अभिनेत्री ने कहा कि फिल्म उद्योग में मजदूरों और तकनीशियनों को ‘‘कमतर आंका’’ जाता है और उन्हें लेकर इस तरह का रवैया वह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है. मैंने इस तरह के चलन का हमेशा से विरोध किया है. फिल्म उद्योग में कामगारों और तकनीशियनों को कम आंका जाता है. मुझे नहीं मालूम कि अभिनेताओं को बेवजह तरजीह और अहमियत क्यों दी जाती है. इसी वजह से मैं तकनीशियन बनना चाहती हूं.’’
कंगना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उन्हें (कामगारों और जूनियर आर्टिस्टों को) कमतर आंका जाता है. मैं लेखन और निर्देशन में हाथ आजमाना चाहती हूं क्योंकि वे फिल्म उद्योग के गुमनाम नायक हैं. अगर ऐसी चीजें होती हैं तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए.’’
बृहस्पतिवार को फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इंप्लॉइज ने कहा था कि ‘मणिकर्णिका’ के निर्माताओं ने अब तक कामगारों और जूनियर आर्टिस्टों का डेड़ करोड़ रुपये का बकाया नहीं दिया है.
शुक्रवार को निर्माता कमल जैन ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं पूरी कर ली गयी हैं और सिर्फ एक दुकानदार को छोड़कर सभी के बकायों का भुगतान कर लिया गया है, जो उन्हें फंसा रहा है.
कंगना ने कहा कि वह हालात से पूरी तरह वाकिफ हैं और उन्हें निर्माताओं ने आश्वस्त किया है कि मामला जल्द सुलझा लिया जायेगा. उन्होंने मुझसे कहा कि जी स्टूडियोज का बहुत अच्छा रुतबा है और यह एक बड़ा स्टूडियो है. हमारी ओर से कोई शिकायत नहीं है. ‘मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी’ 25 जनवरी को रिलीज होगी.