(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
17 की उम्र में छोड़ा घर, चॉल में गुजारे दिन, झेला रिजेक्शन, अब ओटीटी का किंग है ये एक्टर
Manoj Bajpayee: मनोज बाजपेयी ने अपने करियर में खूब संघर्ष के बाद बॉलीवुड में नेम, फेम और पैसा कमाया. आज मनोज ओटीटी प्लेटफॉर्म के भी किंग बन चुके हैं. वे ओटीटी के सबसे महंगे एक्टर्स में से एक हैं.
Manoj Bajpayee: बॉलीवुड में सुपरस्टार बनने का सपना आंखों में संजोए ना जाने कितने लोग हर रोज सपनों की नगरी मुंबई पहुंचते हैं. इनमें से कुछ संघर्ष के बाद मंजिल पा लेते हैं तो वहीं कुछ लोग सफलता ना मिलने के बाद घर की ही गाड़ी वापस पकड़ लेते हैं. हालांकि कईं ऐसे भी होते हैं जो बार-बार रिजेक्शन झेलने के बाद भी हार नहीं मानते और मंजिल पाने के लिए डटे रहते हैं. आज हम ऐसे ही एक एक्टर के बारे में बताएंगे जिन्हें बॉलीवुड में पहचान बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा और आज वो हिंदी फिल्मों के तो दमदार एक्टर हैं ही वहीं वे ओटीटी प्लेटफॉर्म के भी किंग बन चुके हैं. ये एक्टर कोई ओर नहीं मनोज बाजपेयी हैं.
मनोज को एक साथ तीन प्रोजेक्ट से निकाल दिया गया था
मनोज बाजपेयी एक छोटे से गांव बेवाला के रहने वाले हैं. राज बब्बर भी उन्हीं के शहर से हैं, उन्हीं से ही मनोज बाजपेयी को एक्टर बनने की इंस्पिरेशन मिली थी. इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में अपना करियर बनाने का सपना लिए अपना घर छोड़ दिया था. हालांकि, इंडस्ट्री में पहचान बनाने से पहले उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. मनोज ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था, "साढ़े 17 साल की उम्र में जब मैंने अपना गांव छोड़ा था तब से लेकर अब तक मुझे इतना कठिन समय कभी नहीं मिला. ये चार साल 40 साल के समान थे. सब कुछ बिखर रहा था, एक बार मुझे तीन प्रोजेक्ट मिले, एक सीरीज, एक कॉर्पोरेट फिल्म, एक डॉक्यूड्रामा, और एक अन्य सीरीज, एक ही दिन में मुझे सभी से बाहर कर दिया गया था."
चॉल में रहते थे मनोज
मनोज ने बताया था जब वह मुंबई आए तो 2 लोगों के साथ एक चॉल में रहते थे. उस समय को याद करते हुए, एक्टर ने कहा था, "मेरा पूरा दिन बिजी रहता था. दो लोगों के साथ एक चॉल में रहता था, जब मैं छह महीने बाद वापस आया, तो मैंने देखा कि कम से कम 10 लोग वहां सो रहे थे. उनमें से एक तिग्मांशु धूलिया भी थे. विक्टर (विजय कृष्ण आचार्य) जिन्होंने धूम बनाई थी, ने भी अपना अधिकांश समय वहीं बिताया था."
रिजेक्शन की वजह से सुसाइड करना चाहते थे मनोज
मनोज बाजपेयी को कई रिजेक्शन भी झेलने पड़े थे. यहां तक कि एनएसडी से भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था जिसके बाद वह सुसाइड करना चाहते थे. उन्होंने ईटाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में खुलासा किया था, "सबसे कठिन तब था जब मुझे एनएसडी के लिए नहीं चुना गया था. जब मैं सातवीं कक्षा में था तब से मैंने यह सपना देखा था. मैं टूट गया था. मैं कभी भी आत्महत्या करने के इतने करीब नहीं आया था जितना मैंने तब किया था.मेरे दोस्त डरे हुए थे और उनमें से पांच मेरे बगल में सोते थे और मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ते थे."
‘सत्या’ से बदली मनोज की किस्मत
फाइनली मनोज की किस्मत बदली और उन्होंने ‘द्रोहकाल’ में एक मिनट की भूमिका और 1994 में शेखर कपूर की ‘बैंडिट क्वीन’ में एक डाकू की छोटी सी भूमिका के साथ अपनी शुरुआत की थी. इसके बाद मनोज को छोटे-मोटे रोल मिलते रहे लेकिन वे बॉलीवुड मे नेम फेम चाहते थे. फिर उन्होंने राम गोपाल वर्मा की 1998 की क्राइम ड्रामा ‘सत्या’ में गैंगस्टर भीकू म्हात्रे की भूमिका निभाई. इस फिल्म के बाद मनोज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर, अलीगढ़ जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया, जिसके लिए उन्होंने बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता.
ओटीटी के बेताज बादशाह हैं मनोज बाजपेयी
बॉलीवुड में खूब नाम कमाने के बाद मनोज बाजपेयी ने जासूसी थ्रिलर सीरीज ‘द फैमिली मैन’ के साथ ओटीटी डेब्यू किया, जो एक बड़ी सफलता थी. उसके बाद मनोज बाजपेयी ने ओटीटी पर ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’, ‘किलर सूप’, ‘गुलमोहर’ और कई अन्य शो और फिल्मों में अभिनय किया और आज मनोज ओटीटी के किंग बन चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मनोज एक सीरीज़ के 10 करोड़ रुपये चार्ज करते हैं और वे ओटीटी पर सबसे ज्यादा फीस वसूलने वाले एक्टर्स में से एक हैं.
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