स्टारकास्ट- रनबीर कपूर, कैटरीना कैफ, शास्वत चैटर्जी, किरन श्रीनिवास, सयानी गुप्ता, सौरभ शुक्ला
डायरेक्टर- अनुराग बासु
रेटिंग- 2.5 स्टार
अनुराग बासु के फिल्म बनाने का एक अपना स्टाइल है. बॉलीवुड की स्टीरियोटाइप से अलग हटकर वो हमेशा ही एक नई और अलग कहानी लेकर आते हैं. अब अनुराग रणबीर कपूर के साथ मिलकर एक ऐसे हीरो की कहानी को पर्दे पर लेकर आए हैं जो हकलाने की वजह से आम लोगों की तरह बात नहीं करता बल्कि अपनी बातों को गाकर बताता है. फिल्म म्यूजिकल है और फिल्म के विजुअल बहुत ही ज्यादा खूबसूरत हैं. लेकिन क्या तीन घंटे लंबी ये फिल्म दर्शकों को सिर्फ म्यूजिक के सहारे बांधे रख पाती है? आइए जानते हैं-
कहानी
नाम से ही जाहिर है कि फिल्म में जग्गा जासूस (रणबीर कपूर) की कहानी है. फिल्म में 1995 में सनसनी मचा देने वाले पुरूलिया आर्म्स ड्रॉप केस को भी दिखाया गया है. कैटरीना कैफ इस फिल्म में पत्रकार श्रुति की भूमिका में हैं जो अवैध हथियारों के सप्लाई करने वालों की खोज में स्टोरी के लिए निकलती हैं और उनकी मुलाकात जग्गा से होती है. जग्गा के पिता (शाश्वत चैटर्जी) अचानक ही उसे स्कूल में छोड़कर चले जाते हैं. जग्गा को श्रुति में अपने पिता की झलक मिलती है और वो श्रुति के साथ पिता की तलाश में निकलता है. इसके बाद कुछ ऐसी कहानी सामने आती है जो दोनों को हैरान कर देती है. हालांकि देखते समय फिल्म की कहानी में कुछ सस्पेंस नहीं रहता है, पहले ही पता चल जाता है कि आगे क्या होने वाला है.
एक्टिंग
रणबीर कपूर ने इस फिल्म में ये साबित कर दिया है वो किसी भी तरह के रोल में खुद को फिट कर लेते हैं. इस फिल्म की जान रणबीर कपूर हैं. हकलाने से लेकर आंखे मिचकाने और गाकर जब वो गाकर अपनी बातें कहते हैं तो बिल्कुल भी फेक नहीं लगता.
हालांकि 34 साल के रणबीर इस फिल्म में स्कूल ब्वॉय के किरदार में थोड़े अजीब लगते हैं. वजह ये भी है कि उनके साथ पढ़ने वाले बच्चे इस फिल्म में काफी कम उम्र के हैं. बेशक चेहरे से रणबीर कपूर क्यूट लगते हैं लेकिन बच्चों के बीच में उनका स्कूल ब्वॉय का किरदार हजम नहीं होता. इस फिल्म में बहुत सारे ऐसे सीन हैं जिन्हें देखकर आपको 'बर्फी' के रणबीर कपूर की याद भी ताजा हो जाएगी.
रणबीर और कैटरीना की जोड़ी पहले काफी पसंद की जा चुकी है. इस फिल्म में भी जोड़ी अच्छी है. फिल्म में कैटरीना बच्चों को जग्गा जासूस की कहानी सुनाती हैं जिसमें पहले ही पता चल जाता है कि वो आगे बहुत निराश करने वाली हैं.
इस फिल्म में रणबीर कपूर के पिता की भूमिका में शाश्वत चैटर्जी ने भी इंप्रेस किया है. सयानी गुप्ता भी एक दो सीन में हैं. इससे पहले 'मारग्रीटा विद स्ट्रॉ' और 'फैन' जैसी कई फिल्मों में एक्टिंग से अपनी पहचान बनाने वाली सयानी ने ये फिल्म क्यों किया? उन्हें इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.
म्यूजिक
म्यूजिकल फिल्म है तो सबसे पहले बात उसी की होगी. फिल्म को म्यूजिक प्रीतम ने दिया है और करीब 9 गाने हैं जिनमें से 'गलती से मिस्टेक' और 'दिल उल्लू का पट्ठा है' जैसे गाने पहले ही पॉपुलर हो चुके हैं. फिल्म की सबसे अच्छी बात यही है कि इसका म्यूजिक चुभता नहीं है और आप तीन घंटे तक उसे सुन सकते हैं और देख सकते हैं.
निर्देशन
इससे पहले 2012 में अनुराग बसु ने 'बर्फी' जैसी फिल्म बनाकर खूब तारीफ बटोरी थी. 'लाइफ इन ए मेट्रो', 'काइट्स', 'गैंगेस्टर' और 'मर्डर' जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले अनुराग बासु ने कुछ ऩया करने की कोशिश की है. हिंदी सिनेमा में ऐसी फिल्मों को बनाने का रिस्क कम ही लोग उठाते हैं. इस फिल्म की शूटिंग 2014 में शुरू हुई थी और इस साल खत्म हुई है. कई बार फिल्म की रिलीज डेट भी टली. फिल्म देखने के बाद पता चलता है कि अगर दर्शकों को अगर कुछ नया दिखाना है तो उसके लिए थोड़ा समय तो देना ही पड़ता है. हालांकि एक बात जरूर अखरती है कि ये फिल्म थोड़ी छोटी होनी चाहिए थी.
कमियां
ये फिल्म बहुत ही ज्यादा लंबी और धीमी है. इसमें कैटरीना बच्चों को जग्गा की कहानी एक-एक करके सुनाती हैं. फिल्म देखते समय भी लगता है कि इसे टुकड़ों में ही देख रहे हैं. पूरी फिल्म में कई बार ऐसा लगता है कि अब खत्म हो जाए तो ठीक है.
क्यों देखें
इस फिल्म में कैमरा वर्क कमाल का है. कुछ दृश्य तो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत हैं. इस फिल्म के सिनेमैटोग्राफर रवि वर्मन हैं जिन्हें 2012 में फिल्म 'बर्फी' के लिए बेस्ट सिनेमैटोग्राफर (स्टार गिल्ड अवॉर्ड, स्क्रीन अवॉर्ड, TOIFA IIFA) का अवॉर्ड मिल चुका है. धीमी रफ्तार के बावजूद फिल्म के दृश्य दिल खुश कर देते हैं. अगर आप तीन घंटे तक कमाल के सीन और रणबीर कपूर की एक्टिंग देखना चाहते हैं तो ये फिल्म जरूर देखिए. लेकिन....
फिल्म के एक सीन में कैटरीना बच्चों से पूछती हैं कि बोर हो गए ना? इसे सुनकर खुद ही दिल से बात निकल जाती है- हां!