स्टारकास्ट: कार्तिक आर्यन, कृति सैनन, पंकज त्रिपाठी, विनय पाठक, अपारशक्ति खुराना
डायरेक्ट: लक्ष्मण उतेकर
रेटिंग: ***


लिव इन रिलेशनशिप पर बनी फिल्म 'लुका छुपी' में रोमांस, कॉमेडी का भरपूर डोज है. ये फिल्म इंटरटेन करने के साथ-साथ कई मुद्दों पर हंसी मजाक में ही गंभीर चोट कर जाती है. ये फिल्म इसलिए खास है क्योंकि लिव इन आज भी हमारे समाज के लिए 'हौवा' है. शादी से पहले लड़के और लड़की के साथ रहने को अब भी छोटे शहरों में संस्कृति के खिलाफ माना जाता है.  इस पर देश में जमकर राजनीति भी होती है. भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर कई तरह की सेनाए हैं जो खुलेआम गुंडागर्दी करती हैं. उन्हें ये फिल्म बेनकाब भी करती हैं. शॉर्ट में कहें तो ये बस पॉलिटिकल पार्टियों के लिए एक गरमागरम मुद्दा है. 'लव जिहाद' और 'प्रेमी जोड़ों' पर अत्याचार की खबरें उत्तर प्रदेश से खूब आती हैं और फिल्म मेकर्स की हिम्मत देखिए कि उन्होंने मथुरा जैसे धार्मिक शहर में इस कहानी का ताना बुना है और काफी साफ सुथरी फिल्म बनाई है. यहां पर मेकर्स अपनी बात को समझाने में बखूबी कामयाब होते हैं.



फिल्म लिव इन को लेकर लड़के और लड़कियों दोनों के पक्ष को दिखाती है.जहां लीड एक्टर गुड्डू प्यार के बाद शादी में यकीन रखता हैं वहीं फिल्म की नायिका का सोचना है कि शादी से पहले साथ रहने में क्या हर्ज है. और कुछ ऐसा ही तो शाहरुख खान ने फिल्म 'डियर ज़िंदगी' में कहा था, ''हम एक कुर्सी खरीदने से पहले इतनी कुर्सियां देखते हैं, फिर अपना लाइफ पार्टनर चूज करने से पहले ऑप्शन देखने में क्या प्रॉब्लम है?''


कहानी


फिल्म की कहानी का ताना बाना यूपी के मथुरा और ग्वालियर की है. गुड्डु (कार्तिक आर्यन) इस शहर के केबल चैनल में स्टार रिपोर्टर है. गुड्डू और उसका कैमरामैन अब्बास (अपारशक्ति खुराना) मिलकर शहर से दिलचस्प कहांनियां निकालते हैं. रश्मि इंटर्नशिप के लिए उसी केबल चैनल को ज्वाइन करती है. यही से गुड्डू और रश्मि का प्यार यहीं परवान चढ़ता है.



गुड्डू को शादी करनी है लेकिन रश्मि लिव इन में रहकर सब कुछ देख समझ लेना चाहती है. लेकिन छोटे शहर में ये सब इतना आसान कहां वो भी तब जब रश्मि के पापा खुद संस्कृति रक्षा पार्टी के मुखिया हैं. उनकी पार्टी लिव इन को भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानती है और ऐसे प्रेमी जोड़ों को पकड़कर मुंह पर कालिख पोतती है. लेकिन फिर भी दोनों ग्वालियर में काम के बहाने साथ रहने पहुंचते हैं. यहां अचानक दोनों के घरवालों को गलतफहमी होती है कि इनकी शादी हो चुकी है. घरवाले इन्हें अपना लेते हैं लेकिन इतकी मुसीबत ये है कि ये शादी करना चाहते हैं लेकिन चुपचाप... ये कन्फ्यूजन बहुत ही मेजदार है और फिल्म खूब हंसाती है.


एक्टिंग


कार्तिक आर्यन ग्वालियर के ही रहने वाले हैं और इस शहर के चाल-चलन, हाव भाव और एक्सेंट दोनों पर उनकी भरपूर पकड़ है. उनकी क्यूटनेस और चॉकलेटी अंदाज पर्दे पर काफी जमता है. कृति सैनन के साथ उनकी केमेस्ट्री काफी जमी है.



कृति सैनन को उनकी पर्सनैलिटी के मुताबिक दिल्ली शहर से पढ़ाई करने वाली लड़की रश्मि का किरदार दिया गया है. वो ग्लैमरस हैं और एक्टिंग भी अच्छी की है. 'बरेली की बर्फी' में भी उन्होंने छोटे शहर की लड़की बिट्टी शर्मा का किरदार निभाया था जो काफी पसंद किया गया. अब कृति ऐसे फिल्ममेकर्स की पहली पसंद बनती जा रही हैं. कार्तिक और उनकी जोड़ी इसमें कमाल की लगी है.


वहीं पकंज त्रिपाठी इसमें रंगीन मिजाज शख्स की भूमिका में हैं. शायद इससे पहले उन्होंने कभी ऐसा किरदार नहीं किया है. उनके रंगढंग और पहनावा सब कुछ अलग है. पंकज त्रिपाठी ने खुद के साथ नया एक्सपेरिमेंट किया है लेकिन कुछ कमी रह गई है जिससे उनका किरदार यहां बहुत कमजोर पड़ गया है.


अपारशक्ति खुराना हमेशा की तरह छोटे-छोटे दृश्यों में अपनी छाप छोड़ जाते हैं. इसके अलावा इस फिल्म के हर छोटे-बड़े किरदार ने अपने रोल में मेहनत की है.


डायरेक्शन


प्यार, रोमांस के साथ पीछे फिल्म दिखाती है कि पॉलिटिकल पार्टियां कैसे अपने हितों को साधने के लिए संस्कृति के नाम पर ऐसे मुद्दों का इस्तेमाल करती हैं. फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर हैं और ये उनकी पहली हिंदी फिल्म है. उन्होंने इस कहानी को इतनी खूबसूरती से पर्दे पर बयां किया है कि कहीं भी कमी नज़र नहीं आती. वजह ये भी है कि वो इससे पहले मराठी फिल्म 'तपाल' (2014) और 'लागबागची रानी' (2016) बना चुके हैं. इस फिल्म के साथ हिंदी में सिनेमा में उनकी दमदार एंट्री है. यहां उन्होंने उन मुद्दों पर भी कटाक्ष किया है जिनपर जमकर राजनीति होती है. चाहें मुस्लिमों को लेकर चल रहा माहौल हो या फिर प्यार और लिव-इन पर नेताओं की गंदी पॉलिटिक्स.



फिल्म में एक डायलॉग है जो अपने आप में सब कुछ बयां कर देता है. दोनों लीड एक्टर कहते हैं, ''लिव इन संस्कृति नहीं मुद्दा है....पॉलिटिकल पार्टियों के लिए..'' वहीं अब्बास भी अपने साथ हो रहे भेदभाव को देखकर एक जगह कहता है, ''मैं मुसलमान हूं लेकिन किसी और ग्रह से नहीं आया है.''


म्यूजिक


फिल्म को प्रमोट करने के लिए 'पोस्टर लगवा दो' और 'कोका कोला' सहित कई गाने रिलीज किए गए. ये सभी गाने काफी पॉपुलर हुए लेकिन फिल्म में नहीं हैं. सिर्फ दो गाने ही इसमें दिखेंगे 'तु लौंग मैं इलायची' और 'दुनिया'



क्यों देखें


'टोटल धमाल' और हाउसफुल जैसी नॉनसेंस कॉमेडी फिल्मों के दौर में 'लुका छुपी' एक शानदार प्रयास है. इसमें कहानी के साथ बहुत कुछ नया है. ये फिल्म हंसाती है, गुदगुदाती है. इसे आप फैमिली के साथ इस वीकेंड देख सकते हैं.