बर्थडे स्पेशल: अभिनय की दुनिया के 'सरदार खान' हैं मनोज बाजपेयी
शूल, अक्स, पिंजर और जुबैदा जैसी बेहतरीन फिल्मों में उन्होंने खुद को कई बार साबित किया, लेकिन एक वक्त पर मनोज को उनके मनमुताबिक फिल्में मिलनी बंद हो गई थीं.
नई दिल्ली: सिनेमा इंडस्ट्री में ऐसे कई कलाकार हैं, जिनकी जिंदगी की कहानी बेहद दिलचस्प है. खासकर बॉलीवुड में तो ऐसी कहानियों की भरमार सी है, जिसमें फिल्मों में काम पाने के लिए कलाकारों ने खूब जद्दोजेहद की हो. फिल्मों में काम करने की जिद और एक्टिंग से मुहब्बत की वजह से आज के दौर के मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेयी को भी इस मुकाम को हासिल करने में खूब स्ट्रगल करना पड़ा था. मनोज आज अपनी जिंदगी के 49वें साल में कदम रख चुके हैं, ऐसे में आज हम आपको उनके कुछ यादगार किरदारों से रू-ब-रू करवा रहे हैं, जिन्हें देखकर कभी आपने भी थिएटर में तालियां बजाईं होंगी या फिर उनकी एक्टिंग देख सन्न रह गए होंगे.
मनोज बाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल 1969 को बिहार के वेस्ट चंपारण के बेलवा गांव में हुआ था. उनके पिता किसानी करते थे. मनोज ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई बिहार से ही की और फिर एक्टर बनने की चाहत में वो 17 साल की उम्र में दिल्ली चले आए. तीन बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन की कोशिश की लेकिन तीनों बार उन्हें रिजेक्शन ही झेलना पड़ा. इसके बाद वो इतने परेशान हो गए कि उन्होंने आत्महत्या तक की कोशिश की. लेकिन बाद में उनको धीरे धीरे काम मिलना शुरू हुआ. फिल्म ‘सत्या’ से मनोज को सभी ने जाना. फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था.
फिल्म ‘राजनीति’ से पटरी पर आया करियर
बाद में शूल, अक्स, पिंजर और जुबैदा जैसी बेहतरीन फिल्मों में उन्होंने खुद को कई बार साबित किया, लेकिन एक वक्त पर मनोज को उनके मनमुताबिक फिल्में मिलनी बंद हो गई थीं. जिस वजह से उन्हें ‘मनी है तो हनी है’ और ‘दस तोला’ जैसी फिल्में भी करनी पड़ीं. लेकिन साल 2010 में आई प्रकाश झा की मल्टी स्टारर फिल्म ‘राजनीति’ के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़कर नहीं देखा और आज वो बॉलीवुड के उनव गिने चुने अभिनेताओं में शुमार हैं, जो फिल्मों में कई बार हीरो पर भी भारी पड़ जाता है जिसका उदाहरण ‘तेवर’ और ‘बागी 2’ जैसी फिल्में हैं.
सत्या: भीखू म्हात्रे
साल 1998 में आई फिल्म ‘सत्या’ से ही मनोज बाजपेयी को सिनेमा की दुनिया में पहचान मिली थी. इस फिल्म में उन्होंने गेंगस्टर भीखू म्हात्रे का किरदार निभाया था. उनके इस किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया, साथ ही समीक्षकों ने भी मनोज की अदाकारी को खूब सराहा. इस फिल्म में बेहतरीन अदाकारी के लिए मनोज को उनका पहला नेशनल अवॉर्ड भी मिला साथ ही उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर क्रिटीक अवॉर्ड से भी नवाजा गया.
शूल: समर प्रताप सिंह
मनोज की बेहतरीन फिल्मों में शूल का नाम काफी ऊपर आता है. अनुराग कश्यप के डायलॉग्स, राम गोपाल वर्मा का स्क्रीनप्ले और स्टोरी और ईश्वर निवास का डायरेक्शन. इस फिल्म में मनोज ने एक ईमानदार पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई थी. उनकी पत्नी का रोल रवीना टंडन ने किया था. शूल के लिए मनोज को फिल्मफेयर क्रिटीक अवॉर्ड फोर बेस्ट परफॉर्मेंस से नवाजा गया था.
तस्वीर: सोशल मीडियाराजनीति: वीरेंद्र प्रताप
मनोज के फिल्मी करियर में प्रकाश झा की ये मल्टी स्टारर फिल्म काफी मायने रखती है. इस फिल्म में उन्होंने राजनेता वीरेंद्र प्रताप का किरदार निभाया था. फिल्म में कई दिग्गज कलाकार मौजूद थे बावजूद इसके मनोज अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे. फिल्म में मनोज बाजपेयी ने अपनी अदाकारी से जान फूंक दी थी. अपने सभी सीन्स में मनोज खूब जमे. इस फिल्म के बाद बॉलीवुड में मनोज को कई बड़ी फिल्में मिली.
तस्वीर: सोशल मीडियागैंग्स ऑफ वासेपुर: सरदार खान
मनोज बाजपेयी के इस रोल को शायद ही कोई भुला सकता है. धनबाद के गैंगस्टर सरदार सिंह के किरदार को मनोज ने बड़े परदे पर ऐसे निभाया कि लोग उन्हें सरदार सिंह ही कहने लगे. साल 2012 में रिलीज अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मनोज ने अपनी अदाकारी का एक अलग ही अंदाज दिखाया. फिल्म को समीक्षकों ने भी सराहा और कमर्शियली भी इसे कामयाबी मिली.
अलीगढ़: प्रोफेसर रामचंद्र सिरस
साल 2016 में रिलीज हुई मनोज बाजपेयी और राजकुमार राव की ये फिल्म क्रिटिकली काफी सराही गई. ये फिल्म एक असल कहानी पर आधारित थी. फिल्म में मनोज बाजपेयी ने एक गे का किरदार निभाया है जिसे गे होने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ‘अलीगढ़’ के लिए मनोज बाजपेयी को फिल्मफेयर का क्रिटिक्स अवॉर्ड फोर बेस्ट एक्टर मिला. साथ ही दसवें एशिया पैससिफिक स्क्रीन अवॉर्ड्स में मनोज को बेस्ट एक्टर का खिताब दिया गया.
तस्वीर: सोशल मीडिया