कंगना ने किसान आंदोलन पर साधा निशाना, सिंगर जस्सी ने कहा- चापलूसी, बेशर्मी की भी कोई हद होती है
कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना शाहीन बाग़ से करते हुए लिखा था कि शाहीन बाग में खून की नदियां बहाने वाले भी जानते थे कि उनकी नागरिकता कोई नहीं छीन रहा.
एक्ट्रेस कंगना रनोट और सिंगर जसबीर जस्सी किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर पर आमने-सामने आ गए. ट्विटर पर कंगना ने किसान आंदोलन को निशाने पर लिया था और मोदी सरकार का बचाव किया. वहीं सिंगर जसबीर जस्सी ने कंगना को जवाब देते हुए काफी तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया.
कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना शाहीन बाग़ से करते हुए लिखा था कि शाहीन बाग में खून की नदियां बहाने वाले भी जानते थे कि उनकी नागरिकता कोई नहीं छीन रहा.
कंगना ने ट्वीट किया, “मोदी जी कितना समझाएंगे, कितनी बार समझाएंगे? शाहीन बाग में ख़ून की नदियां बहाने वाले भी खूब समझते थे की उनकी नागरिकता कोई नहीं छीन रहा, लेकिन फिर भी उन्होंने दंगे किए देश में आतंक फैलाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब पुरस्कार भी जीते, इस देश को ज़रूरत है धर्म और नैतिक मूल्यों की.. ”
मोदी जी कितना समझाएँगे,कितनी बार समझाएँगे?शाहीन बाग में ख़ून की नदियाँ बहाने वाले भी ख़ूब समझते थे की उनकी नागरिकता कोई नहीं छीन रहा, लेकिन फिर भी उन्होंने दंग्गे किए देश में आतंक फैलाया और अंतरष्ट्रिया स्तर पे ख़ूब पुरस्कार भी जीते, इस देश को ज़रूरत है धर्म और नैतिक मूल्यों की.. https://t.co/nJpqo57lfU
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) November 30, 2020
कंगना के इस ट्वीट पर जसबीर जस्सी ने लिखा, "मुंबई नगर निगम ने एक चबूतरा तोड़ा था तो दुनिया सिर पे उठाए घूमती थी. किसान की मां ज़मीन दांव पर लगी है और बात करती है समझाने की. किसान के हक़ नहीं बोल सकती तो उसके खिलाफ तो मत बोलो @KanganaTeam. चापलूसी और बेशर्मी की भी कोई हद होती है."
मुम्बई नगर निगम ने एक चबूतरा तोड़ा था तो दुनिया सिर पे उठाये घूमती थी। किसान की माँ ज़मीन दांव पर लगी है और बात करती है समझाने की। किसान के हक़ नहीं बोल सकती तो उसके ख़िलाफ़ तो मत बोलो @KanganaTeam ।
चापलूसी और बेशर्मी की भी कोई हद होती है। #FarmersAbovePolitics #Farmers https://t.co/QJRTBK28cH — Jassi (@JJassiOfficial) December 1, 2020
‘कंगना ने पूजा आप किसके हक की बात कर रहे हैं’ इसके जवाब में कंगना ने लिखा, "जस्सी जी इतना ग़ुस्सा क्यू हो रहे हैं, #FarmersBill2020 एक क्रांतिकारी बिल है, यह किसानों को सशक्तिकरण की एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा. मैं तो किसानों के हक़ की बात कर रही हूं, आप किसके हक़ की बात कर रहे हैं पता नहीं"
जस्सी जी इतना ग़ुस्सा क्यूँ हो रहे हैं, #FarmersBill2020 is a revolutionary bill, this will take farmers to new heights of empowerment, मैं तो फ़ार्मर्ज़ के हक़ की बात कर रही हूँ, आप किसके हक़ की बात कर रहे हैं पता नहीं ????
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) December 1, 2020
“ये कौन सा रेवोलुशन है जो किसानों को समझ नहीं आ रहा” इसके बाद जस्सी ने लिखा, "कंगना जी ये कौनसा रेवोलुशन है जो किसानों को समझ नहीं आ रहा सिर्फ आपको और सरकारी ट्वीटर ट्रॉल्स को समझ आ रहा है ? मैंने पूरा बिल पढा है उसमें रेवोलुशन किसानों के लिए नहीं प्राइवेट प्लेयर्स और उद्योगपतियों के लिए है। किसान अपना अच्छा बुरा सोच सकता है, आप उनके लिए मत सोचो"
कंगना जी ये कौनसा रेवोलुशन है जो किसानों को समझ नहीं आ रहा सिर्फ आपको और सरकारी ट्वीटर ट्रॉल्स को समझ आ रहा है ? मैंने पूरा बिल पढा है उसमें रेवोलुशन किसानों के लिए नहीं प्राइवेट प्लेयर्स और उद्योगपतियों के लिए है। किसान अपना अच्छा बुरा सोच सकता है, आप उनके लिए मत सोचो ????????
— Jassi (@JJassiOfficial) December 1, 2020
“मैं भी किसान परिवार से हूं” इससे जवाब में कंगना ने खुद को किसान परिवार से बताया और नए कृषि बिलों की तारीफ की. उन्होंने लिखा, "मैं भी एक किसान परिवार से हूँ, आपने कौन सा बिल पढ़ा है?अगर बिल पढ़ा होता तो साफ़ दिखता की जिन किसानों को नई सुविधाएँ नहीं चाहिए वो पुराने तरीक़े से लेन देन कर सकते हैं, new bill also provides the option of the previous structure if some are comfortable with that they can choose."
मैं भी एक किसान परिवार से हूँ, आपने कौन सा बिल पढ़ा है?अगर बिल पढ़ा होता तो साफ़ दिखता की जिन किसानों को नई सुविधाएँ नहीं चाहिए वो पुराने तरीक़े से लेन देन कर सकते हैं, new bill also provides the option of the previous structure if some are comfortable with that they can choose.
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) December 1, 2020
बता दें केंद्र के नए कृषि बिलों का पंजाब में शुरुआत से ही विरोध हो रहा था लेकिन 6 दिन पहले पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया। पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया। वहीं मामले की गंभीरत को देखते हुए केंद्र सरकार भी एक्टिव हुई किसानों से 3 दिसंबर को बातचीत करने पर अड़ी सरकार ने सोमवार को जिद छोड़ दी और 1 दिसंबर को 32 किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए विज्ञान भवन बुलाया है.
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