हिन्दी सिनेमा में शायद पहली बार अनुराग बसु ने एक नई कोशिश की है. ब्राडवे स्टाइल म्युजिक के जरिये अपने दर्शकों को एक नई दुनिया की सैर कराने की कोशिश...
जग्गा की जासूसी की दुनिया बहुत ही साधारण है. एक बच्चा जिसकी कमजोरी उसका हकलाना है मगर तेज बुद्धी की वजह से उसकी दिलचस्पी जासूसी में है. मां-बाप की मौत के बाद जिस इंसान को पिता के तौर पर जाना, उनसे जिंदगी के मायने समझे. एक दिन वही इंसान जग्गा की ज़िंदगी से ओझल हो गया मगर जग्गा के जन्मदिन पर उस इंसान की सीख जग्गा तक जरुर पहुंचती थी. पिता और बेटे की कहानी है जग्गा, उम्मीद और भरोसे की कहानी है जग्गा.
फिल्म का मजबूत पक्ष...
- सबसे पहले तारीफ के हकदार हैं फ़िल्म के सिनेमैटोग्राफर रवि वर्मा, जो बेहद खूबसूरती से आपको जग्गा की इस दुनिया मे ले जाते हैं. ये दुनिया ऐसी दुनिया है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगी और बांधे रखेगी. ये ऐसी दुनिया है जिसको आप और ज्यादा देखना चाहेंगे.
- आप अगर अनुराग बसु की फ़िल्मों के दीवाने हैं तो ये फ़िल्म आपको जरुर देखनी चाहिये. अनुराग ने हिन्दी सिनेमा को एक ऐसी फ़िल्म दी है जो अपनी तरह की अनोखी फ़िल्म है. फ़िल्म के फोर्मेट के साथ एक्सपेरिमेंट करने का मादा हर फ़िल्मकार नही रखता. अनुराग ने तीन साल मे ये फ़िल्म क्यों बनाई वो ये फ़िल्म देखकर आप बखूबी समझ जायेंगे.
- कैटरीना हर फ़िल्म की तरह इस फिल्म में भी खूबसूरत लगी हैं. लेकिन इस फ़िल्म मे कैट की खूबसूरती पर हावी हो जाती है उनकी सहज तरीके से की गई अदाकारी जो कहीं भी बनावटी नही लगती.
- रणबीर कपूर डायरेक्टर के एक्टर हैं, ये बात एक बार फ़िर से साबित हो गई है. फ़िल्म मे उनका अभिनय काफी सहज है और वे दर्शको को बांधे रखते हैं.
- अनुराग बसु की फ़िल्म मे छोट-छोटे किरदार भी काफी उभर कर आये हैं. फ़िल्म मे जग्गा के पिता का किरदार निभाने वाले शास्वत चैटर्जी, पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार मे राजातवा चैटर्जी और नेगेटिव रोल मे सौरभ शुक्ला, हर किसी ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है.
- 'जग्गा जासूस' एक म्युजिकल फिल्म है तो जाहिर सी बात है कि इस फ़िल्म में संगीत एक अहम रोल अदा करेगा, जिसकी जिम्मेदारी दी गई थी प्रीतम को. उन्होनें अपने काम को शानदार ढंग से किया है. 29 गाने जो फ़िल्म की कहानी बयां करती है वो काफी दिलचस्प है.
- फिल्म के आखिर में नवाजुद्दीन सिद्दकी की एंट्री सब को चौका देती है और जग्गा के सीक्वल का भी इशारा देती है.
फिल्म की कमजोरियां...
- पहले हाफ मे जग्गा आपको अपनी जर्नी का हिस्सा तो बना लेता है और हमें मजा भी बहुत आता है. लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी बड़ी हो गई है. फ़िल्म मे जग्गा और श्रुति की भागदौड़ से आप थक जाते हैं.
- फिल्म का स्क्रीनप्ले कई जगहों पर आपको निराश कर देता है. जिस अंदाज से कहानी कही गई है, उसमें दर्शकों को कहानी समझने मे थोड़ी मुश्किल होती है.
- 3 साल से बन रही ये फ़िल्म आखिरकार रिलीज़ हो ही गई. कैटरीना और रणबीर के ब्रेकअप के बाद अगर आप को उन दोनों की केमेस्ट्री देखनी है तो 'जग्गा जासुस' आपको निराश नही करेगी.