Javed Akhtar Struggle Story: जावेद अख्तर की गिनती बॉलीवुड के फेमस स्क्रिप्ट राइटर और लिरिसिस्ट के रुप में होती है. गुजरे दौर में जावेद अख्तर ने कई बेहतरीन फिल्मों की कहानी लिखी थी. एक समय सलीम खान के साथ उनकी जोड़ी हिंदी सिनेमा में काफी पॉपुलर थी. दोनों की जोड़ी को बॉलीवुड में सलीम-जावेद के नाम से पहचान मिली.
जावेद अख्तर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपने करियर में बहुत कुछ हासिल किया है. हालांकि उन्होंने अपने जीवन में बुरा दौर फेस किया. उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है और एक समय वे दाने दाने तक को मोहताज थे. जावेद ने अपनी स्ट्रगल की दास्तां हाल ही में आई अपनी और सलीम खान की डॉक्यूमेंट्री सीरीज 'एंग्री यंग मैन' में सुनाई थी.
छोटी उम्र में छोड़ दिया था घर
जावेद अख्तर ने इमोशनल होते हुए अपनी दास्तां खुद बाटी थी. वे छोटी उम्र में ही अपना घर छोड़कर मुंबई आ गए थे. उन्होंने कहा था कि, 'मैंने ग्रेजुएशन के बाद फैसला लिया कि मैं बॉम्बे जाऊंगा और वहां असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करूंगा. मैं श्योर था कि ऐसे शुरुआत करने के कुछ सालों बाद मैं डायरेक्टर बन जाऊंगा. मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और न ही परिवार से कोई मदद की. मेरी आंटी ने मुझे पाला-पोसा था, मैं 15 साल की उम्र में सब कुछ छोड़ आया, लेकिन ऐसा करने के पीछे मेरे इरादे नेक थे.'
दो दिनों तक भूखे रहे जावेद अख्तर
जावेद ने आगे बताया था कि, 'मुंबई आकर मैं कुछ दिन अपने दोस्तों के साथ रहा, रेलवे स्टेशन, पार्क, स्टूडियो कंपाउंड, कॉरिडोर, बेंच पर भी सोया. कई बार तो पैदल दादर, बांद्रा तक गया क्योंकि मेरे पास बस के किराए तक के पैसे नहीं थे. कई बार तो दो दिन तक खाने को नहीं मिला. तब मैं सोचता था कि आगे मुझ पर बायोग्राफी लिखी गई तो ये सारी बातें बहुत मायने रखेंगी.'
इंसान और कुत्ते में कोई फर्क नहीं रह जाता
वहीं एक अन्य इंटरव्यू के दौरान जावेद अख्तर से भूखे रहने को लेकर सवाल किया गया था तब उन्होंने कहा था कि, दो-तीन दिन तक भूखे रहना दुःखद है. तीसरे दिन इंसान और कुत्ते में कोई फर्क नहीं रह जाता.'
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