सरफराज ने कहा. "भारतीय फिल्म जगत का तरीका ही यही बन गया है. यह कई कैंपों और वफादारों में बंट गया है. बाहरी होने की सोचवाले लोग मदद नहीं कर सकते." उन्होंने कहा. "मेरे पिता ने हमें (अपने बेटों को) बताया था कि किसी से किसी भी चीज की उम्मीद मत करो और हम इसी विश्वास के साथ बड़े हुए कि जीवन में जिसकी जरूरत है उसके लिए काम करना चाहिए और बदले में किसी भी चीज की उम्मीद नहीं करनी चाहिए."
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सरफराज ने कहा कि उन्हें इस बात का बहुत ज्यादा दुख हुआ. जब उनके अब्बा के इंतकाल के बाद भी फिल्म जगत के बहुत से लोगों ने कनाडा में उनके किसी बेटे को फोन करने तक की जहमत नहीं उठाई. उन्होंने कहा. "फिल्म जगत में ऐसे बहुत से लोग हैं. जो मेरे पिता के काफी करीब थे. लेकिन एक शख्स. जिन्हें मेरे पिता बहुत पसंद करते थे. वह हैं बच्चन साहब (अमिताभ बच्चन). मैं अपने पिता से पूछता था कि वह फिल्म जगत में सबसे ज्यादा किसे याद करते हैं तो वह सीधा जवाब देते थे बच्चन साहब. और मैं जानता हूं कि वह प्यार आपसी था."
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भावुक बेटे ने कहा. "मैं चाहता था कि बच्चन साहब को पता चले कि मेरे पिता उनसे अंत तक बात करने के बारे में बात किया करते थे." सरफराज ने उदासी भरी हंसी के साथ कहा. "कृपया गोविंदा से पूछिए कि उन्होंने कितनी बार अपने पिता समान व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में पूछा. क्या उन्होंने मेरे पिता के गुजरने के बाद एक बार भी फोन करने की जहमत उठाई? यह ढर्रा हो गया है हमारे फिल्म जगत का."
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उन्होंने कहा. "यहां भारतीय सिनेमा में योगदान देने वालों के लिए कोई वास्तविक भावनाएं नहीं हैं. विशेषकर जब वे उसमें सक्रिय नहीं रहते हैं. बड़े बड़े सितारे इन दिग्गज हस्तियों के साथ फोटो खिंचवाते नजर आते हैं. लेकिन वह जुड़ाव सिर्फ तस्वीरों तक ही सीमित है. देखिए. किन हालात में ललिता पवार जी और मोहन चोटी जी का निधन हुआ."
सरफराज ने कहा. "किस्मत से. मेरे पिता के पास तीन बेटे थे. जो उनकी देखभाल कर सकते थे. उनका क्या जिनका निधन बिना वित्तीय या भावनात्मक समर्थन के साथ हुआ." कादर खान के प्रशंसक यह जानकर खुश होंगे कि वे जिन्हें प्यार करते थे उनके बीच ही गुजरे.
उन्होंने कहा. "मेरे पिता जब गुजरे. तब उनके चेहरे पर मुस्कान थी. दुनिया में किसी और चीज से ज्यादा वो हंसी मैं संजोकर रखना चाहता हूं. मेरे पिता के आखिरी कुछ साल उनके लिए बहुत दर्द भरे थे." कादर खान के तीन बेटे टोरंटो में एक-दूसरे के करीब ही रहते हैं. सरफराज का कहना है कि परिवार उनकी विरासत को आगे ले जाने का इरादा रखता है.
उन्होंने कहा. "मेरे पिता ने हिंदी सिनेमा में बहुत योगदान दिया है. हम उनकी याद को एक पर्याप्त और प्रासंगिक तरीके से सम्मानित करने का इरादा रखते हैं. इस वक्त हम उनके जाने के गम में हैं. लेकिन मैं दुनिया भर के उनके प्रशंसकों को आश्वस्त कर सकता हूं कि हम फिल्म जगत को उन्हें भूलने नहीं देंगे."