डबल मीनिंग डायलॉग्स से इस मराठी एक्टर ने मचाया था धमाल, गिनीज बुक में दर्ज है बड़ा रिकॉर्ड, जानें कौन थे वो
Dada Kondke Birth Anniversary: मराठी फिल्मों के सुपरस्टार दादा कोंडके की बर्थ एनिवर्सरी 8 अगस्त को होती है. उनके सबसे ज्यादा सिल्वर जुबली हिट्सस देकर गिनीज बुक में भी दर्ज कराया है.

Dada Kondke Birth Anniversary: मराठी फिल्मों के सुपरस्टार कहे जाने वाले दादा कोंडके भारतीय सिनेमा के पहले डबल मीनिंग कॉमेडी की शुरुआत करने वाले एक्टर थे. उन्होंने ऐसे-ऐसे डबल मीनिंग डायलॉग्स बोले जिससे उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया. सेंसर बोर्ड भी इस एक्टर पर बैन नहीं लगा पाया था और उनकी भी नींद उड़ गई थी.
दादा कोंडके मराठी सिनेमा के स्टार थे लेकिन उन्होंने कुछ हिंदी फिल्में भी कीं. दादा कोंडके ने सबसे ज्यादा सिल्वल जुबली फिल्में दीं जिसके कारण उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में भी दर्ज किया गया. आज दादा कोंडके की बर्थ एनिवर्सरी है और इस मौके पर चलिए उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें बताते हैं.
कौन थे दादा कोंडके?
8 अगस्त 1932 को ब्रिटिश इंडिया के बॉम्बे में उनका जन्म एक कोंकण परिवार में हुआ था. उनका नाम कृष्ण कोंडके था लेकिन फिल्मों में आने के बाद लोग उन्हें दादा कोंडके कहने लगे और वो इसी नाम से मशहूर हुए. इनका बचपन पुणे में बीता लेकिन बाद में ये मुंबई आ गए.
दादा कोंडके की परवरिश एक चॉल में हुई और राशन की दुकान में वो काम किया करते थे लेकिन अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर उन्होंने धीरे-धीरे इंडस्ट्री में एंट्री ली. शुरुआत में दादा कोंडके सेवा दल के लिए काम करते थे जो कांग्रेस पार्टी की ऑर्गनाइज संस्था थी. इसके बाद उन्होंने 1969 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की.
दादा कोंडके का फिल्मी सफर
दादा कोंडके ने अपने करियर में लगभग 1500 प्लेज किए जो महाराष्ट्र में खूब पॉपुलर रहे और बाद में मराठी फिल्मों में एक्टिव हुए और स्टार बने. सिंगर आशा भोसले भी दादा कोंडके की फैन हुआ करती थीं और वो कितनी भी बिजी हों लेकिन वो दादा कोंडके का शो 'इच्छा माझी' जरूर देखने जाया करती थीं. 1969 में रिलीज हुई मराठी फिल्म 'ताम्बड़ी माटी' से दादा कोंडके ने डेब्यू किया था. साल 1971 तक दादा कोंडके प्रोड्यूसर बने और कई फिल्में प्रोड्यूस की.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दादा कोंडके की 9 ऐसी फिल्में थीं जो सिल्वर जुबली रहीं और थिएटर्स में 25 हफ्तों तक लगी रहीं. इसी वजह से उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज किया गया था. 14 मार्च 1998 को दादा कोंडके का निधन हो गया था.
बता दें, दादा कोंडके ने 'अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में', 'खोल दे मेरी जुबान', 'आगे का सच', 'तेरे मेरे बीच में' और 'पांडु हवलदार' जैसी हिंदी फिल्में भी कीं जिनमें उन्होंने खूब डबल मीनिंग डायलॉग्स का इस्तेमाल किया. ये फिल्में यूट्यूब पर उपलब्ध हैं और इन्हें देखकर आपको खूब मजा आएगा.
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