Chandan Roy Sanyal Struggle: स्ट्रगल के दिनों में फ्लैट का किराया भरने की फिक्र में रहते थे आश्रम के 'भुप्पा स्वामी', आमिर की इस फिल्म से किया था डेब्यू
Chandan Roy Sanyal Struggle: वेब सिरीज आश्रम में भुप्पा स्वामी का किरदार निभाकर मशहूर हुए चंदन रॉय सान्याल एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा और आज उन्हें हर कोई जानता है.
Chandan Roy Sanyal Struggle: आमिर खान की फिल्म लगान में एक संवाद है. आमिर खान कहते हैं 'अगर चिमटे को चूल्हें से रोटी निकालनी है तो उसे आग में जलना ही पड़ेगा.' फिल्म का ये संवाद जिंदगी में भी लागू होता है. वेब सीरीज आश्रम में भुप्पा स्वामी का रोल निभाकर लाइमलाइट में आने वाले चंदन रॉय सान्याल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. कामयाबी को हासिल करने के लिए उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में जी तोड़ मेहनत की. इस मेहनत के ही दम पर वो अपनी पहचान बनाने सफल हो पाए हैं. लेकिन इसके पीछे उनका लंबा संघर्ष है.
चंदन रॉय सान्याल का स्ट्रगल
चंदन रॉय सान्याल ने 2006 में आई फिल्म रंग दे बसंती से एक छोटे से किरदार से फिल्मों में एंट्री की थी. दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने संघर्ष को लेकर बातचीत की. उन्होंने कहा कि पहली बार शाहिद कपूर के साथ की गई फिल्म कमीने में मेरे अभिनय को नोटिस किया गया था. उन्होंने कहा कि मेरे काम की क्रिटिक्स ने भी तारीफ की, लेकिन इसके बाद भी मुझे फिल्मों में कोई खास रोल नहीं मिला. उनके पास छोटे ही रोल के ऑफर आते थे. वो छोटे रोल भी काफी शिद्दत और पूरी ईमानदारी के साथ निभाते थे.
चंदन ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि उन्हें शानो शौकत दिखाने का शौक नहीं है. उन्होंने कहा कि जब मेरे पास काम कम है तो मैं किश्त पर महंगी गाड़ियां नहीं ले सकता. हालांकि स्ट्रगल के दिनों में उनकी बड़ी चिंता अपने फ्लैट का किराया भरने की थी. उनका कहना है कि मुझे फिक्र रहती थी कि अगर किराया नही भरा तो कहीं मकान मालिक घर से बाहर न कर दे.
वेब सिरीज आश्रम का भुप्पा स्वामी का किरदार
इसके बाद चंदन ने 2019 में ज़ी5 की वेबसिरीज परछाई और भ्रम से ओटीटी प्लैटफॉर्म पर कदम रखा. साल 2020 में एमएक्स प्लेयर की वेब सीरीज़ आश्रम आई और इस सीरीज में भुप्पा स्वामी का किरदार निभाकर चंदन रातों रात स्टार बन गए. अपने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए चंदन ने इस बात का खुलासा किया कि उनके मुश्किल दिनों में लोगों का नजरिया उनको लेकर बदल गया था, जब वो किसी के पास काम के लिए जाते थे तो लोग टाइम नहीं देते थे. लेकिन आज वही लोग उनसे मिलना पसंद करते हैं और काम की बातें भी करते हैं.