Bela Bose Journey: उनकी सीरत के लाखों दीवाने अब भी हैं, लेकिन सूरत देखकर फिल्मों में उन्हें ज्यादातर विलेन का किरदार ही दिया गया. यूं कह लीजिए कि वह सिनेमा की 'लेडी विलेन' के नाम से ही मशहूर हो गई थीं. दरअसल, बात हो रही है अपने जमाने की बेहतरीन क्लासिकल डांसर बेला बोस की, जो सोमवार (20 फरवरी) को इस दुनिया को अलविदा कह गईं.
मजबूरी में फिल्मी दहलीज पर बेला ने रखा था कदम
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि बेला उस दौर से ताल्लुक रखती थीं, जब महिलाओं का फिल्म इंडस्ट्री में काम करना बेहद खराब माना जाता था. यह वही दौर था, जब महिलाएं या तो समाज की आंखों में आंखें डालकर अभिनय की दहलीज पार करती थीं या मजबूरी की बेड़ियां उन्हें एक्टिंग की दुनिया में खींच लाती थीं. बेला उन दूसरी कैटिगरी के लोगों में से थीं, जिन्हें उनकी मजबूरी ने फिल्म जगत के दरवाजे पर पहुंचा दिया. यकीन मानिए कि इससे सिनेमा का भला हो गया.
इस तरह बर्बाद हो गया था परिवार
दरअसल, बेला बोस का जन्म बेहद रईस परिवार में हुआ था. कहा जाता है कि उनके परिवार के सारे पैसे जिस बैंक में थे, वह बैंक डूब गया. ऐसे में उनका परिवार कर्ज के जाल में फंस गया. वहीं, महज 36 साल की उम्र में बेला के पिता का निधन सड़क हादसे में हो गया. अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए बेला कम उम्र में ही फिल्मों में बतौर ग्रुप डांसर काम करने लगीं.
17 साल की उम्र में बॉलीवुड डेब्यू
बेला जब महज 17 साल की थीं, तब उन्होंने गुरुदत्त की फिल्म सौतेला भाई से बॉलीवुड में डेब्यू किया. यह फिल्म 1962 में रिलीज हुई थी. उन्होंने 1950 से 1980 के बीच 'जिंदगी और मौत', 'रॉकी मेरा नाम', 'शिकार और हवा महल', 'मैं नशे में हूं', 'जीने की राह' और 'जय संतोषी मां' समेत 200 से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय की झलक दिखाई. बताया जाता है कि बेला की हाइट काफी ज्यादा थी, जिसके चलते उन्हें मैं नशे में हूं फिल्म में राज कपूर के साथ मेन डांसर की भूमिका मिली थी. हालांकि, ज्यादा लंबाई की वजह से उनके हाथ कई फिल्में निकल गई थीं.
नेशनल लेवल की तैराक भी थीं बेला
बेला का जन्म 18 अप्रैल 1941 के दिन कोलकाता (उस वक्त कलकत्ता) में हुआ था. उनके पिता टैक्सटाइल बिजनेसमैन थे. बेला ने एक्टर और फिल्ममेकर असीस कुमार से शादी की थी. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक्ट्रेस होने के साथ-साथ बेला कुशल चित्रकार और नेशनल लेवल की तैराक भी थीं.
इस वजह से बनती थीं विलेन
गौर करने वाली बात यह है कि बेला को विलेन के किरदार उनकी मर्जी से नहीं दिए गए, बल्कि उनके फेस कट की वजह से वह अधिकतर फिल्मों में विलेन बनीं. दरअसल, बेला के नैन-नक्श इतने शार्प थे कि उन्हें ज्यादातर विलेन के ही रोल मिलते थे. हालांकि, बेला अपनी एक्टिंग स्किल्स का क्रेडिट हमेशा बंगाली नाटकों और कलाकारों को देती थीं.