Kader Khan Unknown Facts: कहते हैं कुछ इंसानों को भगवान इतनी शिद्दत से बनाता है कि वह हर तरफ अपना जादू बिखेरने में सफल होते हैं. ऐसे ही व्यक्तियों में बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान का नाम भी शामिल है. बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकारों में शुमार कादर खान ने अपने दम पर इंडस्ट्री में एक ऐसी जगह बनाई थी, जिसको मिटा पाना आज भी किसी के बस में नहीं है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि इस शौहरत को पाने के लिए अभिनेता ने कितनी मेहनत की होगी? अगर नहीं तो आज हम आपको कादर खान की जिंदगी के उन दिनों की यात्रा पर लेकर चलेंगे, जिनमें वह एक स्टार नहीं थे बल्कि कुछ कर पाने की जद्दोजहद में लगे थे.
कब्रिस्तान में मिली अभिनय की पहली सीढ़ी
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय को देख चुके कादर खान का परिवार बंटवारे के बाद भारत में आकर रहने लगा था. मुंबई में रहने वाले कादर खान बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे और उनकी मां अभिनेता को मस्जिद में पढ़ने के लिए भेजा करती थी. मस्जिद में पढ़ने के बाद कादर खान पास में स्थित कब्रिस्तान जाते थे, क्यों? क्योंकि पढ़ाई के साथ ही कादर खान का झुकाव अभिनय की ओर भी था. अभिनय का रियाज करने के लिए अभिनेता नियमित रूप से कब्रिस्तान जाया करते थे. एक दिन कब्रिस्तान में रियाज करने के दौरान अचानक उनके चेहरे पर किसी ने टॉर्च मारी और उनसे सवाल-जवाब करने लगा. टॉर्च मारने वाले व्यक्ति अशरफ खान थे, जो कादर खान की मेहनत और लगन देखकर काफी प्रभावित हुए थे. अशरफ ने ही कादर खान को नाटकों में काम करने की सलाह दी.
प्रोफेसर बनकर पलटी किस्मत
कादर खान की मां ने आर्थिक तंगी से जूझने के बाद भी अपने बेटे की पढ़ाई में किसी तरह की कोई कमी नहीं आने दी थी. उनकी ही मेहनत और मशक्कत का नतीजा था कि कादर खान ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद बॉम्बे यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और अपने जीवन की पहली नौकरी भी ली. इंजीनियरिंग करने के बाद कादर खान ने बतौर प्रोफेसर एमएच साबू सिद्दीकी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ज्वाइन किया. प्रोफेसर बनने के बाद भी कादर खान अपनी एक्टिंग में दिलचस्पी को दरकिनार नहीं कर सके थे. ऐसे में वह अक्सर कॉलेज के नाटकों में हिस्सा लिया करते थे और यही उनकी किस्मत पलटने की वजह बनी.
दिलीप कुमार ने दिया फिल्मों में मौका
दरअसल, एक बार उनके कॉलेज में दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार आए थे. दिलीप कुमार, कादर खान की कला देखकर इस कदर प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपनी दो फिल्मों में उन्हें काम दिया था. अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले कादर खान अभिनेता होने के साथ ही एक शानदार लेखक भी थे. उन्होंने कई फिल्मों के डायलॉग्स भी लिखे थे. इसके साथ ही कादर खान ने 1977 में आई फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' भी लिखी थी.