जन्मदिन स्पेशल: जगजीत सिंह को पहली दफा सुनकर पत्नी चित्रा ने कहा था - तौबा ये कोई आवाज है!
ये बात सौ फीसद सच्ची है कि कॉलेज लाइफ में लगभग हर जवां दिल जगजीत सिंह की गजलों का मुरीद हुआ करता है. ये सिर्फ 80 या 90 के दशकों की बात नहीं है बल्कि जगजीत सिंह के गुज़र जाने के बाद भी उनके गज़लों की चाहत नौजवां दिलों में वैसी ही बनी हुई है जैसे उनके जिंदगी के दौर में थी.
नई दिल्ली: हिंदुस्तान में गज़ल का जिक्र करते ही कानों में सबसे पहले जो आवाज सुनाई पड़ती है वो आवाज किसी और की नहीं बल्कि गज़ल गायकी के सबसे बड़े नाम जगजीत सिंह की है. आज भी जगजीत सिंह की रूहानी आवाज सुनकर दिलों में जज़्बातों के भंवर उमड़ पड़ते हैं. आज उसी जगजीत सिंह की जयंती है. उनकी पैदाइश 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्री गंगानगर (तब के बीकेनेर स्टेट) में हुई थी. उनके पिता अमर सिंह सरकारी कर्मचारी थे.
उनकी पैदाइश के वक्त घरवालों ने उनका नाम जगमोहन रखा था लेकिन एक बुजुर्ग के मशविरे पर उनकी मां ने उनका नाम जगमोहन से जगजीत कर दिया. उस वक्त कौन जानता था कि जगजीत अपने नाम को सच कर दिखाएंगे.
ये बात सौ फीसद सच्ची है कि कॉलेज लाइफ में लगभग हर जवां दिल जगजीत सिंह की गजलों का मुरीद हुआ करता है. ये सिर्फ 80 या 90 के दशकों की बात नहीं है बल्कि जगजीत सिंह के गुज़र जाने के बाद भी उनके गज़लों की चाहत नौजवां दिलों में वैसी ही बनी हुई है जैसे उनके जिंदगी के दौर में थी.
तस्वीर: सोशल मीडियाआज भी नौजवान उनके गज़लों से खुद को जोड़ लेते हैं. आमिर खान की फिल्म ‘सरफरोश’ में उन्होंने ‘होश वालों को खबर क्या जिंदगी क्या चीज़ है’ गाया. ये गाना उनकी जिंदगी के पहलू को भी उजागर करने के लिए सटीक लगता है.
जगजीत और चित्रा की वो मुलाकात
साठ के दशक के आखिर में जगजीत सिंह की मुलाकात चित्रा दत्ता से हुई. उन दोनों को प्यार हुआ फिर जमाने की फिक्र किए बिना दोनों एक दूसरे के हो गए. जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता के मोहब्बत की दास्तान भी बेहद दिलचस्प है. चित्रा ने पहली बार जगजीत को तब देखा था जब वो उनके पड़ोस में गाना गा रहे थे. आवाज सुनी तो वो अपनी बालकनी पर जा पहुंची. तभी जगजीत भी पड़ोस की बालकनी पर चहलकदमी कर रहे थे. अगले दिन सुबह उनकी पड़ोसी ने जगजीत की तारीफ करते हुए चित्रा को जगजीत की रात की रिकॉर्डिंग सुनाई. उस वक्त जगजीत की गायकी सुनकर चित्रा ने कहा था, “तौबा ये कोई आवाज है.”
उस वक्त उन्होंने जगजीत को एक मिनट भी सुनना गंवारा नहीं किया था. लेकिन उसके बाद करीब दो सील बीते और एक दिन अचानक दोनों एक स्टूडियो में मिले. चित्रा भी गायिका थीं. उस दौरान जगजीत जिंगल गाया करते थे. जिंगल गाने के दौरान दोनों मिले फिर मुलाकातें होती चली गईं. आखिर में इश्क वहां तक पहुंचा कि दोनों एक दूसरे के हो गए. चित्रा ने अपने पहले पति से तलाक लेकर जगजीत सिंह से शादी कर ली.
तस्वीर: सोशल मीडियाजगजीत मोहम्मद रफी के बहुत बड़े चाहने वाले थे. अपने कॉलेज के दिनों में वो जालांधर में ऑल इंडिया रेडियो पर मोहम्मद रफी के गाने गाया करते थे.
गजल गायक के अलावा जगजीत सिंह बॉलीवुड में प्लेबैक सिंगर के तौर भी बेहद कामयाब रहे. एल्बम के अलावा उन्होंने फिल्मों में भी खूब सारे हिट गाने गाए. ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया’ गाना किसी फिल्म में जगजीत का पहला गाना था. फिल्म रिलीज होने के करीब 34 सालों बाद भी ये गाना आज भी लोगों की जुबां पर गाहे बगाहे आ ही जाता है.
जगजीत की जिंदगी में ‘मिर्जा गालिब’ मील का पत्थर
मशहूर लेखक गुलजार ने जगजीत सिंह की आवाज को ‘दिलासा’ कहा है. ऐसा दिलासा जो आपके दर्द को सहलाती है.
जगजीत सिंह के लिए गुलजार की टेलिविजन सीरीज ‘मिर्जा गालिब’ मील का पत्थर साबित हुई. 1988 में आई इस सीरीज में उन्होंने गालिब की शायरी को जिस अंदाज में पेश किया उसके सभी कायल हो गए. इस सीरीज में गाए सभी गजलों को जगजीत और चित्रा सिंह ने मिलकर कंपोज किया था.
18 साल की उम्र में बेटे की मौत
एक वाकये के मुताबिक किसी पार्टी के आखिर में अदाकारा अंजू महेंद्रू ने जगजीत के सामने ख्वाहिश जाहिर की कि वो उन्हें गजल ‘दर्द से मेरा दामन भर दे’ सुनाएं. जगजीत उस वक्त गाना तो नहीं चाहते थे लेकिन फरमाइश के आगे बेबस होकर उन्होंने वो गाया. सुनने में आता है कि गजल गाने के दौरान जगजीत खूब रोए थे. प्रोग्राम खत्म होते ही जगजीत की जिंदगी की सबसे मनहूस खबर आई. उनका इकलौता बेटा विवेक कार एक्सिडेंट में अपनी जान गंवा चुका था.
बेटे के अंतिम संस्कार के बाद जब ज्यादातर लोग चले गए तब जगजीत ने कहा था ऊपर वाले ने उस रात मेरी दुआ कुबूल कर ली.
1990 की इस दर्दनाक घटना के बाद जगजीत की पत्नी चित्रा सिंह ने गायकी ही छोड़ दी. 18 साल के जवान बेटे को खोने के सदमे ने उन्हें ऐसा तोड़ा कि वो फिर कभी संगीत की दुनिया में वापस नहीं आईं.
जगजीत सिंह ने कई बड़े शायरों जैसे मिर्जा गालिब, कैफी आजमी, सुदर्शन फाकिर, निदा फाजली की शायरी को अपनी आवाज दी. सुदर्शन फाकिर की लिखी हुई नज़्म ‘कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी’ को जगजीत ने अपनी रूहानी आवाज में गाया है. इस गाने को जब भी सुना जाता है लोग अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं.
जगजीत सिंह के गुजरने के करीब 7 सालों के बाद भी उनके चाहने वाले यही गुनगुनाते हैं और उनसे दिल ही दिल में पूछते हैं ‘चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए’.
इन अवॉर्ड्स से नवाजे गए जगजीत
जगजीत सिंह संगीत की दुनिया में अपनी गायकी के ऐसे निशान छोड़ गए हैं जो सदियों तक मिट ना सकेंगे. जगजीत ने कई बड़े पुरस्कार जीते. साल 1998 में ‘मिर्जा गालिब’ में उनके शानदार काम के लिए उन्हें साहित्य एकेडमी अवॉर्ड से नवाजा गया. 2003 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान मिला. राजस्थान सरकार ने साल 2012 में उन्हें मरणोपरांत राजस्थान रत्न से नवाजा. इसके अलावा 2014 में भारत सरकार ने जगजीत सिंह के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया.