बॉलीवुड पर लॉकडाउन के असर से परेशान है FWICE, शूटिंग शुरू होने से पहले चाहती है इस तरह की सुविधाएं
फेडरेशन ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद शूटिंग के दौरान अपने मजदूरों व तकनीशियनों के स्वास्थ्य व सुरक्षा और आर्थिक जरूरतों का खास खयाल रखने की नीतियों पर किया विचार.
मुंबई: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े 32 क्राफ्ट संस्थाओं की मदर बॉडी फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) के तहत तकरीबन 5 लाख दिहाड़ी मजदूर व तकनीशियन काम करते हैं. लॉकडाउन के पहले से ही तमाम तरह की शूटिंग के बंद हो जाने के चलते ज़्यादातर दिहाड़ी मजदूर व तकनीशियन रोजी-रोटी के संकट से गुजर रहे हैं. ऐसे में FWICE को उम्मीद है कि 50 दिनों से भी लम्बे समय से भी ज्यादा समय से चला आ रहा लॉकडाउन जल्द से जल्द खत्म हो जाए और शूटिंग शुरू हो, मगर इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं.
लेकिन इससे पहले कि लॉकडाउन के बाद वाले माहौल में शूटिंग शुरू हो और मजदूर व तमाम टेक्नीशियन काम पर लौटें, FWICE चाहती है कि शूटिंग के दौरान मजदूरों व टेक्नीशियन के स्वास्थ्य व सुरक्षा के मद्देनजर तमाम तरह के नियमों को लागू किया जाए और उनके आर्थिक हितों का भी पूरा ध्यान रखा जाए.
इस मामले में एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत बात करते हुए FWICE के अध्यक्ष बी. एन. तिवारी ने कहा, "लॉकडाउन के बाद सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर तमाम तरह के एहतियात बरतना जरूरी हो जाएगा. ऐसे में हम चाहते हैं कि निर्माताओं की ओर से हर सेट पर डॉक्टर और एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाए. सेट पर काम करने वाले हर व्यक्ति के लिए मास्क और ग्लव्स उपलब्ध कराये जाएं. हर सेट पर एक सुपरवाइजर भी नियुक्त किया जाए, जो सेट पर सामाजिक दूरी के नियमों के पालन और उनसे संबंधित बातों पर अच्छी तरह से निगरानी रखे."
बी. एन. तिवारी आगे कहते हैं, "अगर कोई फिल्म अथवा सीरियल का निर्माता सेट पर अधिक लोगों की भीड़ से बचने के लिए अपने सेट पर पहले के मुकाबले महज 50 फीसदी लोगों के साथ ही शूटिंग करना चाहता है, तो ऐसे में हमारी मांग होगी कि शूटिंग में शामिल नहीं किये गये बाकी 50 प्रतिशत लोगों को भी पूरा मेहनताना दिया जाये."
फिल्म व टीवी कलाकारों की संस्था सिने ऐंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (CINTAA) के साथ अपनी मीटिंग में व्यापक चर्चा के बाद बी. एन. तिवारी ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "हम चाहते हैं 90 दिनों के पेमेंट मॉड्यूल में भी तब्दीली आनी चाहिए और मजदूरों/तकनीशियनों को तीन महीने की बजाय एक महीने में मेहनताना मिलना चाहिए और जिन्हें एक महीने में पेमेंट मिलती है, उन्हें सात दिनों के अंदर पैसे मिलने चाहिए. आगे निर्माताओं और चैनल्स के साथ होने वाली हमारी बैठक में भी हम इन सभी मुद्दे को उठाने वाले हैं."
FWICE ये भी चाहती है कि लॉकडाउन के बाद शूटिंग शुरू होने पर 60 साल से अधिक उम्र के मजदूरों व तकनीशियनों को कम से कम तीन महीने तक सेट पर काम पर न बुलाया जाए. उसका यह भी कहना है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को भी काम से राहत मिलनी चाहिए. बी. एन. तिवारी कहते हैं कि इसका मतलब ये नहीं हैं बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को मेहनताना नहीं मिलना चाहिए."
उल्लेखनीय है कि इंडस्ट्री में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि फिल्मों व टीवी सीरियलों की शूटिंग जून के अंत तक शुरू हो सकती है. मगर फेडरेशन का कहना है कि इस तरह के कयासों पर ध्यान देने की बजाय हम लॉकडाउन के बाद की व्यवस्थाओं के लिए सरकारी दिशा-निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के खत्म होने के बाद और शूटिंग के दौरान किन-किन बातों का खास खयाल रखा जाये, इसे लेकर FWICE ने आज एक पत्र जारी किया है. इस पत्र के जरिए फ़ेडरेशन ने इंडस्ट्री से जुड़े तमाम हितधारकों- तमाम संस्थाओं, टीवी व फिल्म निर्माताओं और ब्रॉडकास्टर्स (चैनल्स) से अपील की है कि सभी एक वर्चुअल मीटिंग से जुड़े और लॉकडाउन के बाद की तमाम व्यवस्थाओं और शूटिंग के दौरान लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा पर चर्चा कर विस्तृत गाइडलाइन तैयार करने में मदद करें.