Johnny Lever Birthday: चॉल से चलकर सिनेमा के शिखर तक पहुंचे जॉनी लीवर, इस कंपनी की वजह से बदल गया नाम
Johnny Lever: उनका अंदाज हर किसी को ठहाके लगाने पर मजबूर कर देता है, क्योंकि उन्हें दिल जीतने का हुनर आता है. बात हो रही है जॉनी लीवर की, जिनका आज बर्थडे है.
Johnny Lever Unknown Facts: 14 अगस्त 1957 के दिन तेलुगू क्रिश्चियन परिवार में जन्मे जॉनी लीवर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. बता दें कि जॉनी का असली नाम जॉन प्रकाश राव जनुमाला है. उन्होंने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और अपनी कॉमेडी से लोगों को जमकर हंसाया. बर्थडे स्पेशल में हम आपको जॉनी लीवर की जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू करा रहे हैं.
बदहाली में बीता था बचपन
सिनेमा की दुनिया में जॉनी लीवर भले ही आज जाना-पहचाना नाम हैं, लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में तमाम संघर्षों का सामना किया. दरअसल, जॉनी जब छोटे थे, तब उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. ऐसे में उन्होंने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी और पेन बेचने लगे. वह बचपन से ही काफी मजाकिया थे. ऐसे में वह बॉलीवुड सितारों की तरह डांस करके पेन बेचते थे.
इस वजह से बदल गया था नाम
बता दें कि जॉनी लीवर के पिता हिंदुस्तान लीवर कंपनी में काम करते थे. उन्होंने जॉनी को भी कंपनी में ही नौकरी दिला दी थी. वह हद से ज्यादा वजनी ड्रम भी बेहद आसानी से दूसरी जगह शिफ्ट कर देते थे और अपनी कॉमेडी से कंपनी के दोस्तों को जमकर हंसाते थे. इस वजह से उनका नाम जॉन प्रकाश राव जनुमाला की जगह जॉनी लीवर रख दिया गया.
जब पिता को अस्पताल में छोड़ शूट पर पहुंचे थे जॉनी
रोते हुए लोगों को हंसाने में माहिर जॉनी लीवर ने अपनी जिंदगी में तमाम दुख झेले. हालात तो यहां तक भी बिगड़े कि उन्हें अपने बीमार पिता को अस्पताल में छोड़कर शूटिंग के लिए जाना पड़ा था. दरअसल, जब जॉनी के पिता के पैर का ऑपरेशन होना था, उस वक्त वह कॉमेडी सीन की शूटिंग कर रहे थे. इसका खुलासा जॉनी लीवर ने खुद एक इंटरव्यू में किया था.
ऐसे शुरू हुआ था एक्टिंग करियर
जॉनी लीवर कॉमेडी के साथ ही मिमिक्री भी करते थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर स्टैंडअप कॉमेडियन की थी, जिसके चलते वह स्टेज शो भी करते थे. ऐसे ही एक स्टेज शो के दौरान उन पर सुनील दत्त की नजर पड़ गई. उन्होंने जॉनी लीवर को फिल्म ‘दर्द का रिश्ता’ में पहला ब्रेक दिया, जिसके बाद जॉनी लीवर ने कामयाबी का ऐसा ट्रैक पकड़ा कि शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गए.