आज बॉलीवुड की लीजेंड एक्ट्रेस मधुबाला की जयतीं है. मधुबाला बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में शुमार हैं जिन्होंने बेहद कम समय में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी. जब हम मधुबाला के बारे में बात करते हैं तो ये बात एकदम सटीक बैठती है कि.. ''जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं''.


मधुबाला ने बेहद कम उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. 14 फरवरी 1933 को जन्मीं मधुबाला ने 23 फरवरी 1969 को दिल की बीमारी के चलते इस दुनिया को अलविदा कह दिया. आज उनकी जयंती के मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ अहम पहलुओं के बारे में बताने जा रहे हैं.


मधुबाला का जन्म 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन्स डे के दिन हुआ. इस दिन को दुनियाभर में प्यार के जश्न के रूप में मनाया जाता है. लेकिन अजीब इत्तेफाक है कि इस दिन जन्मीं मधुबाला पूरी जिंदगी प्यार और साथ के लिए तरसती रहीं. बात मधुबाला की चल रही हो और इसमें दिलीप कुमार का जिक्र न हो, ये तो नहीं हो सकता. मधुबाला और दिलीप कुमार की कहानी भी किसी ट्रेजडी से कम नहीं है.



आम थे दिलीप और मधुबाला के इश्क के चर्चे
एक वक्त था जब दिलीप कुमार और मधुबाला के इश्क के किस्से बॉलीवुड गलियारों में आम हुआ करते थे. 1951 में दिलीप कुमार और मधुबाला ने फिल्म 'तराना' में एक साथ काम किया लेकिन दिलीप कुमार को ये खबर ना थी कि मधुबाला दिल ही दिल में दिलीप कुमार से प्यार करने लगी थीं.


फिल्म 'तराना' की शूटिंग के दौरान मधुबाला ने अपनी करीबी मेकअप आर्टिस्ट के हाथों दिलीप कुमार को एक ख़त भेजा...ख़त के साथ एक लाल गुलाब भी था. उर्दू में लिखे हुए इस ख़त में मधुबाला ने लिखा था, “अगर आप मुझे चाहते हैं तो ये गुलाब क़बूल फरमाइए...वरना इसे वापस कर दीजिए.”


मधुबाला की मोहब्बत की इस निशानी को दिलीप कुमार ने खुशी खुशी क़बूल कर लिया और फिर फिल्म तराना के सेट्स पर दिलीप कुमार और मधुबाला की असली लव स्टोरी भी परवान चढ़ने लगी.


पिता को रास नहीं आई मधुबाला की मोहब्बत
मधुबाला की कमाई से ही उनके पूरे घर का खर्च चलता था, इसीलिए उनके पिता नहीं चाहते थे कि मधुबाला किसी भी अफेयर में पड़ें लेकिन एक दूसरे के इश्क़ में गिरफ्तार दिलीप कुमार और मधुबाला मिलने का कोई ना कोई तरीका ढूंढ ही लेते थे. मुगल-ए-आजम की शूटिंग के दौरान जब दिलीप कुमार की शूटिंग नहीं भी होती थी उन दिनों में भी वो मधुबाला से मिलने फिल्म के सेट पर आ जाया करते थे और चुपचाप खड़े होकर मधुबाला को शूटिंग करते हुए देखते थे. ज़ुबान जरूर खामोश रहती थी लेकिन सारी बातें आंखों ही आंखों में हो जाया करती थीं.


मुगल-ए-आज़म वो फिल्म है जो सिनेमा के इतिहास में सबसे ऊंचे पायदान पर है. लेकिन ये वो फिल्म भी है, जो दिलीप कुमार और मधुबाला की असली लव स्टोरी और इस लव स्टोरी में आए आंधी और तूफान के गवाह रही है. मुगले आज़म को बनने में तकरीबन 10 साल का लंबा वक्त लगा और इसी फिल्म के दौरान दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी शुरू भी हुई, परवान भी चढ़ी और शूटिंग खत्म होते होते ये कहानी भी खत्म हो गई.


दिलीप कुमार ने जल्द ही अपनी सबसे बड़ी बहन सकीना को शादी का पैग़ाम लेकर मधुबाला के घर भेजा. उन्होंने कहा कि अगर मधुबाला के पिता तैयार हों तो वो सात दिन बाद मधुबाला से शादी करना चाहते हैं, लेकिन अताउल्ला खान ने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया.


दिलीप कुमार करना चाहते थे मधुबाला से शादी
पिता और दिलीप कुमार वो दो लोग जिन्हें मधुबाला जिंदगी में सबसे ज्यादा प्यार करती थीं. लेकिन दोनों में से एक चुनना उनके लिए नामुमकिन सा हो गया था. इसी कशमकश में दिन तो बीतते रहे लेकिन उनके रिश्ते के धागों पर खिंचाव बढ़ता गया. और फिर 1956 में वो तूफान आया. जिससे शायद ये रिश्ता कभी उबर नहीं सका.


फिल्म ढाके की मलमल की शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार ने अभिनेता ओम प्रकाश के सामने मधुबाला से कहा, वो आज ही उन्हें अपने साथ ले जाकर उनसे शादी करना चाहते हैं. दिलीप साहब ने ये भी कहा कि उनके घर पर एक क़ाज़ी मौजूद है और शादी की सारी तैयारियां हो गई हैं और वो चाहते हैं कि मुधबाला फौरन उनके साथ चलें. लेकिन इसके साथ ही दिलीप साहब ने अपनी मोहब्बत मधुबाला के सामने एक शर्त रख दी. शर्त ये थी कि उनसे शादी के बाद मधुबाला को अपने पिता से सारे रिश्ते तोड़ने होंगे.


यूसुफ की ये शर्त सुनकर मधुबाला खामोश हो गईं. उनकी खामोशी देखकर दिलीप कुमार बोले, क्या इसका मतलब ये है कि तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहतीं? लेकिन मधुबाला की चुप्पी नहीं टूटी..मधुबाला की खामोशी देख दिलीप कुमार बोले, अगर आज मैं आज यहां से अकेले गया तो फिर कभी लौटकर तुम्हारे पास नहीं आऊंगा. लेकिन मधुबाला ने अपने लब से कुछ न कहा और दिलीप कुमार उनकी जिंदगी से हमेशा के लिए चले गए.


आखिरी झलक भी नहीं देख पाए थे दिलीप कुमार
दिलीप कुमार मधुबाला की जिंदगी से तो चले गए थे लेकिन ये दोनों अब भी कुछ फिल्मों में साथ काम कर रहे थे. 1966 में मधुबाला बुरी तरह बीमार पड़ीं थीं. उन्होंने दिलीप साहब को मिलने के लिए बुलाया. इस मुलाकात का जिक्र करते हुए दिलीप कुमार ने कहा कि वो मरना नहीं चाहती थीं. मुझे बहुत अफसोस हुआ जब उन्होंने मुझसे पूछा कि अगर वो ठीक हो जाएंगी तो क्या मैं उनके साथ फिर से फिल्म में काम करूंगा. मैंने उनसे कहा, तुम जरूर ठीक हो जाओगी, तुम ठीक ही हो . मैंने उनको यकीन दिलाया और वादा किया कि हां मैं तुम्हारे साथ फिल्म करूंगा लेकिन ये वादा कभी पूरा नहीं हो सका. जिस वक्त मधुबाला की मौत हुई उस वक्त दिलीप कुमार मद्रास में फिल्म 'गोपी' की शूटिंग कर रहे थे.


शाम को जब तक वो वापस बंबई पहुंचे, तब तक मधुबाला को सुपुर्दे खाक किया जा चुका था. वो उनकी आखिरी झलक नहीं देख सके.