगे.



आपको बता दें, इसी दौरान बीआर चोपड़ा को अपनी फिल्म 'अफसाना' बना रहे थे और इसके उनको एक चाइल्ड आर्टिस्ट्स चाहिए था. उन्हे फिर जगदीप मिले और इस फिल्म में उन्होंने सिर्फ इसलिए काम किया, क्योंकि कंघी बेचकर दिनभर में वो सिर्फ रुपया-डेढ़ रुपया कमा पाते थे, जबकि अफसाना के सेट पर उन्हें सिर्फ ताली बजाने के 3 रुपए मिल रहे थे.



आपको बता दें, जगदीप तीसरी शादी को लेकर काफी विवादों में आ गए थे. जगदीप के दूसरे बेटे नावेद को देखने लड़की वाले आए थे, लेकिन नावेद ने शादी से मना कर दिया. इस बीच जिस लड़की से नावेद की शादी होने वाली थी, उसकी बहन पर जगदीप का दिल आ गया. उन्होंने लगे हाथ उसे प्रपोज कर डाला और वो मान भी गई. उम्र में जगदीप से उनकी तीसरी पत्नी नाज़िमा 33 साल छोटी हैं.