तालिबान के आतंक से अफगानिस्तान में कोहराम मचा हुआ है. उनकी दहशत से घबराए लोग भागे-भागे घूम रहे हैं और अपनी सबकुछ छोड़कर देश छोड़ने के लिए तैयार हैं. तालिबानियों के खौफ से लोग सहमे हुए हैं. खुलेआम मार-काट, बम धमाके और गोलियों की गूंजती आवाज ने उनमें खौफ भर दिया है. जिनके डर से अफगानिस्तायों की हालत खराब है ऐसे तालिबानी आतंकियों से एक बार फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम और डायरेक्टर कबीर खान की टीम का भी सामना हो चुका है.
फिल्म 'काबुल एक्सप्रेस' की शूटिंग के दौरान तालिबान ने इनकी पूरी टीम को बम से उड़ाने की धमकी दी थी.
तालिबानियों से युद्ध के बाद अफगानिस्तान की हालत पर बनी फिल्म 'काबुल एक्सप्रेस' साल 2006 में रिलीज हुई थी. ये कहानी इसी फिल्म की शूटिंग के वक्त की है. तालिबान का शासन खत्म होने के बाद अफगान में शूट होने वाली ये पहली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म थी. जिसकी शूटिंग काबुल में चल रही थी. तभी तालिबानियों ने पूरी फिल्म की यूनिट को बम से उड़ाने की धमकी दी थी. इसका धमकी का असर ये रहा कि कबीर खान को मजबूरन बीच में ही फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़ी. भारतीय एंबेसी की ओर से खबर मिली कि तालिबान ने 5 आत्मघाती कमांडो तैयार किए हैं.
तालिबान की धमकी को हल्के में नहीं लिया जा सकता था जिसके बाद अफगान सरकार फिल्म की यूनिट को सुरक्षा का भरोसा दिया. बताया जाता है कि शूटिंग के दौरान क्रू से ज्यादा वहां पर सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते थे. चारों तरफ से उनकी सुरक्षा को पुख्ता किया गया था. इसके अलावा यूनिट को खासतौर पर 60 हथियारबंद कमांडों भी मुहैया कराए गए थे. एक बार तो ऐसा हुआ कि जैसे ही कबीर खान ने कैमरे को रोल करने को कहा एकदम से सेट पर गोली चल गई. इससे पूरी यूनिट घबरा गई थी. उन्होने कहा कि हम 35 एसयूवी के साथ यहां से वहां जाते थे.
काबुल में गनों की संख्या देखकर खुद अभिनेता अरशद वारसी भी हैरान रह गए थे. उनका कहना था कि यहां मोबाइल से ज्यादा लोगों के हाथों में गन है. फिल्म के बारे में बात करते हुए एक बार कबीर खान ने कहा था कि वो काबुल एक्सप्रेस फिल्म की मेकिंग पर भी एक फिल्म बना सकते हैं. कबीर खान ने कहा कि "जब मैंने पहली बार इस काबुल एक्सप्रेस बनाने के बारे में सोचा तो इसकी शूटिंग के लिए अफगानिस्तान को ही चुना. इस फिल्म में काबुल सिर्फ एक लोकेशन नहीं बल्कि एक किरदार है. जिसके बिना फिल्म पूरी नहीं हो सकती थी."
ये फिल्म भले ही कमर्शियली हिट नहीं हो पाई लेकिन इसने खूब तारीफें बटोरी थीं. इस फिल्म के लिए कबीर खान को इंदिरा गांधी बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड मिला था.
अफगानिस्तान आज जिस दौर से गुजर रहा है उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. तालिबान का कहर वहां के लोग झेल नहीं सकते तो जरा अंदाजा लगाइए कि उस वक्त 'काबुल एक्सप्रेस' की टीम का क्या हाल हुआ होगा.