Mahesh Bhatt On Rajesh Khanna Stardom: महेश भट्ट ने कई शानदार फिल्में बनाई हैं. उनकी ‘आशिकी’ और ‘सड़क’ जैसी फिल्में तो काफी फेमस रहीं. वहीं  हाल ही में महेश भट्ट ने अपने करियर के शुरुआती दिनों के बारे में बात की और फिल्म निर्माता राज खोसला की मदद करने के समय की यादें भी शेयर की. इस दौरान उन्होंने ये भी खुलासा किया कि एक दिग्गज अभिनेता ने उनके करियर में अहम भूमिका निभाई है. 


राजेश खन्ना जैसा स्टारडम कभी नहीं देखा
दरअसल रेडियो नशा को दिए एक इंटरव्यू के दौरान, भट्ट ने बताया कि वह फिल्म दो रास्ते के लास्ट शेड्यूल के दौरान खोसला से मिले थे. इस फिल्म में राजेश खन्ना और मुमताज ने लीड रोल प्ले किया था. जब भट्ट की पहली बार प्रसिद्ध निर्देशक से मुलाकात हुई उस समय फिल्म के आइकॉनिक सॉन्ग "तूने काजल लगया दिन में रात होगी" फिल्माया जा रहा था


भट्ट, राजेश खन्ना के स्टारडम से हैरान थे, उन्होंने कहा, “मैंने राजेश खन्ना जैसा स्टारडम पहले कभी नहीं देखा था. आजकल स्टार्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म से काफी फायदा होता है. उस समय, केवल कुछ फिल्मी मैग्जीन और लिमिटेड प्रिंटों के साथ, राजेश खन्ना पॉपुलैरिटी का ऐसा लेवल बनाने में कामयाब रहे जो पहले कभी नहीं देखा गया था.''




विनोज खन्ना के बिना जो आज हूं वो नहीं बन पाता
राज खोसला के साथ अपने काम करने के बारे में भट्ट ने बताया, “हमने बाद में धर्मेंद्र और विनोद खन्ना स्टारर ‘मेरा गांव मेरा देश बनाई.’ विनोद सिर्फ एक कलीग ही नहीं बल्कि एक ग्रेट फ्रेंड थे जिन्होंने मेरी लाइफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके बिना, मुझे नहीं लगता कि मैं वह व्यक्ति बन पाता जो मैं आज हूं.”




भट्ट ने आगे  कहा, उदयपुर में हमने ‘मेरा गांव मेरा देश’ की शूटिंग की थी. आनंद बख्शी और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की बदौलत फिल्म के गाने काफी शानदार बन गए थे. तो, राज खोसला के साथ मेरी जर्नी इस तरह शुरू हुई. और उसके बाद हमने धर्मेंद्र स्टारर ‘दो चोर’ नाम की एक फिल्म भी बनाई. इस फिल्म का निर्देशन राज खोसला के असिस्टेंट पद्मनाभ ने किया था. वह (राज खोसला) निर्माता थे. फिल्म की शूटिंग गोवा में हुई थी. फिर मैंने अपना सफर शुरू किया और मेरी पहली चार फिल्में फ्लॉप रहीं. मेरी यात्रा शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गई थी, और तभी मेरी नज़र अर्थ पर पड़ी.”


महेश भट्ट की 'अर्थ' को मिली थी खूब तारीफ
अर्थ महेश भट्ट की छठी फिल्म थी. भट्ट द्वारा परवीन बाबी के साथ उनके कथित एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में लिखी गई सेमी-ऑटोबायोग्राफिकल फिल्म को क्रिटिकली तारीफ मिली. इस फिल्म को दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और तीन फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे.


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