डायलॉग हों या स्क्रिप्ट राइटिंग, कॉमेडी हो या विलेन, कादर खान बॉलीवुड के उन चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने पर्दे के पीछे और पर्दे पर रहकर दोनों ही सूरतों में शानदार काम किया है. 22 अक्टूबर 1937 को कादर खान का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था. कादर खान ने अपने बचपन में बहुत उतार चढ़ाव देखे थे. कादर खान के पिता ने उन्हें और उनकी मां को छोड़ दिया था और फिर उनकी जिंदगी में उनके सौतेले पिता आए. इन सब के बीच में कादर खान और उनकी मां को गरीबी और जिंदगी की मुश्किलातों का सामना करना पड़ा. लेकिन कादर खान ने हमेशा उस बुरे वक्त से लड़कर आगे बढ़ना ही चुना. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में बता रहे हैं..


कादर खान उन लोगों में से हैं जिन्होंने बॉलीवुड को 'एंग्री यंग मैन' से लेकर 'हीरो नंबर वन' दिया है. यहां हम बात कर रहे हैं अमिताभ बच्चन और गोविंदा की. अमिताभ बच्चन के कुछ डायलॉग्स आज भी फैंस के बीच में मशहूर हैं ,जिनमें 'हम जहां खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है' और 'मूछें हों तो नत्थूलाल जैसी' ये सभी डायलॉग्स कादर खान की ही कलम से निकले हैं. ये उस दौर की बात है जब कादर खान अपनी गरीबी को दूर करने के लिए दिन रात मेहनत कर पर्दे के पीछे काम किया करते थे.



फिल्मों में नहीं बनाना चाहते थे करियर 


कादर खान की मां ने उनसे एक दिन कहा था कि अगर वो घर की गरीबी मिटाना चाहते हैं तो उन्हें पढ़ाई करनी होगी. मां की बात कादर खान के दिल में इस कदर घर कर गई कि उन्होंने पढ़ाई को ही अपना पैशन बना लिया. लेकिन पढ़ते हुए अक्सर उनकी कलम जरा बेचैन रहा करती थी और इसी बेचैन कलम ने लिखना शुरू किया. एक बार लिखना शुरू किया तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.


कादर खान यूं तो अपने करियर में एक टीचर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत को उनके लिए कुछ और ही प्लान बनाए बैठी थी. कादर खान ने कॉलेज के एक कॉम्पीटीशन में भाग लिया. इस कॉम्पीटीशन में कादर खान ने प्ले किया था 'लोकल ट्रेन' उनके इस प्ले को बेस्ट एक्टर, बेस्ट डायरेक्शन सभी अवॉर्ड मिल गए थे..इतना ही नहीं उन्हें ईनाम में 1500 रुपए भी मिले. प्ले तो कादर खान पहले भी करते थे लेकिन इस बार मौका जरा खास था. इस प्ले के सभी जज बॉलीवुड से ताल्लुक रखते थे. इस कॉम्पीटीशन को जज करने वालों में निर्देशक राजेंद्र सिंह बेदी, उनका बेटा नरेंद्र सिंह बेदी और मशहूर अदाकार कामिनी कौशल थीं. तीनों ही जज कादर खान के काम से इतना इंप्रेस हुए कि उन्होंने कादर से फिल्मों में हाथ आजमाने के लिए कहा.. और उन्होंने फिल्मों में बतौर राइटर काम करना शुरू किया.


 


आधी रात को बच्चों को पढ़ाया करते थे


कादर खान जब इंडस्ट्री में अपनी कलम का जादू बिखेरते थे उस समय वो पॉलीटेक्निक में वो बतौर टीचर पढ़ाया करते थे. कादर खान धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमा रहे थे तो वो अपने स्कूल में पढ़ाने नहीं जा पाया करते थे. लेकिन कादर खान के स्टूडेंट्स को उनसे बेहद प्यार था और उन्होंने जिद की कि वो उनसे ही पढ़ना चाहते हैं. इसपर कादर ने कहा कि वो रात को 11 बजे शूटिंग से फ्री होते हैं ऐसे में वो कैसे उन्हें पढ़ा पाएंगे. स्टूडेंट्स ने कहा कि वो रात को 12 बजे भी उनसे पढ़ने के लिए तैयार हैं.. और हुआ भी ऐसा ही. करीब 150 स्टूडेंट्स रात के 12 बजे से सुबह 6 बजे तक कादर खान से क्लास लिया करते थे और खास बात ये है कि वो सभी स्टूडेंट्स फर्स्ट क्लास से पास हुए.



बॉलीवुड को दिया एंग्री यंग मैन 


70 के दशक में जब अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में थे उस समय उन्हें साथ मिला कादर खान का. कादर खान ने ही स्ट्रगल कर रहे अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन बना दिया था.  वो ऐसा दौर था जब कादर खान अपनी कलम से जो लिख देते थे वो पर्दे पर हिट हो जाया करता था. मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा जैसे निर्देशकों ने कादर खान को स्क्रिप्ट और डायलॉग लिखने के लिए मनाया और कादर को फिल्म इंडस्ट्री में ले आए. कादर ने अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस , कालिया, नसीब , कूली जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे हैं. उस दौर में अमिताभ बच्चन के अलावा सिर्फ कादर खान ही एक कलाकार थे जो मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के लिए एक साथ काम किया करते थे.



बेटे के लिए शुरू की कॉमेडी


कादर खान ने जब एक्टिंग में अपनी पारी शुरू की थी तो अपनी दमदार अवाज के चलते उन्हें विलेन के रोल मिला करते थे. कादर खान धीरे-धीरे बॉलीवुड के फेवरेट विलेन बन गए थे. लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि कादर खान ने ऑन कैमेरा विलेन प्ले करना बंद कर दिया. दरअसल, हुआ कुछ ऐसा कि एक दिन कादर खान का बेटा स्कूल से लड़कर घर आया. जब कादर खान ने अपने बेटे से पूछा कि आखिर उन्होंने स्कूल में लड़ाई क्यों की ? तो इसके जवाब में उनके बेटे ने कहा कि स्कूल में सब उन्हें ये कहकर चिढ़ाते हैं कि उनके पापा बुरे आदमी हैं और वो विलेन हैं. जब कादर खान ने ये सुना , उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि वो अब पर्दे पर सिर्फ अच्छे रोल करेंगे और इसके बाद शुरू हुई कादर खान की कॉमेडी जर्नी.