नई दिल्ली: फिल्म निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना फिल्मों से की है. उन्होंने आज कि जिस तरह से फिल्म मध्यांतर (इंटरवल) के बाद तेजी पकड़ती है, उसी तरह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आयेगी.


यहां आयोजित विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में जौहर ने कहा कि पिछली दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी रही, लेकिन अब यह बढ़ रही है और निराशावाद के लिये कोई जगह नहीं है.


अर्थव्यस्था पर जौहर ने आगे कहा, “मेरा मानना है कि सिनेमा में मध्यांतर बहुत महत्वपूर्ण बिंदु होता है. हम सभी जानते हैं कि अधिकतर फिल्में मध्यांतर के बाद तेजी पकड़ती हैं. अर्थव्यवस्था को लेकर भी मेरा ऐसा ही मानना है. जब भारत की बात आती है तो मैं उम्मीद कर रहा हूं कि दूसरी छमाही शानदार रहेगी. मैं एक महान पारी की उम्मीद कर रहा हूं.”


उन्होंने कहा कि गिलास को आधे खाली के रूप में देखने की जगह, इसे आधा भरा होने के रूप में देखा जाना चाहिये. यहां अर्थव्यवस्था के बारे में बहुत सी नकारात्मक और निराशावादी बातें की जा रही हैं. जबकि यूरोप में लोग यह उम्मीद कर रहे हैं... उनकी आर्थिक वृद्धि स्थिर और नकारात्मक नहीं है.


वहीं, दूसरी ओर इसी कार्यक्रम में एस्सार समूह के निदेशक प्रशांत रुइया ने भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के सभी प्रमुख क्षेत्रों में पुन: निवेश शुरु करने के लिए कम से कम एक साल का समय लगेगा. पिछले पांच वर्षों के दौरान भारी निजी निवेश के कारण अधिशेष क्षमता बहुत अधिक हो गयी थी.


उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम तेजी से उस बिंदु पर पहुंच रहे हैं, जहां हम विभिन्न क्षेत्रों द्वारा खपत होने वाली अधिशेष क्षमता को प्राप्त कर लेंगे...उनका मानना है कि निजी क्षेत्र में फिर से निवेश शुरू करने के लिये कम से कम एक साल और लगेगा.