Lata Mangeshkar Birth Anniversary: 'सपने' ने लिख दी थी लता की शोहरत की कहानी, क्या आपको पता है स्वर कोकिला से जुड़ा यह किस्सा?
Lata Mangeshkar: उनकी आवाज में इतनी मिठास है कि उसे आज भी कोई सुनता है तो मंत्रमुग्ध हो जाता है. बात हो रही है लता मंगेशकर यानी लता दी की, जिनकी आज बर्थ एनिवर्सरी है.
Lata Mangeshkar Unknown Facts: 28 सितंबर 1929 के दिन मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर भले ही इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं, लेकिन उनकी आवाज का जादू इस जहां में सदियों तक बरकरार रहेगा. लता दी को संगीत विरासत में मिला, क्योंकि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर एक्टर, म्यूजिशियन और वोकलिस्ट थे. जन्म के वक्त लता का नाम हेमा रखा गया था, लेकिन जब वह पांच साल की हुईं, उस वक्त उनका नाम लता कर दिया गया. बर्थडे स्पेशल में हम आपको लता मंगेशकर से जुड़ा ऐसा किस्सा बताने जा रहे हैं, जो आपने शायद ही कभी सुना होगा.
20-22 साल की उम्र में रिकॉर्ड करती थीं छह से आठ गाने
लता दी और संगीत का साथ बचपन से ही रहा. जब वह 20-22 साल की हुईं, उस वक्त वह एक दिन में छह से आठ गाने रिकॉर्ड करती थीं. वह सुबह दो गाने तो दोपहर में दो गाने और रात में दो-तीन गाने रिकॉर्ड करती थीं. पूरे दिन मेहनत करके जब लता दी सो जाती थीं, तब वह रोजाना एक जैसा सपना देखती थीं. जानकार बताते हैं कि उन्होंने इस सपने का जिक्र अपनी मां से किया था.
सपने में क्या देखती थीं लता दी?
लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह रोजाना सपने में सुबह के वक्त समुद्र के पास एक देवी के मंदिर को देखती थीं. वह जब मंदिर का दरवाजा खोलती थीं तो काले पत्थर की सीढ़ियां और रंग-बिरंगा पानी नजर आता था. जब वह मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाती थीं, तब रंग-बिरंगा पानी उनके पैरों को छूने लगता था. लता मंगेशकर ने अपनी मां से इस सपने का मतलब पूछा था. उनकी मां ने सपने का मतलब बताते हुए कहा था कि लता, यह भगवान का आशीर्वाद है. देखना एक दिन तुम बहुत मशहूर हो जाओगी. मां की कही बात लता दी की जिंदगी में हकीकत साबित हुई.
ऐसा रहा लता मंगेशकर का करियर
बता दें कि लता मंगेशकर ने साल 1942 के दौरान अपना करियर शुरू किया था. उस वक्त वह महज 13 साल की थीं. उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में करीब 30 हजार गाने गाए. वह भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे मशहूर और सम्मानित पार्श्व गायकों में शुमार रहीं. बता दें कि लता मंगेशकर को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. कोरोना महामारी के दौरान लता मंगेशकर भी संक्रमित हो गई थीं और 6 फरवरी 2022 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गईं.
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