मुंबई: फिल्म 'आनंद', 'छोटी सी बात', 'रजनीगंधा', 'बातों बातों में' जैसी कई फिल्मों में अर्थपूर्ण गाने लिखकर 70 और 80 के दशक‌ में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले गीतकार योगेश गौर का आज सुबह मुंबई में गोरेगांव स्थित उनके ही घर में निधन हो गया.


योगेश नाम से मशहूर गीतकार योगेश गौर की मौत उम्र संबंधी बीमारियों के चलते हुई. उनकी उम्र 77 साल थी और वे एक लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. वे एक अर्से से डायबीटीज के भी मरीज थे. कुछ साल पहले उनका किडनी संबंधी ऑपरेशन भी हुआ था.


लगभग 50 साल बाद भी फिल्म 'आनंद' के लिए लिखे उनके गीत 'दूर कहीं जब दिन ढल जाए' और 'जिंदगी कैसी है पहेली हाय' आज भी संगीत प्रेमियों में उतने ही लोकप्रिय हैं.


ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी 'आनंद और बासु चटर्जी के निर्देशन में बनी 'रजनीगंधा' और 'छोटी सी बात' का संगीत जाने-माने संगीतकार सलिल चौधरी ने दिया था. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए सलिल चौधरी के बेटे संजय चौधरी ने कहा, "योगेशजी का पापा से मिलने के लिए हमारे घर पर आना-जाना मेरे बचपन से ही लगा रहता था. वो उनके सामने ही पला-बढ़ा. मैंने उनके जैसा विनम्र शख्स दुनिया में नहीं देखा. कमाल की शख्सियत थी उनकी."



संगीतकार निखिल-विनय की जोड़ी द्वारा संगीतबद्ध 'बेवफा सनम', 'चोर और चांद', 'दुलारा' और 'इंग्लिश बाबू देसी मेम' जैसी फिल्मों के गीत भी योगेश ने लिखे थे. विनय ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कहा, "जब हम इंडस्ट्री में बिल्कुल नये थे और कोई भी हमारे लिए गीत नहीं लिखना चाहता था, ऐसे समय में योगेशजी ने हमारा साथ दिया. विनम्रता के अलावा लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहना उनकी सबसे बड़ी खूबी थी.



लता मंगेशकर ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा - "मुझे अभी पता चला है कि दिल को छूनेवाले गीत लिखनेवाले योगेशजी का आज स्वर्गवास हुआ है. यह सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ. योगेशजी के लिखे गीत मैंने गाये हैं. योगेशजी बेहद शांत और मधुर स्वभाव ने इंसान थे. मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं."



(लता मंगेश्कर के साथ गीतकार योगेश)

1943 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में जन्में योगेश ने 'एक रात', 'मंजिलें और भी हैं', 'आजा मेरी जान', 'प्रियतमा', 'दिल्लीगी', 'पंसद अपनी अपनी', 'हनीमून', 'अपने-पराये', 'लाखों की बात', 'किरायेदार' जैसी कई फिल्मों के लिए गीत लिखे थे.