मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के साथ तनातनी के बीच अभिनेत्री कंगना रनौत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा है कि उन्हें मेरे साथ किए गए महाराष्ट्र सरकार के व्यवहार के मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. रनौत ने कहा कि सोनिया गांधी की ‘‘चुप्पी और बेरुखी’’ पर इतिहास फैसला करेगा.
अभिनेत्री ने ट्वीट किया, ‘‘प्रिय एवं सम्मानीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, क्या एक महिला होने के नाते आपको महाराष्ट्र में आपकी सरकार द्वारा मेरे साथ किए गए व्यवहार पर गुस्सा नहीं आता? क्या आप अपनी सरकार से अनुरोध नहीं कर सकतीं, कि वह डॉ. आम्बेडकर के दिए संविधान के सिद्धांतों को बरकरार रखे?’’
उन्होंने कहा कि गांधी पश्चिम में पली-बढ़ी हैं और भारत में रही हैं और वह महिलाओं के संघर्षों के बारे में जानती होंगी. रनौत ने एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘जब आपकी अपनी सरकार महिलाओं का उत्पीड़न कर रही है और कानून-व्यवस्था का मजाक उड़ा रही है, तब ऐसे में आपकी चुप्पी और बेरुखी के लिए इतिहास आपके बारे में फैसला करेगा. मैं उम्मीद करती हूं कि आप हस्तक्षेप करेंगी.’’
रनौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी, जिसके बाद उनके और महाराष्ट्र सरकार के बीच तनातनी की स्थिति पैदा हो गई.
गौरतलब है मुंबई में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) अधिकारियों द्वारा रनौत के कार्यालय के कुछ हिस्सों को गिराये जाने के एक दिन बाद, अभिनेत्री ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर 'सत्ता के दुरुपयोग' का आरोप लगाया था और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी आवाज दूर तक जाएगी.
कंगना ने शिवसेना के नेतृत्व वाले बीएमसी की ‘गुंडों’ से तुलना करते हुए कई ट्वीट् पोस्ट किए, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार को एक ‘‘मिलावटी सरकार’’ कहा था.
बाद में, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने बृहस्पतिवार को रनौत से मुलाकात की थी और आरोप लगाया था कि शिवसेना शासित बीएमसी ने बांद्रा में रनौत के बंगले के कुछ हिस्से को बदले की भावना से ढहाया और इसमें महाराष्ट्र सरकार की भी भूमिका थी.
अभिनेत्री (33) बुधवार को अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश से मुम्बई लौटी थीं. उन्होंने आरोप लगाया है कि शिवसेना से टकराव के कारण महाराष्ट्र सरकार उन्हें निशाना बना रही है.
शिवसेना नीत बीएमसी ने बुधवार को अभिनेत्री के बांद्रा स्थित बंगले में किए गए कुछ अवैध निर्माण कार्य को तोड़ दिया था. हालांकि बंबई उच्च न्यायालय ने बाद में प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दिया था.
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