'केसरी' देखने से पहले जानिए सारागढ़ी युद्ध की असली कहानी, जब 10 हजार अफगानी सैनिकों से भिड़े थे 21 सिख
Battle Of Saragarhi: 21 मार्च को अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' रिलीज होने वाली है. ये फिल्म सारागढ़ी की लड़ाई पर आधारित है. फिल्म देखने से पहले सारागढ़ी की लड़ाई को समझना जरूरी है जिससे की फिल्म की कहानी और भी ज्यादा अच्छे से समझ में आएगी.
Kesari The Battle Of Saragarhi: बॉलीवुड में अंग्रेजों के जमाने की वीरगाथों पर आधारित कई फिल्में आपने देखी होंगी. ऐसी ही एक फिल्म पछले दिनों रिलीज हुई कंगना रनौत की 'मणिकर्णिका' ने लोगों का दिल जीता तो वहीं अब अक्षय कुमार फिल्म 'केसरी' लेकर आए हैं. इसमें अक्षय कुमार रियल लाइफ हीरो हवलदार ईशर सिंह के किरदार में नजर आ रहे हैं. ये फिल्म 1897 के ऐतिहासिक सारागढ़ी युद्ध (Battle Of Saragarhi) पर आधारित है. ये फिल्म होली के मौके पर रिलीज हो रही है.
आइए जानते हैं केसरी की असली कहानी-
- इस युद्ध को भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी लड़ाई माना जाता है. इसमें सिख सैनिकों ने सारागढ़ी किला बचाने के लिए पठानों से अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी थी. इसमें 36 सिख रेजिमेंट के 21 जवानों ने 10 हजार अफगान सैनिकों को धूल चटा दी थी.
- सारागढ़ी का ऐतिहासिक युद्ध 2 सितम्बर 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना और अफगानी सेना के बीच लड़ा गया था. ये युद्ध खैबर-पखतुन्खवा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. युद्ध की खास बात ये थी कि इसमें ब्रिटिश भारतीय सेना में सिख पलटन की चौथी बटालियन में 21 सिख थे और इन पर 10 हजार अफगानी सैनिकों ने हमला कर दिया था. इस बटालियन का नेतृत्व हवलदार ईशर सिंह ने किया था.
- 10 हजार अफगानी सैनिकों के आगे भी ईशर सिंह ने हार नहीं मानी बल्कि मरते दम तक लड़ने का फैसला लिया. इस कारण इस युद्ध को सैन्य इतिहास के सबसे महान अन्त वाले युद्धों में से एक माना जाता है. ब्रिटिश भारतीय सैनिक और अफगानी सैनिकों के बीच युद्ध के दो दिन बाद दूसरी भारतीय सेना ने उस स्थान पर फिर से कब्जा जमा लिया था. इसके बाद अब इस युद्ध की याद में 12 सितंबर को सारागढ़ी दिवस के रूप में मनाते हैं.
ऐसे किया था हमला
सुबह 9 बजे लगभग 10 हजार अफगानी सेना ने सारागढ़ी पोस्ट पर पहुंचने का संकेत दिया. गुरमुख सिंह के अनुसार लोकहार्ट किले में कर्नल हौथटन को सूचना मिली कि उनपर हमला हुआ है लेकिन कर्नल हौथटन सारागढ़ी में तुरन्त सहायता नहीं भेज सकते थे. ऐसे में अपना शौर्य दिखाते हुए सभी सैनिकों ने अन्तिम सांस तक लड़ने का ऐतिहासिक फैसला किया.
इस युद्ध में भगवान सिंह सबसे पहले घायल हुए और फिर लाल सिंह. बताया जाता है कि लाल सिंह और जिवा सिंह दोनों सैनिक भगवान सिंह के शरीर को पोस्ट के अन्दर लेकर आए. इसके बाद दुश्मनों ने घेरे की दीवार के एक भाग को तोड़ दिया.
अफगान सेना कई बार भारतीय सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए लुभाता रहा. कहा जाता है कि मुख्य द्वार को खोलने के लिए दो बार प्रयास किया लेकिन असफल रहे. उसके बाद दीवार टूट गई और आमने-सामने की भयंकर लड़ाई हुई.
बहादुरी दिखाते हुए ईशर सिंह ने अपने सैनिकों को पीछे की तरफ हटने का आदेश दिया जिससे लड़ाई को जारी रखा जा सके. हालांकि इसमें बाकी सभी सैनिक अन्दर की तरफ चले गये लेकिन एक सैनिक मारा गया.
गुरमुख सिंह, जो कर्नल हौथटन को साथ युद्ध समाचार बता रहे थे वो अन्तिम सिख रक्षक थे. उन्हें मारने के लिए आग के गोलों से हमला किया. सारागढ़ी को तबाह करने के बाद अफगानों ने गुलिस्तां किले पर हमला करने के बाद 13-14 सितम्बर की रात को किले पर कब्जा कर लिया. इसके बाद उन्होंने स्वीकार किया कि 21 सिखों के साथ युद्ध में उनके 180 सैनिक मारे गये साथ ही बहुत से सैनिक घायल हुए. वहीं बताया जाता है कि बचाव दल को वहां 600 सैनिकों के शव मिले थे.
हवलदार ईशर सिंह समेत सभी लड़ाके इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए. हालांकि इसके बाद अंग्रेज सिपाहियों ने इस किले पर दोबारा से कब्जा पा लिया था.
यही कहानी अब बड़े पर्दे पर देखने को मिल रही है.
यहां देखें फिल्म केसरी का ट्रेलर