Madhubala First Film In Bollywood: मधुबाला जैसी हसीन हीरोइन की एक मुस्कुराहट पर हर दिल फिदा हो जाता है. मधुबाला (Madhubala) की अदाकारी और उनकी खूबसूरती के तो क्या ही कहने. दुनिया छोड़ने के सालों बाद आज भी लोग उन्हें खूब पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मधुबाला जैसी हर दिल अजीज अदाकारा को फिल्म इंडस्ट्री का रास्ता कैसे मिला? कौन था वो शख्स जिसने मधुबाला को फिल्मों में एंट्री दिलाई और फिल्मों में आने की मधुबाला की पूरी कहानी आखिर है क्या? आज हम आपको मधुबाला से जुड़े इन्हीं सवालों के जवाब देंगे.


यह बात है सन् 1947 की है, जब फिल्म निर्देशक सोहराब मोदी ने अपनी फिल्म दौलत के लिए अभिनेता जानकी दास को चुना था. जब जानकी दास(Janki Das) ने सोहराब मोदी से फिल्म की हीरोइन के बारे में पूछा कि आख़िरकार उनके अपोज़िट कौन है? तब उन्होंने एक प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ जानकी दास को कहा था कि वो एक मौका उन्हें देते हैं, इस फ़िल्म के लिए उनकी हीरोइन खुद चुनने का. हालांकि उन्होंने एक शर्त भी रखी कि वो हीरोइन किसी परी या अप्सरा से कम नहीं होनी चाहिए. वो इतनी हसीन होनी चाहिए जिसे कोई भी देखे तो देखता ही रह जाए.


जानकी दास को कैसे मिली उनकी हीरोइन मधुबाला ?


निर्देशक सोहराब के ऐसे बोल सुनने के बाद जानकी दास ने एक ऐसी लड़की की खोज शुरू कर दी जो हसीनों से भी हसीन हो. उस समय ऐसा पहली बार हो रहा था कि किसी हीरो को उसकी हीरोइन ख़ुद ही तलाश करनी थी. फिर क्या जानकी की तलाश जारी हो गई. उन्होंने उस समय हर एक कॉलेज, स्कूल और ना जाने कितनी ही जगहों पर अपने लिए किसी परी जैसी लड़की की तलाश शुरू कर दी. इसके अलावा उन्होंने कई एयर होस्टेस भी देखीं, लेकिन उन्हें कोई जमी नहीं. इसके बाद उन्होंने रुख किया अलग-अलग धर्मों की बेहद ही खूबसूरत लड़कियों की तरफ, तब भी कोई बात न बन सकी. यही नहीं वह हीरोइन के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश भी घूमे. इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, कनाडा और ना जाने कितने ही देश घूमे, लेकिन जानकी को निराशा ही हाथ लगी.





सायन रेलवे स्टेशन पर मिली मधुबाला


आखिरकार उनकी तलाश खत्म हुई होली वाले दिन. होली वाले दिन मुंबई के सायन रेलवे स्टेशन पर होली के रंगों में भीगी हुई एक चंचल मुस्कान वाली बेहद ही खूबसूरत अप्सरा दिखी. होली के गुलाल में लिपटी हुई मेनका कोई और नहीं बल्कि वो थी मधुबाला. जानकी को वो मंज़र भुलाए नहीं भूला. जब जानकी ने पहली बार मधुबाला को सायन रेलवे स्टेशन पर सिर से पैर तक देखा तब मधुबाला की आंखें शर्म से झुक गई. उस वक़्त मधुबाला का पूरा शरीर गुलाबी रंग में रंगा हुआ था. उस समय वो जानकी को दुनिया में सबसे खूबसूरत, किसी अप्सरा से ज़्यादा सुंदर दिखीं. उस समय उनकी खूबसूरती को किसी से मैच नहीं किया जा सकता था. जानकी को उस समय मधुबाला, शेक्सपीयर की डेस्डेमोना, कालीदास की शकुंतला और क्लीओपेत्रा से भी ज़्यादा हसीन लगी. जिस हीरोइन को ढूंढा दुनिया की गली-गली, वह मुंबई के रेलवे स्टेशन पर कुछ इस तरह मिली.


होली के रंगों में रंगी मधुबाला


उस समय एक मुस्लिम लड़की का होली खेलना बेहद ही अजीब लगा, लेकिन जब जानकी दास ने मधुबाला के पिता अता उल्लाह खान साहब से पूछा कि आख़िरकार वो मुस्लिम होकर हिंदू त्योहार को इतने हर्ष और उल्लास से मना रही हैं, तो उनका जवाब था, कि ये सब मधुबाला की हिंदू सहेलियों के कारण ही है. मधुबाला की सहेलियों ने उसे होली के दिन गुलाल में इस कदर भिगो दिया है कि अब तो उसे होली का त्योहार और भी लुभाने लगा है. खान साहब ने बताया कि दरअसल, निर्देशक केदार शर्मा मधुबाला की होली में रंग में और गीले लिबास में उसकी तस्वीर खींचना चाहते हैं. तब जानकी दास के सामने सारा मामला साफ दिखने लगा. वैसे तो खान साहब जानकी दास के परिचित थे, और ज़्यादा देर ना करते हुए उन्होंने तुरंत ही खान साहब से पूछ लिया कि क्या मधुबाला फिल्में करना चाहती है, तब खान साहब ने कहा कि अभी नहीं, लेकिन वह कोशिश कर रही है. तभी जानकी दास ने तय कर लिया कि यही बनेंगी उनकी फ़िल्म की हीरोइन.


परियों से भी ज्यादा खूबसूरत मधुबाला!


जानकी दास ने मधुबाला को देखकर चैन की सांस ली और भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने धरती पर परी को भेजा है. जानकी दास बिना किसी देरी के मधुबाला को सोहराब मोदी के दफ़्तर ले गए और जैसे ही सोहराब मोदी ने मधुबाला को देखा तो वह उन्हें एक-टक देखते रहे और कहा कि जानकी तुमने कर दिखाया. वाकई में जो लड़की तुम होली के दिन लाए हो वो होली के रंगों से भी ज़्यादा रंगीन है. यही अब तुम्हारी फ़िल्म दौलत में तुम्हारी हीरोइन बनेगी. इस तरह से बॉलीवुड को होली के दिन मधुबाला जैसी अदाकारा मिली या यूं कहें कि होली के गुलाल ने मधुबाला को बतौर हीरोइन बॉलीवुड में ब्रेक दिलवाया. तो कुछ इस तरह से गुलाल के रंग ने दिलाई बॉलीवुड को ‘मधुबाला’. बेशक मधुबाला की पहली साइन की गई फ़िल्म दौलत थी, लेकिन पहली बार जब उनकी कोई फ़िल्म रिलीज़ हुई तो वो थी राज कपूर के साथ फ़िल्म नील कमल. मधुबाला ने 1942 और 1964 के बीच 72 फिल्मों में काम किया, जिनमें बसंत, नील कमल, महल, बादल, तराना, अमर, मिस्टर एंड मिसेज ’55, काला पानी, हावड़ा ब्रिज, चलती का नाम गाड़ी, मुगल-ए-आजम, हाफ टिकट और भी कई फ़िल्में.