राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज वाजपेयी ने बुधवार को कहा कि वह इस तथ्य से वाकिफ हैं कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहद प्रशंसित उनकी तमाम फिल्मों को कभी भी 'तथाकथित बड़े मुख्यधारा के पुरस्कारों' की नामांकन सूची में जगह नहीं मिली.

मनोज ने बुधवार को अपनी 2018 की फिल्म 'गली गुलियां' का एक पोस्टर ट्वीट किया और लिखा, "आदत सी पड़ गई है यह देखने की कि मेरी सभी फिल्में जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रशंसित हैं, उन्हें तथाकथित मुख्यधारा के पुरस्कारों की नामांकन सूची तक में जगह नहीं मिलती, पुरस्कार मिलने की तो बात ही छोड़िए. रचनात्मक खोज और शोषण जारी है. गली गुलियां."



49 वर्षीय अभिनेता का ट्वीट 64वें विमल फिल्मफेयर अवार्डस 2019 के लिए मंगलवार को नामांकन सूची की घोषणा के बाद आया है. मनोज की फिल्म 'गली गुलियां' को बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और 2017 मियामी फिल्म फेस्टिवल, इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ लॉस एंजिल्स, अटलांटा फिल्म फेस्टिवल, 42वें क्लीवलैंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और 2018 इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में दिखाया गया था.

पद्मश्री मिलना अब तक के सफर का सम्मान

मनोज वाजपेयी को कुछ वक्त पहले ही पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है . इस पर अपनी खुशी जताते हुए  उन्होंने कहा कि मेरे लिए पद्मश्री मिलना मेरे अब तक सफर व भरोसे को सम्मानित किए जाने जैसा है.

उन्होंने कहा, 'यह किसी भी पेशेवर के लिए बहुत बड़ा सम्मान है क्योंकि यह सम्मान मात्र किसी एक खास फिल्म या प्रदर्शन के लिए नहीं है. यह मेरे अब तक के सफर को सम्मानित किया जाना है."

उन्होंने कहा, "इसके अलावा सरकार की ओर से यह सम्मान एक तरह से सिनेमा के लिए किए गए योगदान पर भी मुहर लगाना है. इसलिए हां, मैं इसे लेकर बहुत खुशी महसूस कर रहा हूं. मेरा परिवार, दोस्त और प्रशंसक मुझे संदेश भेज रहे हैं. मुझे खुशी हो रही है कि मेरे काम को सरकार द्वारा मान्यता दी गई है."