एक्ट्रेस कंगना रनोट और सिंगर जसबीर जस्सी किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर पर आमने-सामने आ गए. ट्विटर पर कंगना ने किसान आंदोलन को निशाने पर लिया था और मोदी सरकार का बचाव किया. वहीं सिंगर जसबीर जस्सी ने कंगना को जवाब देते हुए काफी तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया.


कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना शाहीन बाग़ से करते हुए लिखा था कि  शाहीन बाग में खून की नदियां बहाने वाले भी जानते थे कि उनकी नागरिकता कोई नहीं छीन रहा.


कंगना ने ट्वीट किया, “मोदी जी कितना समझाएंगे, कितनी बार समझाएंगे? शाहीन बाग में ख़ून की नदियां बहाने वाले भी खूब समझते थे की उनकी नागरिकता कोई नहीं छीन रहा, लेकिन फिर भी उन्होंने दंगे किए देश में आतंक फैलाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब पुरस्कार भी जीते, इस देश को ज़रूरत है धर्म और नैतिक मूल्यों की.. ”






कंगना के इस ट्वीट पर जसबीर जस्सी ने लिखा, "मुंबई नगर निगम ने एक चबूतरा तोड़ा था तो दुनिया सिर पे उठाए घूमती थी. किसान की मां ज़मीन दांव पर लगी है और बात करती है समझाने की. किसान के  हक़ नहीं बोल सकती तो उसके खिलाफ तो मत बोलो @KanganaTeam. चापलूसी और बेशर्मी की भी कोई हद होती है."






कंगना ने पूजा आप किसके हक की बात कर रहे हैं
इसके जवाब में कंगना ने लिखा, "जस्सी जी इतना ग़ुस्सा क्यू हो रहे हैं, #FarmersBill2020 एक क्रांतिकारी बिल है, यह किसानों को सशक्तिकरण की एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा.  मैं तो किसानों के हक़ की बात कर रही हूं, आप किसके हक़ की बात कर रहे हैं पता नहीं"






ये कौन सा रेवोलुशन है जो किसानों को समझ नहीं आ रहा
इसके बाद जस्सी ने लिखा, "कंगना जी ये कौनसा रेवोलुशन है जो किसानों को समझ नहीं आ रहा सिर्फ आपको और सरकारी ट्वीटर ट्रॉल्स को समझ आ रहा है ?  मैंने पूरा बिल पढा है उसमें रेवोलुशन किसानों के लिए नहीं प्राइवेट प्लेयर्स और उद्योगपतियों के लिए है। किसान अपना अच्छा बुरा सोच सकता है, आप उनके लिए मत सोचो"






मैं भी किसान परिवार से हूं
इससे जवाब में कंगना ने खुद को किसान परिवार से बताया और नए कृषि बिलों की तारीफ की. उन्होंने लिखा, "मैं भी एक किसान परिवार से हूँ, आपने कौन सा बिल पढ़ा है?अगर बिल पढ़ा होता तो साफ़ दिखता की जिन किसानों को नई सुविधाएँ नहीं चाहिए वो पुराने तरीक़े से लेन देन कर सकते हैं, new bill also provides the option of the previous structure if some are comfortable with that they can choose."






बता दें केंद्र के नए कृषि बिलों का पंजाब में शुरुआत से ही विरोध हो रहा था लेकिन 6 दिन पहले पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया। पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया। वहीं मामले की गंभीरत को देखते हुए केंद्र सरकार भी एक्टिव हुई किसानों से 3 दिसंबर को बातचीत करने पर अड़ी सरकार ने सोमवार को जिद छोड़ दी और 1 दिसंबर को 32 किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए विज्ञान भवन बुलाया है.


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