Jayeshbhai Jordaar: मुश्किल में रणवीर सिंह की फिल्म, सीन को लेकर मामला अदालत पहुंचा, कोर्ट ने कही ये बात
Jayeshbhai Jordaar In Trouble:
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने रणवीर सिंह स्टारर फिल्म ‘जयेशभाई जोरदार’ (Jayeshbhai Jordaar) के ‘ट्रेलर’ में भ्रूण का लिंग निर्धारण करने संबंधी दृश्य पर सोमवार को चिंता जताई और निर्माताओं से कहा कि अवैध चलन को नियमित तरीके से नहीं दिखाया जा सकता और इसे महत्वहीन नहीं बनाया जा सकता है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने यशराज फिल्म्स से फिल्म के प्रासंगिक हिस्से उसे दिखाने के लिए कहा. पीठ ने कहा कि "कुल मिलाकर संदेश" अच्छा हो सकता है, लेकिन यह नहीं दिखाया जा सकता कि गर्भवती महिला को भ्रूण के लिंग का पता लगाने के लिए सोनोग्राम मशीन वाले किसी क्लिनिक में ले जाया जा सकता है.
पीठ फिल्म से कुछ दृश्यों को हटाने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ में न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल हैं. फिल्म 13 मई को प्रदर्शित होने वाली है. फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद पीठ ने कहा, "आप निर्देश लें अन्यथा हमें रोक लगानी होगी.’’
पीठ ने कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि यह दिखाने के लिए कुछ भी वजह नहीं है कि महिला को गुप्त रूप से ले जाया जाता है या यह कानूनी नहीं है या (दृश्य में) अभिनेता को पता है कि यह एक अपराध है. जो बात सामने आ रही है, वह यह है कि किसी भी गर्भवती महिला को सोनोग्राम मशीन वाले केंद्र में ले जाया जा सकता है और यह सामान्य रूप से किया जा सकता है.’’
अदालत ने कहा कि इसका चित्रण इस तरीके से होना चाहिए कि वे इससे अवगत हैं (कि यह अवैध है)लेकिन उसके बाद भी ऐसा किया जा रहा है. फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत मेहता ने कहा कि "फिल्म कुछ अवैध के बारे में है" और कानून के संबंध में एक ‘डिस्कलेमर’ भी दिया गया है.
केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि ट्रेलर को सीबीएफसी (केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड) ने प्रमाणित किया था और फिल्म निर्माताओं को "डिस्क्लेमर" लगाने के लिए कहा गया था. अदालत ने कहा कि ट्रेलर में "डिस्क्लेमर" के आकार के कारण उस पर ध्यान नहीं दिया जा सकता था और इसमें "उन परिस्थितियों को नहीं दिखाया गया है, जिसमें महिला को क्लिनिक में ले जाया जाता है.’’
याचिकाकर्ता 'यूथ अगेंस्ट क्राइम' की ओर से पेश वकील पवन प्रकाश पाठक ने अदालत के समक्ष दलील दी कि फिल्म लिंग निर्धारण के साधन के रूप में अल्ट्रासाउंड तकनीक को बढ़ावा नहीं दे सकती क्योंकि यह कानूनन अवैध है. मामले में अगली सुनवाई आज होनी है.