अपनी पहली फिल्म 'मर्द को दर्द नहीं होता' के ट्रेलर में उनके माथे और नाक से खून निकल रहा है और वह सड़क पर चलते हुए दुर्लभ जन्मजात बीमारी जो दर्द को रोकती है, उसके बारे में बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
किसी भी तरह के शारीरिक दर्द को महसूस नहीं करने का विचार असंवेदनशील समय के लिए एक सभ्य रूपक के रूप में कार्य कर सकता है, जिसमें हम रह रहे हैं. लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि वसन बाला चाहते हैं कि हम उनकी फिल्म का आकलन कुछ भी करें. यह एक ऐसी फिल्म है, जिसमें एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया गया है जिसे किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता. बाला ने 'द लंचबॉक्स' और 'रमन राघव' जैसी गंभीर फिल्मों में बतौर सहायक के रूप में कार्य किया है.
फिल्म में अभिमन्यु की सह कलाकार राधिका मदान हैं. ये दोनों बचपन के दोस्त होते हैं. राधिका उसे बिना दर्द महसूस किए बड़ा होते हुए देखती है. इस फिल्म में सहनशीलता से परे एक विचार की लकीर दिखाई देती है.