Mac Mohan Unknown Facts: कहते हैं तकदीर को न तो कोई मिटा सकता है न ही कोई बदल सकता है, जो लिखा होता है वह होकर ही रहता है. लेकिन यही तकदीर कभी न कभी मौका तो सबको देती है, कोई इसे भुनाने में असफल रहता है तो कोई मौके पर ऐसा चौका लगाता है कि उसकी जिंदगी ही पलट जाती है. ऐसा ही कुछ 'शोले' फिल्म में सांभा का किरदार निभाकर मशहूर हुए अभिनेता मैक मोहन के साथ हुआ.


इस फिल्म ने उनकी पूरी जिंदगी ही बदलकर रख दी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लखनऊ की गलियों से निकले इस अभिनेता ने कभी अभिनय की दुनिया में आने का सपना देखा ही नहीं था. अगर नहीं तो चलिए आज मैक मोहन की बर्थ एनिवर्सरी पर आपको बताते हैं कि वह अभिनेता नहीं तो आखिर क्या बनना चाहते थे.


क्रिकेटर बनने का था सपना


'सांभा' के नाम से सिनेमा की दुनिया में मशहूर मैक मोहन का जन्म हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के कराची में 24 अप्रैल 1938 के दिन हुआ था. फिल्म में आने से पहले मैक मोहन को मोहन माखीजानी के नाम से जाना जाता था. पिता के ट्रांसफर के चलते मैक मोहन को कराची से नवाबों के शहर लखनऊ में आकर बसना पड़ा और वहीं से उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की.


फिल्मी दुनिया में विलेन के रूप में मशहूर मैक मोहन को उस वक्त अभिनय का नहीं, बल्कि क्रिकेट का शौक था और वह क्रिकेटर ही बनना चाहते थे. क्रिकेट की दीवानगी इतनी थी कि कड़ी मेहनत करने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम के लिए खेलना शुरू कर दिया. अपने इस जुनून को करियर बनाने की राह पर निकले मैक मोहन को लगता था कि क्रिकेट की बेस्ट ट्रेनिंग सिर्फ और सिर्फ मुंबई में दी जाती है. इस बात को दिमाग में बैठाकर वह 1952 में मुंबई आ गए. 


अभिनय में इस तरह हुई रुचि


मायानगरी मुंबई की बात ही निराली है, यहां चाहे कोई भी किसी भी तरह का सपना लेकर आए, सिनेमा की चकाचौंध भरी दुनिया से प्रभावित हो ही जाता है. कुछ ऐसा ही मैक मोहन के साथ हुआ. क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने आए मैक मोहन ने जब मुंबई में रंगमंच देखा तो वह उसके दीवाने हो गए. अभिनेता के दोस्त ने उन्हें शौकत कैफी के नाटक में एक रोल के बारे में बताया तो मैक मोहन पहुंच गए उनके पास काम मांगने. बस यहीं से मैक मोहन का एक्टिंग करियर शुरू हो गया.


नाटकों में काम करने के बाद साल 1964 के दौरान मैक मोहन की जिंदगी में बॉलीवुड की एंट्री तब हुई, जब वह पहली बार रुपहले पर्दे पर फिल्म 'हकीकत' में नजर आए. इस फिल्म के बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें इंडस्ट्री में पहचान 'शोले' के छोटे से रोल से मिली. 


ट्यूमर ने ली जान


'शोले' में सांभा के छोटे से किरदार ने मैक मोहन की जिंदगी का तख्तापलट कर दिया. यह किरदार उनके लिए उनकी जीवन भर की पहचान बन गया. इसके बाद वह अमिताभ बच्चन से लेकर और भी बड़े सुपरस्टार्स के साथ फिल्मी पर्दे पर विलेन बन जलवा बिखेरते रहे. उसका नतीजा है कि अभिनेता ने अपने 46 साल के करियर में करीब 175 फिल्मों में काम किया, लेकिन जो फिल्म उनके करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई वह 'अतिथि तुम कब जाओगे' थी.


परेश रावल स्टारर इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मैक मोहन की तबीयत बिगड़ी और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. मैक मोहन के फेफड़े में ट्यूमर बताया गया, जिसके इलाज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और एक साल बाद उनका निधन हो गया.


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