Kill Movie Review: अपने देश में बनने वाली ज्यादातर एक्शन और मारधाड़ से भरपूर फिल्मों में हिंसा का इस्तेमाल अक्सर बहुत ही अनरियल और ग्लोरिफाइड तरीके से किया जाता रहा है. एक हीरो ना जाने कितने-कितने गुंडों को पीटता चला जाता है और इस तरह से पीटता है कि उसका वास्तविकता से कोई संबंध नजर नहीं आता है.


इस शुक्रवार को रिलीज होने जा रही फिल्म 'किल' का हीरो भी एक के बाद अनगिनत गुंडों को ढेर करता चला जाता है मगर फिल्म 'किल' का एक्शन बाकी फिल्मों से कई मायनों में अलग ही नहीं है बल्कि रॉ और रियल भी दिखाई देता है.


'इंडियाज मोस्ट वॉयलेंट फिल्म' 


फिल्म 'किल' की टैगलाइन है 'इंडियाज मोस्ट वॉयलेंट फिल्म' यानी 'भारत की सबसे हिंसक फिल्म'. फिल्म 'किल' में जिस तरीके से और जिस बड़े पैमाने पर‌ हिंसा दिखाई गई है, उससे फिल्म की टैगलाइन सही साबित होती दिखाई देती है. लेकिन आपको मैं यह भी बता दूं‌ कि करण जौहर और गुनीत मोंगा द्वारा मिलकर प्रोड्यूस की गई यह फिल्म कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है. चलती ट्रेन में एक के बाद एक जिस वीभत्स तरीके से हत्याओं को अंजाम‌ दिया जाता है, उससे आपके दिल की धड़कनें कई गुना बढ़ जाएगी और हर बार आपको लगेगा कि फिल्म में दिखाई जा रही क्रूर किस्म की हिंसा को अब आप और बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे.


दौड़ती ट्रेन की बोगियों में जबरदस्त एक्शन






वैसे तो फिल्म‌ के नाम से ही जाहिर हो जाता है कि ये एक बेहद हिंसक किस्म की फिल्म है लेकिन फिल्म में किस कदर हिंसा का इस्तेमाल किया गया है, इसका अंदाजा आपको फिल्म देखने के बाद ही होता है. 'किल' की सबसे खास बात है कि फिल्म का सारा एक्शन‌ पटरियों पर दौड़ती ट्रेन की बोगियों में होता है जो इस फिल्म को बहुत ही रोमांचक और देखने लायक बनाता है.


अपने परिवार के साथ ट्रेन‌ से दिल्ली जा रही अपनी प्रेमिका तुलिका (तान्या मानिकतला) को सरप्राइज देने के चक्कर में आर्मी का कमांडो अमृत (लक्ष्य लालवानी) अपने एक और फौजी दोस्त के साथ ट्रेन में सवार हो जाता है. मगर उसे नहीं पता होता है कि उसका यह सफर ना सिर्फ उसे उसकी गर्लफ्रेंड से हमेशा-हमेशा के लिए जुदा कर देगा बल्कि ट्रेन में सवार डकैतों के सामने उसे अपना वहशी अवतार दिखाने के लिए भी मजबूर कर देगा.


कोरिया से ताल्लुक रखने वाले और एक से बढ़कर एक हॉलीवुड फिल्मों के एक्शन डायरेक्टर रह चुके सी-इयोंग-ओह की एक्शन‌ कोरियोग्राफी इसलिए‌ भी अनोखी और कमाल की है क्योंकि फिल्म का एक्शन ट्रेन की बोगियों के अंदर होता है, एक ऐसी जगह जहां पर पैसेंजर्स के लिए ठीक से खड़े होने और चलने के लिए भी स्पेस नहीं होता है. ऐसे में पूरी फिल्म में पचासों डकैतों के साथ दो फौजियों की मुठभेड़ की कल्पना करना राइटर और डायरेक्टर निखिल नागेश भट के लिए कितना मुश्किल‌ काम रहा होगा, इसे सिर्फ फिल्म देखकर ही समझा जा सकता है.


लक्ष्य लालवानी की डेब्यू फिल्म



एक आर्मी कमांडो और अपनी प्रेमिका की हत्या के बाद डकैतों से बदला लेने की भावना से सबको ढेर करने वाले हीरो के रूप में लक्ष्य लालवानी ने अपने किरदार को बखूबी अंजाम दिया है. एक्टर के तौर पर लक्ष्य का काम और कॉन्फिडेंस देखकर कहीं से भी यह महसूस नहीं होता है कि किल उनकी डेब्यू फिल्म है. उनकी शख्सियत हिंदी फिल्मों के हीरो जैसी और संभावनाओं से भरी है, यह उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से साबित कर दिया है. एक सनकी डकैत के रूप में राघव जुयाल और उनके खूंखार पिता के तौर पर आशीष विद्यार्थी भी काफी प्रभावित करते हैं और अपनी-अपनी अदाकारी से फिल्म को और भी अधिक दिलचस्प बनाने में मददगर साबित होते हैं.


चाहे फिल्म 'किल' का लेखन-निर्देशन हो, फिल्म की सिनेमाटोग्राफी हो, एडिटिंग हो, बैकग्राउंड स्कोर हो; फिल्म के हरेक पहलू को इस तरह से एक सूत्र में पिरोया गया है फिल्म रोमांच के अलग ही मुकाम पर पहुंच जाती है.


अगर आप एक आउट एन आउट एक्शन फिल्म के साथ-साथ एक बढ़िया और जज्बाती किस्म की कहानी भी देखना चाहते हैं तो निखिल नागेश भट्ट के निर्देशन में बनी एक बेहद थ्रिलिंग और रौंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म 'किल' को सिनेमाघरों में जरूर देखें. यकीनन, एक अलग तरह की ये एक्शन फिल्म 'किल' आपको पसंद आएगी.


 यह भी पढ़ें: 'एक्सेप्टेबल नहीं है, मेरी जगह कोई और होती तो...' पायल मलिक ने बताई पति की दूसरी शादी की सच्चाई