नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे. उनके निधन से पूरा देश शोकाकुल है. आम लोगों से लेकर राजनेताओं, खेल और बॉलीवुड हस्तियां लगातार अपना शोक प्रकट कर रही हैं. सुर सामाग्री लता मंगेश्कर ने भी पूर्व प्रधानमंत्री की मौत पर दुख जताया है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से कहा कि एक महान कवि, महान लेखक और एक साधु पुरूष हमारे बीच से चला गया.


लता मंगेश्कर ने पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए कहा, ''अटल जी को मैं जानती थी, उन्होंने मुझे बेटी बनाया था और मैं उन्हें दद्दा नाम से बुलाती थी. वो मुझे बहुत प्यार करते थे. वो मेरे पिताजी जैसे

थे. और मैं वैसा ही दुख हो रहा है जिस दिन मेरे पिताजी की डेथ हुई थी. एक महान कवि, महान लेखक और एक साधु पुरूष हमारे बीच से चला गया.  मैं अटल जी से बहुत ज्यादा नहीं मिली हूं, मैने उनके लिए बहुत कविताएं उनके लिए रिकॉर्ड की थी. उनमें से एक मैं उन्हें सुनाने गई थी. जिसके बोल थे 'ठन गई मौत से ठन गई'. जिसकी उन्होंने तारीफ की. पर घर के लोगों ने कहा कि हमारे बाबूजी होते हुए

हमें ये 'मौत से ठन गई' नहीं चाहिए. फिर मैने वो गाना बदल दिया. फिर वो गाना रिलीज हुआ और जिस दिन रिलीज हुआ उस दिन मैं भाषण देने के लिए खड़ी हुई. और मैने कहा कि मैं अटल जी को पिता समान मानती थी. और वो भी मुझे बेटी मानते थे. बहुत अलग सी बात है देखिए अटल और लता ये दोनों नाम उलट देने एक नाम बन जाता है जैसे ATAL अटल और Lata लता तो उनको ये बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने ने पूछा कि ये आपको कैसे सूझा तो मैने कहा कि ये सत्य है. जिसके बाद उन्होंने कहा कि मेरे मन आपके लिए बहुत इज्जत और स्नेह है.''


उन्होंने ने ये भी याद करते हुए बताया, ''उनको जब हमने रिकॉर्ड सुनाया तो उनको सारे गाने पसंद आए. तो उन्होंने कहा कि ये सभी अच्छे हैं. इसमें कोई एसा गाना नहीं है जिसे निकालना चाहिए इतने खुश हुए वो उन्होंने मेरे गाने में कभी ज्यादा बात नहीं की.  हमेशा दूसरों मुद्दों पर बात की जैसे मैंने कहा कि मैंने अस्पताल खोला है जिसका उद्घाटन मैं आपसे करवाना चाहती हूं. उन्होंने ये बात मानी और उद्घाटन करने भी आए. वो जब वहां आए तो उन्होंने कहा कि 'मुझे सबसे अजीब बात ये लग रही है लता मंगेश्कर अस्पताल खोले, लता का तो म्यूजिक स्कूल होना चाहिए. अगर मैं आशा करूं हूं कि ये आपका अस्पताल खूब चले लेकिन इसमें फिर लोगों को भी बीमार होना पड़ेगा' तो ऐसी कवियों के जैसी भाषा थी अटल. उनकी आवाज मैं एक चुंबकीय आकर्षण था. मैं बहुत मिस करूंगी उन्हें.''


उनके व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ''उनका दिल बहुत बड़ा था और बहुत नर्म था. बहुत अच्छे इंसानों में ऐसी बातें देखने को मिलती हैं.  अब भारत का जो नुकसान हुआ है ये हानि कभी भर नहीं सकती. राजनेता वो बहुत अच्छे थे. लेकिन नेताओं में जो एक अलग बात होती है वो नहीं थी. वो बहुत सरल नेता थे. उनको हमारा म्यूजिक आगे बढ़ाने की कोशिश तो होती ही थी. लेकिन उन्होंने जो लिख के रखा है उसे गाने का मन करता है. जब मैंने उनकी किताब पढ़ी तो हैरान हो गई कि इतनी अच्छी कविताऐं कैसे लिख सकता है कोई. उन्होंने अपना बचपन लिखा है. मन मैं क्या है वो भी लिखा है. मौत से भी ठन गई वो भी कहने की हिम्मत है उनमें, बहुत सारे तो मेरे पास नहीं है पर एक बात मैं जरूर कहूंगी, कि मुझे आज ऐसा लग रहा है कि आज मेरे पिता नहीं रहे. और हमारे देश का एक साधु पुरुष हमारे बीच नहीं है. और ये देश अब निराश हो चुका है. भारत रत्न उनको अल्जाइमर होने से पहले मिलता तो बहुत खुशी होती.''