नई दिल्ली : सलमान खान की फिल्म का इंतजार एक जश्न की तरह होता है. खास तौर पर उनकी हालिया फिल्म 'बजरंगी भाईजान' और 'सुल्तान' के बाद लोगों की उम्मीदें उनसे कही ज्यादा बढ़ गई थी. ऐसे में 'ट्यूबलाइट' ने दर्शकों को खासा निराश किया है.
फिल्म 'ट्यूबलाइट' बात करती है यकीन की...खूब सारा यकीन...जो कभी बोतल हिला देती है तो कभी पहाड़. यहां सलमान एक ऐसे इंसान का किरदार निभा रहे हैं जो बच्चे की तरह है. दुनियादारी के पचड़े उसे समझ नही आते...भाई से प्यार करता है जिसके युद्ध में जाने के बाद वह दुखी हो जाता है और फिर परिस्थितियां उसे संभालती है.
फिल्म का मजबूत पहलू
- सलमान खान को बड़े परदे पर देखना उनके फैंस के लिए त्योहार जैसा होता है.
- मेटिन..सलमान का वो बच्चा दोस्त जिसका एनर्जी और मासूमियत दिल को खुश करती है.
- कुछ एक पल जब सलमान खान और सोहेल खान का इमोशन सिर्फ आंखो में नजर आता है.
फिल्म की कमियां
- सलमान खान ने ये फिल्म क्यों की? ये आम सवाल दर्शक पूछ रहे हैं.
- कबीर खान की फिल्म को लेकर दर्शकों में उत्साह होता है, यहां हताशा देखने को मिली.
- कहानी में कहने को कुछ भी नहीं था, कहानी, पटकथा बेहद कमजोर. सलमान खान के डायलॉग्स लोगों को हर फिल्म के बाद याद रहते हैं मगर यहां इसकी कमी है.
- क्लाईमैक्स बेहद कंप्यूजिंग.
- फिल्म के अन्य कलाकार भी कोई छाप नहीं छोड़ पाए.
- प्रीतम के म्यूजिक की बात करे तो ‘सजन रेडियो’ के अलावा सभी गाने एवरेज है.
'ट्यूबलाईट' के लिए ईद का वीकएंड काफी अहम है. फिल्म बॉक्स आफिस पर पैसे जरूर बनाएगी लेकिन यकीनन ये सलमान खान और कबीर खान के करियर की एक कमजोर फिल्म कहलाएगी.