बर्थडे स्पेशल: भारत की आज़ादी के साल भर बाद ही लता मंगेशकर ने बदल दी हिंदी सिनेमा की गायकी की दुनिया
Lata Mangeshkar 90 Birthday: लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को (अभी मध्यप्रदेश) के सेंट्रल प्रोविंस इंदौर में हुआ था. स्वर कोकिला के पहले शिक्षक उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ही थे. लता पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं. लता की तीन बहनें (मीना, आशा, उषा) और एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर थे.
नई दिल्ली: हिंदुस्तानी सिनेमा में गायकी के क्षेत्र में लता मंगेशकर का नाम सबसे ऊपर से भी ऊपर है. महिला सिंगर्स में लता मंगेशकर की आवाज़ का कोई सानी नहीं. उनकी आवाज़ का जादू 10, 20, 40 या 50 नहीं, बल्कि उससे भी ज्यादा सालों से लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. अब वो फिल्मी गाने नहीं गातीं, लेकिन फिर भी उनकी आवाज़ हर ओर सुनाई देती है. आने वाली 28 सितंबर को स्वर कोकिला और भारत रत्न से नवाज़ी जा चुकीं हर दिल अज़ीज़ गायिका लता मंगेशकर 90 साल की हो रही हैं. इस खास मौके पर हम उनकी ज़िंदगी के कुछ अनजाने और अनकहे किस्सों को आपसे रू-ब-रू कराने की कोशिश कर रहे हैं.
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को (अभी मध्यप्रदेश) के सेंट्रल प्रोविंस इंदौर में हुआ था. स्वर कोकिला के पहले शिक्षक उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ही थे. दीनानाथ मंगेशकर एक थिएटर कंपनी के मालिक थे और मशहूर क्लासिकल सिंगर भी. उनकी मां का नाम शेवनती मंगेशकर था. लता पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं. लता की तीन बहनें (मीना, आशा, उषा) और एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर थे. जब लता मंगेशकर महज़ पांच साल की ही थीं, तभी से उन्हें पिता ने संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी. उस दौरान उन्होंने पिता के कुछ नाटकों में अभिनय भी किया था.
1940 के दौर में रखा फिल्मी दुनिया में कदम लता मंगेशकर ने साल 1940 के दौर में जब फिल्मी दुनिया में एंट्री ली, तो उस दौर में नूर जहां और शमशाद जैसे सिंगर्स का दबदबा था. इनकी आवाज़ भारी थी. उस वक्त बॉलीवुड में इसी स्टाइल के सिंगर्स का चलन था. इसके चलते लता मंगेशकर को कई प्रोजेक्ट नहीं मिल पाए. दरअसल माना जाता था कि लता की आवाज़ की पिच काफी हाई थी और उनकी आवाज़ पतली भी थी.
साल 1942 में उनके पिता इस दुनिया को छोड़ गए और लता मंगेशकर के कंधों पर परिवार को संभालने की सारी ज़िम्मेदारी आ गई. यही वो दौर था, जब उन्होंने फिल्मों में अभिनय की शुरुआत की. पैसों की कमी को पूरा करने के लिए लता मंगेशकर ने 1942 से लेकर 1948 तक करीब 8 हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया.
लता के लिए गायकी के क्षेत्र में शुरुआत करना आसान नहीं था. उन्होंने साल 1942 में मराठी फिल्म 'किति हसाल' से प्लेबैक सिंगर के तौर पर डेब्यू तो किया, लेकिन उनके गाने को एडिट कर फिल्म से बाहर कर दिया गया. हिंदी सिनेमा में उन्होंने पहला गाना साल 1943 में गाया. ये गाना था फिल्म 'गजाभाऊ' का और इसके बोले थे 'माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू." हालांकि इस गाने से लता को कुछ खास पहचान नहीं मिली.
1948 के बाद लता ने बदल दी गायकी की दुनिया भारत को आज़ादी मिले लगभग एक साल हुए थे. लता मंगेशकर संघर्ष कर रही थीं. इस बीच उस वक्त के जाने माने म्यूज़िक कंपोज़र गुलाम हैदर ने उन्हें एक बड़ा ब्रेक दिया. 1948 में आई फिल्म 'मजबूर' में लता मंगेशकर ने 'दिल मेरा तोड़ा मुझे कहीं का न छोड़ा' गाना गया और इसके बाद वो सफलता की उस राह पर चल पड़ीं, जिसपर वापसी का रास्ता ही नहीं था.
एक साल बाद 1949 में उन्होंने चार फिल्मों में गाने गाए. फिल्म 'महल' में गाया उनका गाना 'आएगा आनेवाला' बेहद पसंद किया गया. इसमें उन्होंने मधुबाला के लिए गाना गाया था. इसके बाद उन्होंने 'दुलारी', 'बरसात' और 'अंदाज़' में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा. इन फिल्मों के बाद उन्होंने भारी और नाक से गाने वाले सिंगर्स को पसंद करने की अवधारणा को ही बदलकर रख दिया. चंद महीनों में ही लता मंगेशकर ने इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना ली. लता मंगेशकर ने इसके बाद उस दौर के सभी दिग्गज म्यूज़िक डायरेक्टर्स और सिंगर्स के साथ काम किया. इस दौरान उन्होंने एसडी बर्मन, सलील चौधरी, संकर जयकिशन, नौशाद, मदन मोहन, कल्यानजी आनंदजी और खय्याम जैसे दिग्गजों के साथ काम किया.
1958 में इस गाने के लिए पहला फिल्मफेयर लता मंगेशकर ने 1950 के दौर में कई सुपरहिट फिल्मों में अपनी रूहानी आवाज़ के ज़रिए सुनने वालों को सुकून पहुंचाया. उस दौरान उन्होंने बैजू बावरा, मदर इंडिया, देवदास और मधुमति जैसी हिट फिल्मों में गाने गाए. फिल्म 'मधुमति' के गाने 'आजा रे परदेसी' के लिए 1958 में लता मंगेशकर को पहला फिल्मफेयर मिला.
60, 70 और 80 के दशक में गाए गए लता मंगेशकर के ज्यादातर गाने ऑल टाइम हिट्स की कैटगरी में आते हैं. लता मंगेशकर ने उस दौर के मशहूर गायकों जैसे मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश, हेमंत कुमार, महेंद्र कपूर और मन्ना डे, इन सभी के साथ सैकड़ों हिट्स दिए. कहा जाता है कि लोग लता की तारीफें करते नहीं थकते थे और बड़े-बड़े प्रोड्यूसर्स, म्यूज़िक डायरेक्टर्स और एक्टर्स उनके साथ काम करने के लिए होड़ लगाया करते थे.
इतना लंबा करियर और हज़ारों गाने. लता मंगेशकर के लिए जितना कहा जाए उतना कम होगा. उनकी आवाज़ दिल को छूती नहीं, बल्कि दिल में बस जाती है. आज की नौजवान पीढ़ी भी उनके गाए कई गानों की दीवानी है. साल 1977 में आई फिल्म 'किनारा' में लता मंगेशकर ने भूपिंद्र सिंह के साथ एक गाना गाया था, जिसके बोल थे 'नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा, मेरी आवाज़ ही, पहचान है, गर याद रहे.' लता मंगेशकर की ये लाइने उनके हर चाहने वाले को हमेशा याद रहेंगी. उनकी आवाज़ भी याद रहेगी, उनका चेहरा भी याद रहेगा और उनका नाम भी याद रहेगा.